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NSUI ने गोड्डा और गिरिडीह में निकाला मशाल जुलूस, कृषि कानून का किया विरोध

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Published : Jan 9, 2021, 8:45 PM IST

कृषि कानून को लेकर देश भर में किसानों का प्रदर्शन जारी है. इसी क्रम में गोड्डा और गिरिडीह में एनएसयूआई ने मशाल जुलूस निकाल कर कृषि कानून का विरोध किया और कानून को वापस लेने की मांग की.

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NSUI ने गोड्डा और गिरिडीह में निकाला मशाल जुलूस

गोड्डा/गिरिडीहः केंद्र सरकार की ओर से जारी कृषि कानून के विरोध में दिल्ली में किसानों का प्रदर्शन जारी है. झारखंड में भी आंदोलनरत किसानों को समर्थन मिल रहा है. इसी क्रम में गोड्डा और गिरिडीह में एनएसयूआई ने मशाल जुलूस निकाल कर कृषि कानून का विरोध किया और कानून को वापस लेने की मांग की.

गोड्डा में एनएसयूआई के बैनर तले मशाल जुलूस
गोड्डा जिले के महागामा प्रखंड के अंतर्गत अब्दुल्ला चौक हीर करहरिया में एनएसयूआई के बैनर तले मशाल जुलूस का कार्यक्रम किया गया. जिसका मुख्य उद्देश्य केंद्र सरकार का ध्यान आंदोलन कर रहे किसानों के ऊपर केंद्रित करने का था. कार्यक्रम में एनएसयूआई जिला अध्यक्ष मुन्ना राजा ने कहा केंद्र में बैठी सरकार गूंगी और बहरी हो चुकी है. अन्नदाता किसान दिल्ली के बॉर्डर पर आंदोलन करने बैठे हैं, लेकिन केंद्र सरकार की ओर से अनदेखी की जा रही है. वहीं मौके पर मिनहाजुल हक ने कहा कि यह सरकार सिर्फ पूंजीपतियों की सरकार है. पूंजीपतियों को ही सिर्फ फायदा पहुंचाना चाहती है. उनको गरीब किसान से कोई मतलब नहीं है इसलिए किसान आंदोलन की अनदेखी की जा रही है.

इसे भी पढ़ें- पलामूः 10 एकड़ में लगी पोस्ता फसल को किया गया नष्ट, प्रशासन लगातार कर रहा है कार्रवाई


गिरिडीह में कृषि कानून को वापस लेने की मांग
कृषि कानून के विरोध में शनिवार को गिरिडीह में एनएसयूआई की ओर से मशाल जुलूस निकाला गया. मशाल जुलूस भारतीय राष्ट्रीय छात्र संगठन के जिला अध्यक्ष मोहम्मद सरफराज अंसारी के नेतृत्व में निकाला गया. जुलूस में कांग्रेस पार्टी के जिला अध्यक्ष नरेश वर्मा और कांग्रेस नेता सतीश केडिया के साथ-साथ भारतीय राष्ट्रीय छात्र संगठन के पदाधिकारी और कार्यकर्ता मौजूद थे. एनएसयूआई के जिलाध्यक्ष सरफराज अंसारी ने बताया कि आने वाले समय में अगर केंद्र सरकार कृषि कानून में संशोधन नहीं करती है और न्यूनतम समर्थन मूल्य पर कानून नहीं बनाती है तो गिरिडीह जिले से रांची तक छात्र किसान आंदोलन में भाग लेंगे. वहीं, कांग्रेस पार्टी के जिलाध्यक्ष नरेश वर्मा ने कहा कि यह सरकार पूंजीपतियों की सरकार है. झारखंड प्रदेश कांग्रेस कमेटी के सतीश केडिया ने बताया कि लगभग डेढ़ माह से ज्यादा हो चुका है, किसान खुले आसमान के नीचे धरने पर बैठे हैं. लगभग 50 से ज्यादा किसानों की मौत हो चुकी है. केंद्र सरकार ने किसानों की सुध लेने की कोशिश भी नहीं की है.

गोड्डा/गिरिडीहः केंद्र सरकार की ओर से जारी कृषि कानून के विरोध में दिल्ली में किसानों का प्रदर्शन जारी है. झारखंड में भी आंदोलनरत किसानों को समर्थन मिल रहा है. इसी क्रम में गोड्डा और गिरिडीह में एनएसयूआई ने मशाल जुलूस निकाल कर कृषि कानून का विरोध किया और कानून को वापस लेने की मांग की.

गोड्डा में एनएसयूआई के बैनर तले मशाल जुलूस
गोड्डा जिले के महागामा प्रखंड के अंतर्गत अब्दुल्ला चौक हीर करहरिया में एनएसयूआई के बैनर तले मशाल जुलूस का कार्यक्रम किया गया. जिसका मुख्य उद्देश्य केंद्र सरकार का ध्यान आंदोलन कर रहे किसानों के ऊपर केंद्रित करने का था. कार्यक्रम में एनएसयूआई जिला अध्यक्ष मुन्ना राजा ने कहा केंद्र में बैठी सरकार गूंगी और बहरी हो चुकी है. अन्नदाता किसान दिल्ली के बॉर्डर पर आंदोलन करने बैठे हैं, लेकिन केंद्र सरकार की ओर से अनदेखी की जा रही है. वहीं मौके पर मिनहाजुल हक ने कहा कि यह सरकार सिर्फ पूंजीपतियों की सरकार है. पूंजीपतियों को ही सिर्फ फायदा पहुंचाना चाहती है. उनको गरीब किसान से कोई मतलब नहीं है इसलिए किसान आंदोलन की अनदेखी की जा रही है.

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गिरिडीह में कृषि कानून को वापस लेने की मांग
कृषि कानून के विरोध में शनिवार को गिरिडीह में एनएसयूआई की ओर से मशाल जुलूस निकाला गया. मशाल जुलूस भारतीय राष्ट्रीय छात्र संगठन के जिला अध्यक्ष मोहम्मद सरफराज अंसारी के नेतृत्व में निकाला गया. जुलूस में कांग्रेस पार्टी के जिला अध्यक्ष नरेश वर्मा और कांग्रेस नेता सतीश केडिया के साथ-साथ भारतीय राष्ट्रीय छात्र संगठन के पदाधिकारी और कार्यकर्ता मौजूद थे. एनएसयूआई के जिलाध्यक्ष सरफराज अंसारी ने बताया कि आने वाले समय में अगर केंद्र सरकार कृषि कानून में संशोधन नहीं करती है और न्यूनतम समर्थन मूल्य पर कानून नहीं बनाती है तो गिरिडीह जिले से रांची तक छात्र किसान आंदोलन में भाग लेंगे. वहीं, कांग्रेस पार्टी के जिलाध्यक्ष नरेश वर्मा ने कहा कि यह सरकार पूंजीपतियों की सरकार है. झारखंड प्रदेश कांग्रेस कमेटी के सतीश केडिया ने बताया कि लगभग डेढ़ माह से ज्यादा हो चुका है, किसान खुले आसमान के नीचे धरने पर बैठे हैं. लगभग 50 से ज्यादा किसानों की मौत हो चुकी है. केंद्र सरकार ने किसानों की सुध लेने की कोशिश भी नहीं की है.

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