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साहित्यकार ज्ञानेंद्रपति ने ईटीवी भारत से की बातचीत, मतदाताओं से कहा सही प्रत्याशियों के पक्ष में करें वोट - गोड्डा में चुवान को लेकर साहित्यकार की राय

साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित साहित्यकार ज्ञानेंद्रपति ने विधानसभा चुनाव को लेकर अपनी बात रखी. उन्होंने लोगों से अपने मत का प्रयोग सही प्रत्याशियों के लिए करने की अपील की है.

साहित्यकार ज्ञानेंद्रपति ने ईटीवी भारत से की बातचीत
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Published : Nov 21, 2019, 12:24 PM IST

गोड्डा: मतदान के महत्व पर साहित्यकार और कवि ज्ञानेंद्रपति से ईटीवी भारत के संवाददाता ने खास बातचीत की, जिसमें उन्होंने अपनी बातों को बेबाकी से रखा. उन्होंने कहा कि लोकतंत्र में मताधिकार एक ऐसी प्रक्रिया है, जिसमें आप अपने पसंद के उम्मीदवार को चुनते हैं.

देखें साहित्यकार ज्ञानेंद्रपति से खास बातचीत

साहित्यकार ज्ञानेंद्रपति ने बातचीत के दौरान कहा कहा कि कई बार आपको लगता है कि आपके पसंद के प्रत्याशी नहीं हैं, तो आपके पास NOTA का ऑप्शन है, जिसके माध्यम से आप ये जता सकते हैं कि कोई भी प्रत्याशी मुझे पसंद नहीं है. ऐसे में आप अपनी नाराजगी भी मतदान के माध्यम से रख सकते हैं.

इसे भी पढ़ें:- बीजेपी दोस्त, यार और पूंजीपतियों की पार्टी, लूट-खसोट में लगी है झारखंड सरकारः वृंदा करात

उम्मीदवारों के व्यक्तित्व और आचरण को परखना जरूरी
ज्ञानेंद्रपति ने कहा कि आप उम्मीदवारों के व्यक्तित्व और आचरण को परखकर ही उन्हें वोट करें, जिसे आप मत दे रहे हैं वो धरातल पर कितना खरा उतर सकता है, वो शोषित, दलित और वंचित की आवाज बनने में कितना कारगर है. उन्होंने लोगों से उसे ही वोट करने की अपील की जो उनकी बातों को सही मंच पर रख सकता है.

मेनिफेस्टो पर उठाए सवाल
कवि ज्ञानेंद्रपति ने राजनीतिक दलों के मेनिफेस्टो पर सवाल उठाते हुए कहा कि ये पूरी तरह से बेईमानी हो गई है. मेनिफेस्टो का कोई मतलब मायने नहीं रह गया है. ऐसे में मतदाता वैसे उम्मीदवारों का चयन करें, जिससे उनका सरल संवाद हो सके.

इसे भी पढ़ें:- बीजेपी छोड़ एलजेपी में शामिल हुए विष्णुकांत झा, रघुवर सराकर पर लगाए लूट-खसोट के आरोप

ज्ञानेंद्रपति गोड्डा जिले के पथरगामा के रहने वाले हैं. उन्हें वर्ष 2006 में संशयात्मा शीर्षक कविता संग्रह के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार के अलावा कई और भी सम्मान मिल चुके हैं. वो फिलहाल बनारस में रह रहे हैं. उनके गंगा तट, कवि ने कहा, आंख बनते हाथ, समेत कई रचनाओं की काफी सराहना हुई है.

गोड्डा: मतदान के महत्व पर साहित्यकार और कवि ज्ञानेंद्रपति से ईटीवी भारत के संवाददाता ने खास बातचीत की, जिसमें उन्होंने अपनी बातों को बेबाकी से रखा. उन्होंने कहा कि लोकतंत्र में मताधिकार एक ऐसी प्रक्रिया है, जिसमें आप अपने पसंद के उम्मीदवार को चुनते हैं.

देखें साहित्यकार ज्ञानेंद्रपति से खास बातचीत

साहित्यकार ज्ञानेंद्रपति ने बातचीत के दौरान कहा कहा कि कई बार आपको लगता है कि आपके पसंद के प्रत्याशी नहीं हैं, तो आपके पास NOTA का ऑप्शन है, जिसके माध्यम से आप ये जता सकते हैं कि कोई भी प्रत्याशी मुझे पसंद नहीं है. ऐसे में आप अपनी नाराजगी भी मतदान के माध्यम से रख सकते हैं.

