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गुमला में ठंडा पड़ गया है कपड़े का कारोबार, दुकानों पर नहीं पहुंच रहे ग्राहक

कोरोना के कहर से आम और खास हर शख्स परेशान है. कोरोना का असर खुदरा कपड़ा विक्रेताओं पर भी पड़ा है. लॉकडाउन के मापदंडों में ढील दिए जाने के बाद अब कपड़े की दुकान खुल तो रहे हैं, मगर बाजार में रौनक ही नहीं है.

bad condition of textile industry
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Published : Jul 19, 2020, 1:31 PM IST

गुमला: वैश्विक महामारी कोरोना के कारण व्यापार जगत ठप पड़ चुका है. सारे उद्योग-धंधे चौपट हो रहे हैं. इसका असर खुदरा कपड़ा विक्रेताओं पर भी पड़ा है. लॉकडाउन के मापदंडों में ढील दिए जाने के बाद कपड़े की दुकानें अब खुल तो रही हैं. मगर बाजार में रौनक नहीं है और दुकानों में ग्राहक नहीं पहुंच रहे हैं. ऐसे में कपड़ा व्यवसायियों पर इसका सीधा असर पड़ता दिख रहा है. ऐसे में ईटीवी भारत ने गुमला के कपड़ा व्यवसायियों से उनके व्यापार पर कितना फर्क पड़ा है ये जानने की कोशिश की.

देखें स्पेशल स्टोरी

सीजन में बंद रही दुकानें

गुमला के जशपुर रोड स्थित मालानी वास्त्रालय के संचालक अशोक मालानी ने बताया कि कोरोना की वजह से कपड़ा व्यवसाय पूरी तरह प्रभावित हुआ है. पूरे मार्केट के कपड़ा व्यवसाई बहुत ही ज्यादा परेशान रहे, क्योंकि दुकान बंद होने से सीजन का माल पड़ा रह गया और शादी का सीजन, ईद का त्योहार, बंदी में ही बीत गया. इसके चलते जो नया माल मंगाया गया था, वह ज्यों का त्यों रखा रह गया है. अब वह डिजाइन पुराना हो गया जिसके कारण उसे बेचने में दिक्कत होगी. उन्होंने कहा कि और अब जब कपड़े की दुकान खोलने की इजाजत मिली भी तो बाजार ही नहीं रहा. ऐसे में दुकानदारों की आर्थिक स्थिति खराब हुई है. उन्होंने कहा कि जो माल मंगाए और उसे बेच नहीं पाए हैं तो उसका भुगतान महाजन को कैसे करेंगे.

ये भी पढ़ें- जैविक खेती से जिंदगी संवार रहे रांची के किसान, डबल मुनाफा के साथ-साथ सेहत भी बरकरार

व्यापारियों की आर्थिक स्थिति हुई खराब

इस व्यवसाय से जुड़े व्यापारियों की आर्थिक स्थिति खराब होने से कई लोगों का दिमागी संतुलन बिगड़ने की स्थिति में आ गया है. अभी स्थिति यह है कि दुकान में जो स्टाफ रखे गए हैं उन्हें आधा कर दिया गया है. क्योंकि सरकार के निर्देशानुसार दुकानों में ज्यादा भीड़ भी नहीं लगानी है. ऐसे में आधे स्टाफ से ही काम चलाना पड़ रहा है. वहीं, गुमला टेक्सटाइल के युवा संचालक निखिल नारसरिया का कहना है कि कोरोना काल के कारण बाजार में भीड़ कम जरूर हुई है लेकिन कपड़े के व्यवसाय में उसका कोई खास असर नहीं रहा है. इस दौरान जिन्हें कपड़े खरीदने थे, उन्होंने दुकान खुलने का इंतजार किया है. ऐसे भी अभी ऑफ सीजन है और खेती-बारी का दिन है तो इस वक्त इसका असर बाजार में होता ही है. कपड़ा व्यवसायियों का कहना था कि कोरोना काल के चलते कपड़े के व्यवसाय में बहुत कम असर नहीं तो बहुत ज्यादा भी नहीं है. जो माल पहले से आर्डर दिया गया है, वह माल दुकानों में पहुंच रहा है. जिसके कारण किसी तरह की परेशानी नहीं हो रही है.

शहर नहीं आ पा रहे ग्रामीण ग्राहक

बालाजी टेक्सटाइल के संचालक अशोक गुप्ता ने बताया कि चूंकि कोरोना के कारण सभी यात्री वाहन बंद हैं. जिसके कारण ग्रामीण क्षेत्र के ग्राहक शहर में नहीं आ पा रहे हैं. जिसका असर व्यवसाय पर पड़ रहा है. दुकान में बिक्री हो या ना हो दुकान में जो काम करने वाले स्टाफ है उन्हें भुगतान करना ही है. ऐसे में कोरोना वायरस का असर कपड़ा व्यवसाय पर पूरा पड़ा है.

