गुमला: जिले के चैनपुर पंचायत में केंद्र सरकार की महत्वपूर्ण योजना मनरेगा में भ्रष्टाचार जोरों पर था. इस खबर को ईटीवी भारत ने प्रमुखता के साथ प्रकाशित किया था. इस मामले में जिला प्रशासन ने संज्ञान लिया है.
भ्रष्टाचारियों पर कार्रवाई
गुमला प्रशासन ने इस खबर को संज्ञान में लेते हुए मामले की जांच के लिए प्रखंड प्रशासन को पत्र लिखा था. जिसके बाद चैनपुर प्रखंड प्रशासन हरकत में आया और योजना की जांच करते हुए जिन योजनाओं से अवैध तरीके से लाखों रुपए कि निकासी की गई थी. उसे वापस एनआर में जमा करा दिया है और मनरेगा कर्मियों से जुर्माना भी वसूला है. इसके साथ ही भ्रष्टाचार करने वाले मुखिया के वित्तीय अधिकार को निरस्त करने और पंचायत सेवक पर प्रपत्र "क" के तहत कार्रवाई करने के लिए जिला प्रशासन से अनुशंसा भी की है.
सिंचाई कूप निर्माण में भ्रष्टाचार
बता दें कि ईटीवी भारत की टीम ने 12 मई को "मनरेगा में मनमानी" के नाम से एक स्पेशल खबर दिखाई थी. जिस पर गुमला जिले के चैनपुर प्रखंड क्षेत्र के चैनपुर पंचायत में केंद्र सरकार की महत्वपूर्ण योजना मनरेगा में वित्तीय साल 2017-18 के बीच सिंचाई कूप निर्माण में भ्रष्टाचार की चरम सीमा को पार करते हुए, बगैर कार्य किये ही लाखों रुपए की अवैध तरीके से निकासी कर लिए गई थी.
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प्रतिष्ठान को काली सूची में डालने की अनुशंसा
खबर चलाए जाने के बाद जिला प्रशासन हरकत में आया और जांच कर वेंडर मेंसर्स सुभानी उरांव को 12% ब्याज दर के साथ तीन लाख दो हजार इकतालीस रुपये प्रखंड नजारत में जमा कराया और उनके प्रतिष्ठान को काली सूची में डालने के लिए अनुशंसा की है, जबकि पंचायत सचिव लाल मोहन भगत पर 'प्रपत्र-क' का आरोप गठित कर साक्ष्य सहित चार प्रतियों में रिपोर्ट भेजा है. वहीं, पंचायत के मुखिया मनोहर बड़ाईक के वित्तीय अधिकार को निरस्त करने की अनुशंसा जिला के अधिकारियों से की गई है. जबकि मनरेगा कर्मियों पर एक-एक हजार रुपये का जुर्माना लगाया गया है और उक्त राशि की वसूली की गई.
जांच कर सौंपी गयी रिपोर्ट
हालांकि, जिला प्रशासन के निर्देश के बाद प्रखंड प्रशासन ने जांच कर इस मामले में संलिप्त लोगों पर कार्रवाई तो जरूर की है, लेकिन प्रखंड प्रशासन ने इस पूरी जांच में "एक आंख में काजल और एक आंख में सुरमा" वाली कहावत को चरितार्थ किया है. अब इस मामले में गुमला उप विकास आयुक्त ने कहा है कि ईटीवी भारत की ओर से मामला संज्ञान में आने के उन्होंने प्रखंड प्रशासन से योजना की जांच कराकर कार्रवाई करने के लिए कहा था, जिस पर प्रखंड प्रशासन की ओर से जांच कर रिपोर्ट सौंप दी गयी है.
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अवैध तरीके से राशि की निकासी
उप विकास आयुक्त ने कहा कि प्रखंड प्रशासन ने मुखिया के वित्तीय अधिकार को निरस्त करने और पंचायत सेवक के विरुद्ध प्रपत्र "क" गठित करने के लिए अनुशंसा की है. इसके साथ ही प्रशासन की ओर से जिन राशि की अवैध तरीके से निकासी की गई थी, उसे वापस जमा करा दिया गया है, लेकिन उनसे जब पूछा गया कि प्रखंड प्रशासन की ओर से सही तरीके से जांच नहीं की गई है और कुछ लोगों को इस जांच में मामूली रूप से कार्रवाई कर छोड़ दिया गया है. इस पर उन्होंने कहा कि रिपोर्ट अभी मिली है. पूरी रिपोर्ट का अध्ययन किया जाएगा और जिन लोगों की भी इस मामले में संलिप्तता नजर आएगी, उनके विरुद्ध कानूनी कार्रवाई की जाएगी.