गुमला: जिले के घाघरा प्रखंड क्षेत्र के पुटो गांव में लगभग 5 साल पहले प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र का भवन करोड़ों रुपए की लागत से बनाया गया है. लेकिन इस प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में न तो कोई चिकित्सक है और न ही कोई नर्स. जिसके कारण प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र लगभग बंद सा हो गया है और कभी खुल भी गया तो महज घंटे दो घंटे के बाद डॉक्टर और नर्स वहां से चल देते हैं.
डॉक्टर के अभाव में ओझा-गुणी से लेते हैं मदद
यही वजह है कि जब ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों को सही रूप स्वास्थ्य सुविधा नहीं मिलती है तब लोग अंधविश्वास के चक्कर में फंस जाते हैं. जो ग्रामीण संपन्न होते हैं वह गांव से बाहर जाकर इलाज करा लेते हैं, लेकिन जो गरीब और कम पढ़े लिखे होते हैं वे ओझाओं के चक्कर में पड़ जाते हैं. जिसमें कभी किसी महिला को डायन बताकर प्रताड़ित किया जाता है, तो कभी हत्या तक कर दी जाती है.
जर्जर है स्वास्थ्य केंद्र का भवन
इधर, पुटो प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के संबंध में स्थानीय ग्रामीणों का कहना है कि जब से यह भवन बना है तब से बंद ही है. आज तक कभी नहीं देखा है कि यहां कोई मरीज अपना इलाज करवाया हो. भवन काफी अव्यवस्थित है भवन के सारे शीशे टूट गए हैं. सभी रूम कचरे से भरा हुआ है. यूं कहें तो यह अस्पताल खुद ही बीमार है यहां मरीजों का क्या इलाज होगा.
2012 में हुआ था स्वास्थ्य केंद्र का निर्माण
वहीं, स्थानीय महिलाओं ने बताया कि अस्पताल का निर्माण 2012 में कराया गया था. उसके बाद भी यहां कोई चिकित्सक नहीं आते हैं. गांव में अस्पताल बनने के बाद भी ग्रामीण इसका लाभ नहीं ले पा रहे हैं. छोटी से छोटी बीमारी होने पर भी हम लोगों को घाघरा या फिर कहीं और जाकर इलाज कराना पड़ता है.
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सप्ताह में एक दिन आतें हैं डॉक्टर
इस मामले पर सदर अस्पताल के सिविल सर्जन का कहना है कि पुटो का प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र काफी बड़ा बना है. लेकिन वहां किसी भी डॉक्टर का पदस्थापन कभी नहीं किया गया है. जिसके कारण घाघरा के चिकित्सक को वहां प्रतिनियुक्त किया गया है जिन्हें सप्ताह में 1 दिन वहां जाकर मरीजों का इलाज करना है.