गुमला: वैश्विक महामारी कोरोना के कारण व्यापार जगत ठप पड़ चुका है. सारे उद्योग-धंधे चौपट हो रहे हैं. इसका असर खुदरा कपड़ा विक्रेताओं पर भी पड़ा है. लॉकडाउन के मापदंडों में ढील दिए जाने के बाद कपड़े की दुकानें अब खुल तो रही हैं. मगर बाजार में रौनक नहीं है और दुकानों में ग्राहक नहीं पहुंच रहे हैं. ऐसे में कपड़ा व्यवसायियों पर इसका सीधा असर पड़ता दिख रहा है. ऐसे में ईटीवी भारत ने गुमला के कपड़ा व्यवसायियों से उनके व्यापार पर कितना फर्क पड़ा है ये जानने की कोशिश की.

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सीजन में बंद रही दुकानें

गुमला के जशपुर रोड स्थित मालानी वास्त्रालय के संचालक अशोक मालानी ने बताया कि कोरोना की वजह से कपड़ा व्यवसाय पूरी तरह प्रभावित हुआ है. पूरे मार्केट के कपड़ा व्यवसाई बहुत ही ज्यादा परेशान रहे, क्योंकि दुकान बंद होने से सीजन का माल पड़ा रह गया और शादी का सीजन, ईद का त्योहार, बंदी में ही बीत गया. इसके चलते जो नया माल मंगाया गया था, वह ज्यों का त्यों रखा रह गया है. अब वह डिजाइन पुराना हो गया जिसके कारण उसे बेचने में दिक्कत होगी. उन्होंने कहा कि और अब जब कपड़े की दुकान खोलने की इजाजत मिली भी तो बाजार ही नहीं रहा. ऐसे में दुकानदारों की आर्थिक स्थिति खराब हुई है. उन्होंने कहा कि जो माल मंगाए और उसे बेच नहीं पाए हैं तो उसका भुगतान महाजन को कैसे करेंगे.

ये भी पढ़ें- जैविक खेती से जिंदगी संवार रहे रांची के किसान, डबल मुनाफा के साथ-साथ सेहत भी बरकरार

व्यापारियों की आर्थिक स्थिति हुई खराब

इस व्यवसाय से जुड़े व्यापारियों की आर्थिक स्थिति खराब होने से कई लोगों का दिमागी संतुलन बिगड़ने की स्थिति में आ गया है. अभी स्थिति यह है कि दुकान में जो स्टाफ रखे गए हैं उन्हें आधा कर दिया गया है. क्योंकि सरकार के निर्देशानुसार दुकानों में ज्यादा भीड़ भी नहीं लगानी है. ऐसे में आधे स्टाफ से ही काम चलाना पड़ रहा है. वहीं, गुमला टेक्सटाइल के युवा संचालक निखिल नारसरिया का कहना है कि कोरोना काल के कारण बाजार में भीड़ कम जरूर हुई है लेकिन कपड़े के व्यवसाय में उसका कोई खास असर नहीं रहा है. इस दौरान जिन्हें कपड़े खरीदने थे, उन्होंने दुकान खुलने का इंतजार किया है. ऐसे भी अभी ऑफ सीजन है और खेती-बारी का दिन है तो इस वक्त इसका असर बाजार में होता ही है. कपड़ा व्यवसायियों का कहना था कि कोरोना काल के चलते कपड़े के व्यवसाय में बहुत कम असर नहीं तो बहुत ज्यादा भी नहीं है. जो माल पहले से आर्डर दिया गया है, वह माल दुकानों में पहुंच रहा है. जिसके कारण किसी तरह की परेशानी नहीं हो रही है.

शहर नहीं आ पा रहे ग्रामीण ग्राहक

बालाजी टेक्सटाइल के संचालक अशोक गुप्ता ने बताया कि चूंकि कोरोना के कारण सभी यात्री वाहन बंद हैं. जिसके कारण ग्रामीण क्षेत्र के ग्राहक शहर में नहीं आ पा रहे हैं. जिसका असर व्यवसाय पर पड़ रहा है. दुकान में बिक्री हो या ना हो दुकान में जो काम करने वाले स्टाफ है उन्हें भुगतान करना ही है. ऐसे में कोरोना वायरस का असर कपड़ा व्यवसाय पर पूरा पड़ा है.

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