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बदहाल अस्पताल और बेकाम व्यवस्था, ऐसे में किस 'तंत्र' की लें सहायता?

गुमला के सरकारी स्वास्थ्य केंद्र की स्थिति बेहद बदहाल है. करोड़ों रुपए खर्च करके अस्पताल का निर्माण कराया गया लेकिन यहां न कोई डॉक्टर आते है और न कोई मरीज.

स्वास्थ्य केंद्र की स्थिति बदहाल
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Published : Jul 27, 2019, 4:10 PM IST

गुमला: जिले के घाघरा प्रखंड क्षेत्र के पुटो गांव में लगभग 5 साल पहले प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र का भवन करोड़ों रुपए की लागत से बनाया गया है. लेकिन इस प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में न तो कोई चिकित्सक है और न ही कोई नर्स. जिसके कारण प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र लगभग बंद सा हो गया है और कभी खुल भी गया तो महज घंटे दो घंटे के बाद डॉक्टर और नर्स वहां से चल देते हैं.

देखें पूरी खबर

डॉक्टर के अभाव में ओझा-गुणी से लेते हैं मदद
यही वजह है कि जब ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों को सही रूप स्वास्थ्य सुविधा नहीं मिलती है तब लोग अंधविश्वास के चक्कर में फंस जाते हैं. जो ग्रामीण संपन्न होते हैं वह गांव से बाहर जाकर इलाज करा लेते हैं, लेकिन जो गरीब और कम पढ़े लिखे होते हैं वे ओझाओं के चक्कर में पड़ जाते हैं. जिसमें कभी किसी महिला को डायन बताकर प्रताड़ित किया जाता है, तो कभी हत्या तक कर दी जाती है.

जर्जर है स्वास्थ्य केंद्र का भवन
इधर, पुटो प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के संबंध में स्थानीय ग्रामीणों का कहना है कि जब से यह भवन बना है तब से बंद ही है. आज तक कभी नहीं देखा है कि यहां कोई मरीज अपना इलाज करवाया हो. भवन काफी अव्यवस्थित है भवन के सारे शीशे टूट गए हैं. सभी रूम कचरे से भरा हुआ है. यूं कहें तो यह अस्पताल खुद ही बीमार है यहां मरीजों का क्या इलाज होगा.

2012 में हुआ था स्वास्थ्य केंद्र का निर्माण
वहीं, स्थानीय महिलाओं ने बताया कि अस्पताल का निर्माण 2012 में कराया गया था. उसके बाद भी यहां कोई चिकित्सक नहीं आते हैं. गांव में अस्पताल बनने के बाद भी ग्रामीण इसका लाभ नहीं ले पा रहे हैं. छोटी से छोटी बीमारी होने पर भी हम लोगों को घाघरा या फिर कहीं और जाकर इलाज कराना पड़ता है.

ये भी पढ़ें- 'कूल' अवतार में नजर आई 'डेंजर' लेडी अफसर, दूर की बुजुर्ग महिला की परेशानी

सप्ताह में एक दिन आतें हैं डॉक्टर
इस मामले पर सदर अस्पताल के सिविल सर्जन का कहना है कि पुटो का प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र काफी बड़ा बना है. लेकिन वहां किसी भी डॉक्टर का पदस्थापन कभी नहीं किया गया है. जिसके कारण घाघरा के चिकित्सक को वहां प्रतिनियुक्त किया गया है जिन्हें सप्ताह में 1 दिन वहां जाकर मरीजों का इलाज करना है.

गुमला: जिले के घाघरा प्रखंड क्षेत्र के पुटो गांव में लगभग 5 साल पहले प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र का भवन करोड़ों रुपए की लागत से बनाया गया है. लेकिन इस प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में न तो कोई चिकित्सक है और न ही कोई नर्स. जिसके कारण प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र लगभग बंद सा हो गया है और कभी खुल भी गया तो महज घंटे दो घंटे के बाद डॉक्टर और नर्स वहां से चल देते हैं.

देखें पूरी खबर

डॉक्टर के अभाव में ओझा-गुणी से लेते हैं मदद
यही वजह है कि जब ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों को सही रूप स्वास्थ्य सुविधा नहीं मिलती है तब लोग अंधविश्वास के चक्कर में फंस जाते हैं. जो ग्रामीण संपन्न होते हैं वह गांव से बाहर जाकर इलाज करा लेते हैं, लेकिन जो गरीब और कम पढ़े लिखे होते हैं वे ओझाओं के चक्कर में पड़ जाते हैं. जिसमें कभी किसी महिला को डायन बताकर प्रताड़ित किया जाता है, तो कभी हत्या तक कर दी जाती है.

जर्जर है स्वास्थ्य केंद्र का भवन
इधर, पुटो प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के संबंध में स्थानीय ग्रामीणों का कहना है कि जब से यह भवन बना है तब से बंद ही है. आज तक कभी नहीं देखा है कि यहां कोई मरीज अपना इलाज करवाया हो. भवन काफी अव्यवस्थित है भवन के सारे शीशे टूट गए हैं. सभी रूम कचरे से भरा हुआ है. यूं कहें तो यह अस्पताल खुद ही बीमार है यहां मरीजों का क्या इलाज होगा.