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उम्मीदवारों के व्यक्तित्व और आचरण को परखना जरूरी
ज्ञानेंद्रपति ने कहा कि आप उम्मीदवारों के व्यक्तित्व और आचरण को परखकर ही उन्हें वोट करें, जिसे आप मत दे रहे हैं वो धरातल पर कितना खरा उतर सकता है, वो शोषित, दलित और वंचित की आवाज बनने में कितना कारगर है. उन्होंने लोगों से उसे ही वोट करने की अपील की जो उनकी बातों को सही मंच पर रख सकता है.

मेनिफेस्टो पर उठाए सवाल
कवि ज्ञानेंद्रपति ने राजनीतिक दलों के मेनिफेस्टो पर सवाल उठाते हुए कहा कि ये पूरी तरह से बेईमानी हो गई है. मेनिफेस्टो का कोई मतलब मायने नहीं रह गया है. ऐसे में मतदाता वैसे उम्मीदवारों का चयन करें, जिससे उनका सरल संवाद हो सके.

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ज्ञानेंद्रपति गोड्डा जिले के पथरगामा के रहने वाले हैं. उन्हें वर्ष 2006 में संशयात्मा शीर्षक कविता संग्रह के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार के अलावा कई और भी सम्मान मिल चुके हैं. वो फिलहाल बनारस में रह रहे हैं. उनके गंगा तट, कवि ने कहा, आंख बनते हाथ, समेत कई रचनाओं की काफी सराहना हुई है.

Intro:साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित साहित्यकार ज्ञानेंद्रपति ने कहा कि लोकतंत्र की आधारशिला है मतदान प्रक्रिया।जिसमे हर नागरिक का ये कर्तव्य है कि वो इसमें अपनी भागीदारी सुनिश्चित करे।


Body:मतदान के महत्व पर साहित्यकार व कवि ज्ञानेन्द्रपति अपने बेवाक राय etv भारत के साथ शेयर करते हुए कहा कि लोकतंत्र की प्रक्रिया में मताधिकार एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमे आप अपने पसंद के उम्मीदवार को चुनते है।कई बार आपको लगता है कि आपके पसंद नही मिलते है तो आपके पास वर्तमान समय मे ईवीएम में ऑप्शन है कि NOTA का है।निस्के माध्यम से आप ये जता सकते की उपरोक्त कोई प्रत्याशी मुझे पसंद नही।ऐसे में आप अपनी नाराजगी भी मतदान के माध्यम से रख सकते है।
इतना ही नही उन्होंने कहा की आप अपने उम्मीदवार के वॉयक्तिक आचरण को परखकर उन्हें वोट करे,जाने की व्यक्ति जिसे आप मत दे रहे है वो मनुष्यता के धरातल कितना खरा उतरता है।वो शोषित,दलित ,वंचित की आवाज़ बनने में कितना कारगर है।क्योंकि जनता के मन मे होता कि वे जिन्हें चुने वो उनका नुमाइंदा हो,उनकी बातों की सही मंच पर रख सके।
कवि ज्ञानेन्द्रपति राजनीतिक दलो के के मेनिफेस्टो पर सवाल उठाए,उन्होंने कहा कि ये पूरी तरह से बेईमानी हो गयी।इसके कोई मतलब मायने नही रह गयी है,ऐसे आम मतदाता अपने उम्मीदवारों की सुचिता और वैयक्तिक आचरण ,व्यवहार को केंद्र रख कर चयन जिससे आपका सरल संवाद हो सके।
ज्ञानेन्द्रपति गोड्डा जिले के पथरगामा के रहने वाले है।उन्हें वर्ष 2006 में संशयात्मा शीर्षक कविता संग्रह के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार के अलावा कई और भी सम्मान मिल चुके है।उनका फिलहाल बनारस मर रहना हो रहा है।उनके गंगा तट,कवि ने कहा,आंख बनते हाथ समेत कई रचनाएं सराही गयी है।
bt-ज्ञानेन्द्रपति-साहित्य अकादमी से सम्मानित साहित्यकार
से बात चीत


Conclusion:na

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