ETV Bharat / state

निशिकांत दुबे की पहली जीत का JMM कनेक्शन, अंतिम समय में मिला था दुर्गा का साथ - गोड्डा न्यूज

लोकसभा चुनाव को लेकर राजनीतिक बिसात बिछ चुकी है. एक-एक कर तमाम राजनीतिक दल अब अपने पत्ते भी खोलने लगे हैं. गोड्डा से सांसद निशिकांत दुबे दो बार बीजेपी की ओर से जीत का परचम लहरा चुके हैं. लेकिन बहुत कम लोगों को ये पता होगा कि निशिकांत दुबे का जेएमएम कनेक्शन भी है.

देखें पूरी खबर.
author img

By

Published : Mar 19, 2019, 1:06 PM IST

गोड्डा: लोकसभा चुनाव को लेकर राजनीतिक बिसात बिछ चुकी है. एक-एक कर तमाम राजनीतिक दल अब अपने पत्ते भी खोलने लगे हैं. गोड्डा से सांसद निशिकांत दुबे दो बार बीजेपी की ओर से जीत का परचम लहरा चुके हैं. लेकिन बहुत कम लोगों को ये पता होगा कि निशिकांत दुबे का जेएमएम कनेक्शन भी है.

देखें पूरी खबर.

दरअसल, निशिकांत दुबे की राजनीति में एंट्री साल 2009 में हुई थी जब गोड्डा के लिए अनजान चेहरा होने के बावजूद उन्होंने राजनीति के दो दिग्गजों को पूर्व बना दिया था. निशिकांत दुबे की पलही जीत का का रहस्य आज भी अनसुलझा है. राजनीत में नए समझे जाने वाले मैनेजमेंट के छात्र का गणित जब तक लोग समझ पाते तक वे माननीय बन चुके थे.

उस वक्त चुनावी अखाड़े में कांग्रेस से फुरकान अंसारी, जेवीएम से प्रदीप यादव और भाजपा से निशिकांत दुबे मैदान में थे. झारखंड में जेएमएम और कांग्रेस के बीच गठबंधन हुआ था इसके तहत गोड्डा की सीट कांग्रेस के हिस्से में आयी थी. नामांकन की आखिरी तारीख थी और समय भी समाप्त होने ही वाला था कि अंतिम समय मे दुर्गा सोरेन पहुंचे और गठबंधन के विपरीत नामांकन दर्ज कर दिया और इसे दोस्ताना संघर्ष का नाम दिया गया.

परिणाम आने के बाद लोगों ने इस जीत की वजह दुर्गा सोरेन को बताया. इसके कुछ ही दिन बाद दुर्गा सोरेन का असामयिक निधन हो गया. निशिकांत दुबे दुर्गा सोरेन को अपना मित्र बताते हैं और ये भी स्वीकारते हैं कि लोग कहते है कि दुर्गा सोरेन को उन्होंने खड़ा करवा कर चुनाव जीत लिया. अब देखना दिलचस्प होगा कि मैनेजमेंट के छात्र रहे निशीकांत दुबे इस चुनाव में किस रणनीति के तहत मैदान में उतरते हैं.

गोड्डा: लोकसभा चुनाव को लेकर राजनीतिक बिसात बिछ चुकी है. एक-एक कर तमाम राजनीतिक दल अब अपने पत्ते भी खोलने लगे हैं. गोड्डा से सांसद निशिकांत दुबे दो बार बीजेपी की ओर से जीत का परचम लहरा चुके हैं. लेकिन बहुत कम लोगों को ये पता होगा कि निशिकांत दुबे का जेएमएम कनेक्शन भी है.

देखें पूरी खबर.

दरअसल, निशिकांत दुबे की राजनीति में एंट्री साल 2009 में हुई थी जब गोड्डा के लिए अनजान चेहरा होने के बावजूद उन्होंने राजनीति के दो दिग्गजों को पूर्व बना दिया था. निशिकांत दुबे की पलही जीत का का रहस्य आज भी अनसुलझा है. राजनीत में नए समझे जाने वाले मैनेजमेंट के छात्र का गणित जब तक लोग समझ पाते तक वे माननीय बन चुके थे.

उस वक्त चुनावी अखाड़े में कांग्रेस से फुरकान अंसारी, जेवीएम से प्रदीप यादव और भाजपा से निशिकांत दुबे मैदान में थे. झारखंड में जेएमएम और कांग्रेस के बीच गठबंधन हुआ था इसके तहत गोड्डा की सीट कांग्रेस के हिस्से में आयी थी. नामांकन की आखिरी तारीख थी और समय भी समाप्त होने ही वाला था कि अंतिम समय मे दुर्गा सोरेन पहुंचे और गठबंधन के विपरीत नामांकन दर्ज कर दिया और इसे दोस्ताना संघर्ष का नाम दिया गया.

