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एक की मौत पर दूसरे ने श्मशान तक नहीं छोड़ा साथ! जानिए, बेजुबानों की दोस्ती की ये अनोखी कहानी - ईटीवी भारत न्यूज

दोस्ती, एक ऐसी भावना जिससे कोई भी अछूता नहीं रहता, चाहे वो इंसान हो या फिर बेजुबान जानवर. कुछ ऐसी ही दोस्ती के भाव गोड्डा में देखने को मिली. ईटीवी भारत की रिपोर्ट से जानिए, अनोखी दोस्ती की ये अनोखी कहानी.

Godda Langur died due to electric shock other one upset and reached graveyard
गोड्डा में एक लंगूर की मौत पर दूसरा लंगूर उसके शव के साथ श्मशान तक पहुंचा
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By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Sep 24, 2023, 6:02 PM IST

गोड्डा में एक लंगूर की मौत पर दूसरा लंगूर शव के साथ श्मशान तक पहुंचा

गोड्डाः इंसानों की तरह बेजुबानों में भी दोस्ती के भाव नजर आते हैं. हमेशा एक-दूसरे के साथ रहे, अब एक के बिछड़ने का दुख दूसरे को जरूर सताता है. वो कभी अपने साथी के शव को देखता है तो कभी उस ठेले को निहारता है. अपने साथी की अंतिम यात्रा में श्मशान तक अंतिम विदाई देकर उस बेजुबान ने दोस्ती का फर्ज भरपूर अदा किया.

इसे भी पढ़ें- बेजुबान रिश्ता: हिन्दू रीति रिवाज से बंदर का किया अंतिम संस्कार, जिसने भी देखा आंख भर आई

गोड्डा जिला की सड़कों पर दो लंगूर की दोस्ती की अनोखी बानगी नजर आई. दरअसल, एक लंगूर की करंट से मौत हो गयी. इसके बाद कुछ लोगों की मदद से उसके शव को ठेले पर लादकर अंतिम यात्रा निकाली गयी. इसके बाद लंगूर के शव के साथ-साथ उसका दूसरा साथी भी उस ठेले पर आकर सवार हो गया. इस बीच वो कभी लाल कपड़े में लिपटे अपने मित्र के शव को निहारता रहा, तो कभी मायूस होकर इधर-उधर लोगों को देखता रहा. मानो उसका मित्र कह रहा हो कि मेरे दोस्त को क्या हो गया, उसे लाल कपड़े में क्यों लपेटा है, उसे उठाओ, मुझे उसके साथ खेलना है.

गोड्डा की सड़कों पर सरेबाजार ठेले के साथ उसका साथी लंगूर पूरे वक्त तक उसके साथ चलता रहा. लंगूर ठेले के हैंडल पर बैठकर अपने साथी की अंतिम यात्रा में पूरे रास्ते भर शरीक हुआ. दोस्ती की ये दिल को छू लेने वाला दृश्य देखकर लोगों की आंखें भी नम गयीं.

इस बाबत लंगूर का शव ले जा रहे ठेला चालकों का मन भी काफी दुखी हो गया. ठेला चला रहे युवक ने बताया कि इन दोनों लंगूर की दोस्ती देखकर उनकी भी आंखें भर आईं. लड़के ने बताया कि दोनों लंगूर काफी देर से एक साथ खेल रहे थे. इसी दौरान अचानक से एक बिजली के तार की चपेट में आने से एक लंगूर की मौत हो गयी. उसके बाद से लंगूर का दूसरा साथी वहां से नहीं हटा. लंगूर के शव को जब ठेले पर रखा गया, उसके बाद भी वो हैंडल पर आकर बैठ गया. इतना ही नहीं लोगों के द्वारा दिये गये फल और केले को लंगूर ने छूआ तक नहीं, बस अपने साथी के शव को निहारता रहा. वो सुध-बुध खोकर बस कभी अपने दोस्त निहारता तो कभी भीड़ को, उसकी नम आंखें काफी कुछ बयान कर रही थीं. बेजुबानों का ये दर्द इंसानों से कमतर नहीं था, जिसने भी इस दृश्य को देखा उनकी भी आंखें भर आईं.

गोड्डा में एक लंगूर की मौत पर दूसरा लंगूर शव के साथ श्मशान तक पहुंचा

गोड्डाः इंसानों की तरह बेजुबानों में भी दोस्ती के भाव नजर आते हैं. हमेशा एक-दूसरे के साथ रहे, अब एक के बिछड़ने का दुख दूसरे को जरूर सताता है. वो कभी अपने साथी के शव को देखता है तो कभी उस ठेले को निहारता है. अपने साथी की अंतिम यात्रा में श्मशान तक अंतिम विदाई देकर उस बेजुबान ने दोस्ती का फर्ज भरपूर अदा किया.

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गोड्डा जिला की सड़कों पर दो लंगूर की दोस्ती की अनोखी बानगी नजर आई. दरअसल, एक लंगूर की करंट से मौत हो गयी. इसके बाद कुछ लोगों की मदद से उसके शव को ठेले पर लादकर अंतिम यात्रा निकाली गयी. इसके बाद लंगूर के शव के साथ-साथ उसका दूसरा साथी भी उस ठेले पर आकर सवार हो गया. इस बीच वो कभी लाल कपड़े में लिपटे अपने मित्र के शव को निहारता रहा, तो कभी मायूस होकर इधर-उधर लोगों को देखता रहा. मानो उसका मित्र कह रहा हो कि मेरे दोस्त को क्या हो गया, उसे लाल कपड़े में क्यों लपेटा है, उसे उठाओ, मुझे उसके साथ खेलना है.

गोड्डा की सड़कों पर सरेबाजार ठेले के साथ उसका साथी लंगूर पूरे वक्त तक उसके साथ चलता रहा. लंगूर ठेले के हैंडल पर बैठकर अपने साथी की अंतिम यात्रा में पूरे रास्ते भर शरीक हुआ. दोस्ती की ये दिल को छू लेने वाला दृश्य देखकर लोगों की आंखें भी नम गयीं.

इस बाबत लंगूर का शव ले जा रहे ठेला चालकों का मन भी काफी दुखी हो गया. ठेला चला रहे युवक ने बताया कि इन दोनों लंगूर की दोस्ती देखकर उनकी भी आंखें भर आईं. लड़के ने बताया कि दोनों लंगूर काफी देर से एक साथ खेल रहे थे. इसी दौरान अचानक से एक बिजली के तार की चपेट में आने से एक लंगूर की मौत हो गयी. उसके बाद से लंगूर का दूसरा साथी वहां से नहीं हटा. लंगूर के शव को जब ठेले पर रखा गया, उसके बाद भी वो हैंडल पर आकर बैठ गया. इतना ही नहीं लोगों के द्वारा दिये गये फल और केले को लंगूर ने छूआ तक नहीं, बस अपने साथी के शव को निहारता रहा. वो सुध-बुध खोकर बस कभी अपने दोस्त निहारता तो कभी भीड़ को, उसकी नम आंखें काफी कुछ बयान कर रही थीं. बेजुबानों का ये दर्द इंसानों से कमतर नहीं था, जिसने भी इस दृश्य को देखा उनकी भी आंखें भर आईं.

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