गोड्डाः शहर की हकीकत यही है कि इतनी भीषण गर्मी में भी एक बड़ा इलाका डूब की चपेट में आ सकता है और नुमाइंदे इसके निदान में रुचि नहीं ले रहे हैं. दूसरी ओर तालाबों के सौंदर्यीकरण के नाम पर करोड़ों खर्च किये जा रहे हैं. भले ही गोड्डा में अब तक बारिश के दर्शन नहीं हुए हैं शहर के बीचोंबीच स्थित वार्ड दस में बाढ़ जैसे हालात हैं. इस मोहल्ले के दर्जनों घर डूबे पड़े है तो कइयों ने अपना घर छोड़ रखा है.
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गोड्डा भागलपुर रोड पर बड़े बड़े होटल और मॉल का साथ ही बहुमंजिली इमारत है, जहां पूरा दिनभर भारी भीड़ रहती है लेकिन इन भवनों के पीछे बड़े पैमाने पर जलजमाव है. इस भयावह स्थिति का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि एक तरह जिले सारे तालाब सूख गए लेकिन शहर का पारा 46 डिग्री होने के बावजूद इसका पानी नहीं सूख पाया. इस इलाके के लोग या नरकीय जीवन जीने को मजबूर हैं या फिर इलाके को छोड़कर चले गए हैं.
इस मामले पर आम आदमी नगर परिषद की ओर उम्मीद लगाए बैठी है. वहीं इसके लिए जिम्मेदार लोग शहर के अव्यवस्थित तरीके से बसे होने को वजह मानते हैं. लेकिन इस समस्या का हल निकालने की पहल जरूरी है. आज लोग जलजमाव से परेशान हैं कल इसी से महामारी फैलेगी और पूरा शहर इससे चपेट में आएगा. इसे लेकर नगरवासियों ने प्रशासन से शिकायत भी की लेकिन पहल के नाम पर खानापूर्ति की गयी.
इस मसले पर निवर्तमान नगर परिषद अध्यक्ष जितेंद्र मंडल उर्फ गुड्डू मंडल ने कहा कि उनके समय में पाइप से जल निकासी के लिए प्रयास किया गया. लेकिन कुछ लोगों के विरोध में ये अधर में चला गया. साथ ही उन्होंने कहा कि इसके लिए बड़े प्रोजेक्ट की जरूरत है तब इस समस्या का निदान होगा. विधायक अमित मंडल ने कहा कि इस बाबत 20 सूत्री की बैठक में मुद्दे उठाए थे और इसके निदान के लिए बड़ी धन राशि की जरूरत होगी.
गोड्डा में तालाब को सुंदर बनाने के लिए करोड़ों खर्च किये जा रहे हैं. सौंदर्यीकरण के नाम एक एक तालाब पर डेढ़ करोड़ (कचहरी तालाब) खर्च की जाती है. लेकिन इन जलजमाव के निदान के प्रयास क्यों नहीं किये गये. इस कार्य में नगर परिषद की दिलचस्पी नहीं होती या फिर ये फायदे का सौदा नहीं दिखता ये बात जनप्रतिनिधि को भी ध्यान देने की जरूरत है.