गोड्डा: लोकसभा चुनाव को लेकर राजनीतिक बिसात बिछ चुकी है. एक-एक कर तमाम राजनीतिक दल अब अपने पत्ते भी खोलने लगे हैं. गोड्डा से सांसद निशिकांत दुबे दो बार बीजेपी की ओर से जीत का परचम लहरा चुके हैं. लेकिन बहुत कम लोगों को ये पता होगा कि निशिकांत दुबे का जेएमएम कनेक्शन भी है.
दरअसल, निशिकांत दुबे की राजनीति में एंट्री साल 2009 में हुई थी जब गोड्डा के लिए अनजान चेहरा होने के बावजूद उन्होंने राजनीति के दो दिग्गजों को पूर्व बना दिया था. निशिकांत दुबे की पलही जीत का का रहस्य आज भी अनसुलझा है. राजनीत में नए समझे जाने वाले मैनेजमेंट के छात्र का गणित जब तक लोग समझ पाते तक वे माननीय बन चुके थे.
उस वक्त चुनावी अखाड़े में कांग्रेस से फुरकान अंसारी, जेवीएम से प्रदीप यादव और भाजपा से निशिकांत दुबे मैदान में थे. झारखंड में जेएमएम और कांग्रेस के बीच गठबंधन हुआ था इसके तहत गोड्डा की सीट कांग्रेस के हिस्से में आयी थी. नामांकन की आखिरी तारीख थी और समय भी समाप्त होने ही वाला था कि अंतिम समय मे दुर्गा सोरेन पहुंचे और गठबंधन के विपरीत नामांकन दर्ज कर दिया और इसे दोस्ताना संघर्ष का नाम दिया गया.
परिणाम आने के बाद लोगों ने इस जीत की वजह दुर्गा सोरेन को बताया. इसके कुछ ही दिन बाद दुर्गा सोरेन का असामयिक निधन हो गया. निशिकांत दुबे दुर्गा सोरेन को अपना मित्र बताते हैं और ये भी स्वीकारते हैं कि लोग कहते है कि दुर्गा सोरेन को उन्होंने खड़ा करवा कर चुनाव जीत लिया. अब देखना दिलचस्प होगा कि मैनेजमेंट के छात्र रहे निशीकांत दुबे इस चुनाव में किस रणनीति के तहत मैदान में उतरते हैं.