परिणाम आने के बाद लोगों ने इस जीत की वजह दुर्गा सोरेन को बताया. इसके कुछ ही दिन बाद दुर्गा सोरेन का असामयिक निधन हो गया. निशिकांत दुबे दुर्गा सोरेन को अपना मित्र बताते हैं और ये भी स्वीकारते हैं कि लोग कहते है कि दुर्गा सोरेन को उन्होंने खड़ा करवा कर चुनाव जीत लिया. अब देखना दिलचस्प होगा कि मैनेजमेंट के छात्र रहे निशीकांत दुबे इस चुनाव में किस रणनीति के तहत मैदान में उतरते हैं.

Intro:निशीकांत की पहली जीत का अनसुलझा रहस्य,दुर्गा सोरेन की अंतिम समय मे एंट्री थी एक साथ किसी से दोस्ती-दुश्मनी साधने के प्रयास या कुछ और नोट-स्व दुर्गा सोरेन की फ़ाइल फ़ोटो है


Body:गोड्डा लोक सभा सीट को लेकर राजनीतिक बिसात पूरी तरह बिछ चुका।जहाँ मुकाबले की स्थिति भी कमोबेश साफ साफ है।अगर अंतिम समय हालात 2009 वाले न हो तो। गोड्डा लोक सभा के सांसद निशीकांत दुबे की राजनीति में एंट्री दर असल 2009 में ही हुई जब गोड्डा के लिए अनजान से चेहरा होने के बावजूद राजनीति के दो दिग्गज को पूर्व बना दिया था।ये थे कांग्रेस के फुरकान अंसारी व जेवीएम के प्रदीप यादव। निशीकांत दुबे की 2009 की पहली जीत का रहस्य आज भी अनसुलझा है।लोग राजनीत में नए समझे जाने वाले लेकिन मैनेजमेंट के छात्र का गणित जब तक समझते तक वे चुनाव नित सांसद बन चुके थे। अब पहेलियां न बुझाते हुए पते की बात पर आता हूं।दर असल उस वक़्त चुनावी अखाड़े में कांग्रेस से फुरकान अंसारी,जेवीएम से प्रदीप यादव और भाजपा से निशीकांत दुबे मैदान में थे।इनमें प्रदीप यादव और फुरकान अंसारी दोनों ही एक- एक जीत दर्ज कर गोड्डा के सांसद बन चुके थे।ऐसे में लग रहा था कि इन्ही दोनों में कोई जीत दर्ज करेगा। गोड्डा समेत पूरे झारखंड में jmm और कांग्रेस के गठबंधन था।और इसी धर्म के तहत गोड्डा की सीट कांग्रेस के हिस्से आयी थी।और नामांकन की आखिरी तारीख थी और समय भी समाप्त होने ही वाला था ।कि अंतिम समय मे jmm सुप्रीमो शिबू सोरेन के बड़े बेटे दुर्गा सोरेन पहुचे और गठबंधन के विपरीत नामांकन दर्ज कर दिया और नाम दिया गया दोस्ताना संघर्ष का। और जब परिणाम आये तो निशीकांत दुबे महज 1 प्रतिसाद से भी कम 6 हज़ार मतो से जीत दर्ज की। निशीकांत दुबे -(bjp)-189526,फुरकान अंसारी(cong)183119 ,प्रदीप यादव(jvm)176926 के अलावा दुर्गा सोरेन(jmm)-79153 मत प्राप्त किया। निशीकांत दुबे की जीत की वजह लोगो ने दुर्गा सोरेन को बताया।इसके कुछ ही दिन दुर्गा सोरेन का असामयिक निधन हो गया।खुद निशीकांत दुबे दुर्गा सोरेन को अपना मित्र बताते है।और ये स्वीकारते है कि लोग कहते है कि दुर्गा सोरेन उन्होंने खड़ा करवा कर चुनाव जीत लिया। अब सवाल ये है कि आखिर निशीकांत दुबे का jmm कनेक्शन है क्या।क्या दुर्गा सोरेन सोरेन से वाकई निशीकांत दुबे मित्रता थी और इसी कारण वे गठबंधन को तक पर रख चुनाव में उतरे थे या फिर दुर्गा सोरेन की किसी से अदावत थी अथवा कुछ और ये आज भी रहस्य है।वही निशीकांत दुबे पर दुर्गा सोरेन के छोटे भाई और jmm के कार्यकारी अध्यक्ष भले आग उगलते हो लेकिन निशीकांत दुबे उन्हें छोटा भाई बता कहते है उनसे उनके राजनीतिक नही पारिवारिक रिश्ते है।अब चुनाव में लोग कहेंगे ही कि ये बाहर लड़ने वाले नेताओं का आखिर अंदर खाने कौन सा कनेक्शन है। bt-निशीकांत दुबे-bjp सांसद गोड्डा bt-हेमंत सोरेन-jmm कार्यकारी अध्यक्ष


Conclusion:अब देखना दिलचस्प होगा कि मैनेजमेंट का छात्र उद्योग धंधे से निशीकांत दुबे का कौन सा नया प्लान इस चुनाव में फायदा दिलाता है या फिर सौदा घाटे का होता है।
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.