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Water Logging Problem in Godda: वार्ड नंबर 10 में जलजमाव, कभी-भी डूब सकता है इलाका! - ईटीवी भारत न्यूज

गोड्डा शहर में जलजमाव से लोग परेशान है. इतनी भीषण गर्मी में भी यहां पानी नहीं सूख पाया. शहर के बीचोंबीच स्थित वार्ड दस का आलम ऐसा है कि यहां बाढ़ जैसे हालात और बारिश का मौसम अभी शुरू भी नहीं हुआ है. लेकिन प्रतिनिधि इसमें रुचि नहीं ले रहे हैं.

People upset due to water logging in Ward 10 of Godda city
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Published : Jun 23, 2023, 3:43 PM IST

Updated : Jun 23, 2023, 3:58 PM IST

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गोड्डाः शहर की हकीकत यही है कि इतनी भीषण गर्मी में भी एक बड़ा इलाका डूब की चपेट में आ सकता है और नुमाइंदे इसके निदान में रुचि नहीं ले रहे हैं. दूसरी ओर तालाबों के सौंदर्यीकरण के नाम पर करोड़ों खर्च किये जा रहे हैं. भले ही गोड्डा में अब तक बारिश के दर्शन नहीं हुए हैं शहर के बीचोंबीच स्थित वार्ड दस में बाढ़ जैसे हालात हैं. इस मोहल्ले के दर्जनों घर डूबे पड़े है तो कइयों ने अपना घर छोड़ रखा है.

इसे भी पढ़ें- Health System in Jharkhand: देख रहे हैं न मंत्री जी, एमजीएम अस्पताल का हाल, नर्स इलाज छोड़ वार्ड से निकाल रही हैं पानी

गोड्डा भागलपुर रोड पर बड़े बड़े होटल और मॉल का साथ ही बहुमंजिली इमारत है, जहां पूरा दिनभर भारी भीड़ रहती है लेकिन इन भवनों के पीछे बड़े पैमाने पर जलजमाव है. इस भयावह स्थिति का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि एक तरह जिले सारे तालाब सूख गए लेकिन शहर का पारा 46 डिग्री होने के बावजूद इसका पानी नहीं सूख पाया. इस इलाके के लोग या नरकीय जीवन जीने को मजबूर हैं या फिर इलाके को छोड़कर चले गए हैं.

इस मामले पर आम आदमी नगर परिषद की ओर उम्मीद लगाए बैठी है. वहीं इसके लिए जिम्मेदार लोग शहर के अव्यवस्थित तरीके से बसे होने को वजह मानते हैं. लेकिन इस समस्या का हल निकालने की पहल जरूरी है. आज लोग जलजमाव से परेशान हैं कल इसी से महामारी फैलेगी और पूरा शहर इससे चपेट में आएगा. इसे लेकर नगरवासियों ने प्रशासन से शिकायत भी की लेकिन पहल के नाम पर खानापूर्ति की गयी.

इस मसले पर निवर्तमान नगर परिषद अध्यक्ष जितेंद्र मंडल उर्फ गुड्डू मंडल ने कहा कि उनके समय में पाइप से जल निकासी के लिए प्रयास किया गया. लेकिन कुछ लोगों के विरोध में ये अधर में चला गया. साथ ही उन्होंने कहा कि इसके लिए बड़े प्रोजेक्ट की जरूरत है तब इस समस्या का निदान होगा. विधायक अमित मंडल ने कहा कि इस बाबत 20 सूत्री की बैठक में मुद्दे उठाए थे और इसके निदान के लिए बड़ी धन राशि की जरूरत होगी.

गोड्डा में तालाब को सुंदर बनाने के लिए करोड़ों खर्च किये जा रहे हैं. सौंदर्यीकरण के नाम एक एक तालाब पर डेढ़ करोड़ (कचहरी तालाब) खर्च की जाती है. लेकिन इन जलजमाव के निदान के प्रयास क्यों नहीं किये गये. इस कार्य में नगर परिषद की दिलचस्पी नहीं होती या फिर ये फायदे का सौदा नहीं दिखता ये बात जनप्रतिनिधि को भी ध्यान देने की जरूरत है.

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गोड्डाः शहर की हकीकत यही है कि इतनी भीषण गर्मी में भी एक बड़ा इलाका डूब की चपेट में आ सकता है और नुमाइंदे इसके निदान में रुचि नहीं ले रहे हैं. दूसरी ओर तालाबों के सौंदर्यीकरण के नाम पर करोड़ों खर्च किये जा रहे हैं. भले ही गोड्डा में अब तक बारिश के दर्शन नहीं हुए हैं शहर के बीचोंबीच स्थित वार्ड दस में बाढ़ जैसे हालात हैं. इस मोहल्ले के दर्जनों घर डूबे पड़े है तो कइयों ने अपना घर छोड़ रखा है.

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गोड्डा भागलपुर रोड पर बड़े बड़े होटल और मॉल का साथ ही बहुमंजिली इमारत है, जहां पूरा दिनभर भारी भीड़ रहती है लेकिन इन भवनों के पीछे बड़े पैमाने पर जलजमाव है. इस भयावह स्थिति का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि एक तरह जिले सारे तालाब सूख गए लेकिन शहर का पारा 46 डिग्री होने के बावजूद इसका पानी नहीं सूख पाया. इस इलाके के लोग या नरकीय जीवन जीने को मजबूर हैं या फिर इलाके को छोड़कर चले गए हैं.

इस मामले पर आम आदमी नगर परिषद की ओर उम्मीद लगाए बैठी है. वहीं इसके लिए जिम्मेदार लोग शहर के अव्यवस्थित तरीके से बसे होने को वजह मानते हैं. लेकिन इस समस्या का हल निकालने की पहल जरूरी है. आज लोग जलजमाव से परेशान हैं कल इसी से महामारी फैलेगी और पूरा शहर इससे चपेट में आएगा. इसे लेकर नगरवासियों ने प्रशासन से शिकायत भी की लेकिन पहल के नाम पर खानापूर्ति की गयी.

इस मसले पर निवर्तमान नगर परिषद अध्यक्ष जितेंद्र मंडल उर्फ गुड्डू मंडल ने कहा कि उनके समय में पाइप से जल निकासी के लिए प्रयास किया गया. लेकिन कुछ लोगों के विरोध में ये अधर में चला गया. साथ ही उन्होंने कहा कि इसके लिए बड़े प्रोजेक्ट की जरूरत है तब इस समस्या का निदान होगा. विधायक अमित मंडल ने कहा कि इस बाबत 20 सूत्री की बैठक में मुद्दे उठाए थे और इसके निदान के लिए बड़ी धन राशि की जरूरत होगी.

गोड्डा में तालाब को सुंदर बनाने के लिए करोड़ों खर्च किये जा रहे हैं. सौंदर्यीकरण के नाम एक एक तालाब पर डेढ़ करोड़ (कचहरी तालाब) खर्च की जाती है. लेकिन इन जलजमाव के निदान के प्रयास क्यों नहीं किये गये. इस कार्य में नगर परिषद की दिलचस्पी नहीं होती या फिर ये फायदे का सौदा नहीं दिखता ये बात जनप्रतिनिधि को भी ध्यान देने की जरूरत है.

Last Updated : Jun 23, 2023, 3:58 PM IST
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