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गोड्डा में बंद हो सकती है ईसीएल की राजमहल परियोजना, जमीन नहीं देने की जिद पर अड़े ग्रामीण - War over land in Godda Basdiha

गोड्डा के बसडीहा में जमीन को लेकर जंग जारी है. जिसमें एक तरफ है ईसीएल प्रबंधन तो दूसरी तरफ हैं ग्रामीण. ईसीएल को कोयला उत्खनन के लिए जमीन चाहिए, वहीं ग्रामीण एक इंच भी जमीन देने को तैयार नहीं हैं, क्योंकि उन्हें ईसीएल प्रबंधन पर भरोसा नहीं है.

Villagers will not give land to ECL in Godda
प्रदर्शन करते ग्रामीण
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Published : Jan 18, 2023, 10:01 PM IST

Updated : Jan 18, 2023, 10:27 PM IST

देखें पूरी खबर

गोड्डाः जिले के ललमटिया थाना क्षेत्र में बसडीहा का इलाका बुधवार को रणभूमि का नजारा दिखा. एक तरफ ईसीएल राजमहल परियोजना के महगामा अनुमंडल प्रशासन पूरे दलबल के साथ पहुचा था तो सामने थे बसडीहा, तालझारी और भेरंडा के ग्रामीण. जिसमे महिला पुरुष सभी पारंपरिक हथियार के साथ शामिल थे. ईसीएल प्रबंधन की ओर महाप्रबंधक खुद मौके पर मौजूद थे. उनका कहना था कि हम उन जमीन की घेराबंदी करने आये जो उन्हें रैयतों ने दी है. वही दूसरी ओर स्थानीय लोग एक सुर में कहे जा रहे थे कि जान देंगे जमीन नही देंगे.

ये भी पढ़ेंः ईसीएल के बंद पड़े कोयला खदान में हुआ हादसा, एक व्यक्ति की मौत

घंटों ये दोनों ओर से तनातनी की स्थिति बनी रही. आम कॉर्पोरेट की तरह ईसीएल प्रबंधन भी लोगों को समझाने के लिए मशक्कत करती रही, लेकिन लोग मानने को तैयार नहीं थे. आखिरकार ग्रामीणों के भारी विरोध के बीच सिर्फ बसडीहा के कुछ जमीन अधिग्रहण पर सहमति बन पाई. हालांकि इस पूरे मामले पर प्रबंधन की ओर अपना पक्ष रखने को कोई तैयार नहीं थे. बात ये भी आ रही है कि फिर से ईसीएल प्रबंधन प्रशासन के सहयोग से जमीन अधिग्रहण कर सकती है.

ग्रामीण पिछले कुछ दिनों से लगातार विरोध कर रहे हैं. उनका कहना है कि ईसीएल प्रबंधन ने पूर्व में लोगों को ठगने का काम किया है. जिसका नतीजा है कि पूर्व में हुए विस्थापित लोगों में कइयो का आज तक मुआवजा और नौकरी और पुनर्वास लंबित है. वहीं जो जमीन रैयतों की ली गयी है, उसमे ग्राम सभा की सहमति नहीं ली गयी है. कुछ लोगों को प्रबंधन द्वारा अपने पक्ष में कर जमीन ली गई है. ऐसे में बगैर ग्रामसभा के भूमि अधिग्रहण को वे नहीं मानते.

ईसीएल प्रबंधन की एक बड़ी समस्या है कि उसे खनन लिए जमीन की दरकार है, अन्यथा उसका उत्पादन बंद हो जाएगा. राजमहल परियोजना से एनटीपीसी कहलगांव (बिहार) और एनटीपीसी फरक्का(प बंगाल) को कोयला आपूर्ति होती है. राजमहल परियोजना को अगर नई जमीन कोल ब्लॉक के लिये नहीं मिलती है तो कोल उत्पादन ठप हो जाएगा और इसका सीधा असर दोनों ही एनटीपीसी पर पड़ेगा. ऐसे में राजमहल परियोजना चाहती है कि जल्द नई भूमि अधिगृहित कर कोयले का उत्पादन करे, अन्यथा कोलियरी के बंद होने की भी आशंका कोल इंडिया द्वारा व्यक्त की जा चुकी है. दूसरी ओर ग्रामीणों का सीधा कहना है कि उनका विश्वास प्रबंधन पर नहीं है, पूर्व के अनुभव काफी बुरे रहे. वहीं हर कॉर्पोरेट हाउस की तरह प्रबंधन नए ब्लॉक को किसी भी परिस्थिति में पाना चाहती है और इस कारण लगातार दोनों पक्षों के बीच आये दिन तनातनी की स्थिति बनी रहती है.