2012 में हुआ था स्वास्थ्य केंद्र का निर्माण
वहीं, स्थानीय महिलाओं ने बताया कि अस्पताल का निर्माण 2012 में कराया गया था. उसके बाद भी यहां कोई चिकित्सक नहीं आते हैं. गांव में अस्पताल बनने के बाद भी ग्रामीण इसका लाभ नहीं ले पा रहे हैं. छोटी से छोटी बीमारी होने पर भी हम लोगों को घाघरा या फिर कहीं और जाकर इलाज कराना पड़ता है.

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सप्ताह में एक दिन आतें हैं डॉक्टर
इस मामले पर सदर अस्पताल के सिविल सर्जन का कहना है कि पुटो का प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र काफी बड़ा बना है. लेकिन वहां किसी भी डॉक्टर का पदस्थापन कभी नहीं किया गया है. जिसके कारण घाघरा के चिकित्सक को वहां प्रतिनियुक्त किया गया है जिन्हें सप्ताह में 1 दिन वहां जाकर मरीजों का इलाज करना है.

Intro:गुमला : यूं तो सुबे की सरकार सरकारी भवन बनाने में कभी पीछे नहीं रही है । भले ही भवन का उपयोग हो या ना हो, करोड़ों अरबों रुपए खर्च कर भवन बना दिए जाते हैं । जिसका उदाहरण आप गुमला जिला में देख सकते हैं । गुमला जिला के घाघरा प्रखंड क्षेत्र के पुटो गांव में लगभग 5 वर्ष पूर्व प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र का भवन करोड़ों रुपए की लागत से बनाया गया है । लेकिन इस प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में न तो कोई चिकित्सक है और ना ही कोई नर्स ।


Body:जिसके कारण प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र लगभग बंद सा हो गया है । सिर्फ सप्ताह में एक बार यहां चिकित्सक और नर्स आते हैं जो घंटे दो घंटे भी अस्पताल में समय नहीं देते हैं । यही वजह है कि जब ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों को सही रूप स्वास्थ्य सुविधा नहीं मिलती है तब लोग अंधविश्वास के चक्कर में फंस जाते हैं । जो ग्रामीण संपन्न होते हैं वह गांव से बाहर जाकर इलाज करा लेते हैं । लेकिन जो गरीब और कम पढ़े लिखे होते हैं वे ओझाओं के चक्कर में पड़ जाते हैं । फिर शुरू होता है ओझा-गुणी, तंत्र मंत्र का खेल । जिसमें कभी किसी महिला को डायन बताकर प्रताड़ित किया जाता है , तो कभी हत्या तक कर दी जाती है । यही नहीं अगर इस मामले पर जिस महिला पर डायन होने का आरोप लगाया जाता है और ऐसे में उस महिला ने उसका विरोध किया तो फिर उस महिला सहित परिवार वालों को सामाजिक बहिष्कार का दंश झेलना पड़ता है ।
इधर पुटो प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के संबंध में स्थानीय ग्रामीणों का कहना है कि जब से यह भवन बना है तब से बंद ही है । आज तक कभी नहीं देखा है कि यहां कोई मरीज अपना इलाज करवाया हो ।।भवन काफी अव्यवस्थित है । भवन के सारे शीशे टूट गए हैं। सभी रूम कचरा में भरा हुआ है । यूं कहें यह अस्पताल खुद ही बीमार है यहां मरीजों का क्या इलाज होगा ।
वहीं स्थानीय महिलाओं ने बताया कि अस्पताल का निर्माण 2012 में कराया गया था । उसके बाद भी यहां कोई चिकित्सक नहीं आते हैं ।
गांव में अस्पताल बनने के बाद भी ग्रामीण इसका लाभ नहीं ले पा रहे हैं । छोटी से छोटी बीमारी होने पर भी हम लोगों को घाघरा या फिर कहीं और जाकर इलाज कराना पड़ता है ।


Conclusion:वहीं इस मामले पर सदर अस्पताल के सिविल सर्जन का कहना है कि पुटो का प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र काफी बड़ा बना है । पर वहां किसी भी डॉक्टर का पदस्थापन कभी नहीं किया गया है ।। जिसके कारण घाघरा के चिकित्सक को वहां प्रतिनियुक्त किया गया है जिन्हें सप्ताह में 1 दिन वहां जाकर मरीजों का इलाज करना है ।

बाईट : विक्की उराँव ( स्थानीय ग्रामीण ,गुमला)
बाईट 2: रेखा उराँव ( स्थानीय महिला )
बाईट 3: सुखदेव उराँव ( सिविल सर्जन, सदर अस्पताल गुमला )
पीटूसी : नरेश कुमार
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