गोड्डा: जिले की बिटिया मोनालिसा पहाड़िया समुदाय जो विलुप्तप्राय आदिम जनजाति है उससे आती हैं. उन्हें जयपाल सिंह मुंडा खेल रत्न (Jaipal Singh Munda Khel Ratna) सम्मान से सम्मानित किया जाएगा. यह पुरस्कार उम्मीद फाउंडेशन संस्थान के माध्यम से हर वर्ष दिया जाता है. अलग अलग क्षेत्र मसलन खेल, पत्रकारिता, सिनेमा, समाजसेवा आदि में राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर अद्वितीय काम करने वाले लोगों को यह सम्मान दिया जाता है.
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3 जनवरी को रांची में पुरस्कार वितरण: पुरस्कार रांची में 3 जनवरी को कांके स्थित CMPDI के मयूरी साभागार में दिया जाएगा. बताते चलें कि इस दिन जयपाल सिंह मुंडा का जन्म दिवस भी है. जयपाल सिंह मुंडा एक राजनयिक के साथ-साथ एक खिलाड़ी भी रहे हैं. उन्होंने पहली बार भारत को अपनी कप्तानी में 1928 में एमर्स्टड्म ओलम्पिक में हॉकी का स्वर्ण पदक दिलाया था. उन्हीं के सम्मान में यह पुरस्कार दिया जाता है. साल 2022 का यह खेल रत्न पुरस्कार गोड्डा की बेटी मोनालिसा को दिया जाना है.
मोनालिसा में खेल के लिए जुनून: मोनालिसा पहाड़िया जनजाति से आती हैं खेल के प्रति उनका जुनून ही है कि उसने इंजीनियरिंग की बीआईटी मेसरा की पढ़ाई छोड़ खेल को चुना. पूर्व में वो क्रिकेट खेला करती थी. राज्य स्तर तक खेली. लेकिन फिर उनका झुकाव नेटबॉल के प्रति हो गया और फिर 34वीं नेशनल गेम में झारखंड की ओर से खेलीं. फिर कई दफा उन्होंने राज्य का प्रतिनिधित्व किया. लेकिन उनका दुर्भाग्य रहा कि राष्ट्रीय टीम में चयन और विदेश दौरे के लिए चयनित होने के बावजूद कभी वीजा तो कभी लॉकडाउन की वजह से नहीं जा पाई.
गुंजन झा मोनालिसा के कोच : बावजूद उसने हार नहीं मानी. लेकिन इस कहानी के बड़े किरदार एक राष्ट्रीय खिलाड़ी गुंजन झा रहे. जिन्हें उसने कोच के रुप में अंगीकार किया. फिर दोनों ने मिलकर नेटबॉल को गोड्डा में गांव- गांव तक पहुंचाया. आज जूनियर, सब जूनियर और अंडर 19 की पूरी टीम झारखंड के गोड्डा से बनती है. जिसने झारखंड को राष्ट्रीय स्तर पर बालिका वर्ग में दो दफा कांस्य पदक और लड़कों की टीम ने रजत पदक दिलाया है.
मोनालिसा बच्चों को देती है प्रशिक्षण: मोनालिसा खुद सीनियर टीम में खेलती है. साथ में गुंजन झा समेत आधे दर्जन से ज्यादा खिलाड़ी आज भी गोड्डा से झारखंड के लिए खेलते हैं. सिर्फ गोड्डा में 2000 से ज्यादा खिलाड़ी मोनालिसा से प्रशिक्षण पा रहे हैं. जिनमें 1200 लड़किया हैं. इनमें 8- 25 साल के प्रतिभागी शामिल हैं, 100 से ज्यादा राष्ट्रीय खिलाड़ी हैं. जिसने राज्य का अलग अलग वर्ग में प्रतिनिधित्व किया. सच कहें तो सिमडेगा की तरह (हॉकी की नर्सरी) गोड्डा भी अब नेटबॉल की नर्सरी बन गई है और इसका श्रेय मोनालिसा के साथ गुंजन को जाता है.
मोनालिसा ने मां को समर्पित किया सम्मान : अब जब खेल रत्न के लिए मोनालिसा चयनित हुई हैं. वो इसका श्रेय अपने माता-पिता को देती हैं. साथ ही कोच गुंजन झा और सभी सीनियर और गोड्डा जिला नेटबॉल संघ को देना नहीं भूलती. वहीं मोनालिसा के पिता ने कहा मैं मोना की कामायाबी से खुश हूं. आगे उसके कामयाबी की दुआ करता हूं. कुछ दिन पूर्व ही मोना की मां का निधन हुआ है. जो हमेशा उसे न केवल बढ़ावा देती थी, बल्कि खेल के मैदान में पहुंच उत्साहवर्धन करती थी. वो अपने सम्मान को अपनी मां को समर्पित करती है.