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गोड्डाः जिले के ललमटिया थाना क्षेत्र में बसडीहा का इलाका बुधवार को रणभूमि का नजारा दिखा. एक तरफ ईसीएल राजमहल परियोजना के महगामा अनुमंडल प्रशासन पूरे दलबल के साथ पहुचा था तो सामने थे बसडीहा, तालझारी और भेरंडा के ग्रामीण. जिसमे महिला पुरुष सभी पारंपरिक हथियार के साथ शामिल थे. ईसीएल प्रबंधन की ओर महाप्रबंधक खुद मौके पर मौजूद थे. उनका कहना था कि हम उन जमीन की घेराबंदी करने आये जो उन्हें रैयतों ने दी है. वही दूसरी ओर स्थानीय लोग एक सुर में कहे जा रहे थे कि जान देंगे जमीन नही देंगे.

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घंटों ये दोनों ओर से तनातनी की स्थिति बनी रही. आम कॉर्पोरेट की तरह ईसीएल प्रबंधन भी लोगों को समझाने के लिए मशक्कत करती रही, लेकिन लोग मानने को तैयार नहीं थे. आखिरकार ग्रामीणों के भारी विरोध के बीच सिर्फ बसडीहा के कुछ जमीन अधिग्रहण पर सहमति बन पाई. हालांकि इस पूरे मामले पर प्रबंधन की ओर अपना पक्ष रखने को कोई तैयार नहीं थे. बात ये भी आ रही है कि फिर से ईसीएल प्रबंधन प्रशासन के सहयोग से जमीन अधिग्रहण कर सकती है.

ग्रामीण पिछले कुछ दिनों से लगातार विरोध कर रहे हैं. उनका कहना है कि ईसीएल प्रबंधन ने पूर्व में लोगों को ठगने का काम किया है. जिसका नतीजा है कि पूर्व में हुए विस्थापित लोगों में कइयो का आज तक मुआवजा और नौकरी और पुनर्वास लंबित है. वहीं जो जमीन रैयतों की ली गयी है, उसमे ग्राम सभा की सहमति नहीं ली गयी है. कुछ लोगों को प्रबंधन द्वारा अपने पक्ष में कर जमीन ली गई है. ऐसे में बगैर ग्रामसभा के भूमि अधिग्रहण को वे नहीं मानते.

ईसीएल प्रबंधन की एक बड़ी समस्या है कि उसे खनन लिए जमीन की दरकार है, अन्यथा उसका उत्पादन बंद हो जाएगा. राजमहल परियोजना से एनटीपीसी कहलगांव (बिहार) और एनटीपीसी फरक्का(प बंगाल) को कोयला आपूर्ति होती है. राजमहल परियोजना को अगर नई जमीन कोल ब्लॉक के लिये नहीं मिलती है तो कोल उत्पादन ठप हो जाएगा और इसका सीधा असर दोनों ही एनटीपीसी पर पड़ेगा. ऐसे में राजमहल परियोजना चाहती है कि जल्द नई भूमि अधिगृहित कर कोयले का उत्पादन करे, अन्यथा कोलियरी के बंद होने की भी आशंका कोल इंडिया द्वारा व्यक्त की जा चुकी है. दूसरी ओर ग्रामीणों का सीधा कहना है कि उनका विश्वास प्रबंधन पर नहीं है, पूर्व के अनुभव काफी बुरे रहे. वहीं हर कॉर्पोरेट हाउस की तरह प्रबंधन नए ब्लॉक को किसी भी परिस्थिति में पाना चाहती है और इस कारण लगातार दोनों पक्षों के बीच आये दिन तनातनी की स्थिति बनी रहती है.

Last Updated : Jan 18, 2023, 10:27 PM IST
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