गोड्डा: पहले मौसम की मार और अब कोरोना के प्रकोप ने देशभर के किसानों को संकट में डाल दिया है. लॉकडाउन के दौरान दूसरे राज्यों से लौटकर गांव आए प्रवासी मजदूरों के पास अब खेती के अलावा कोई दूसरा काम नहीं है. ऐसे में मंहगे हो चुके बीज और खाद खरीदने की चिंता जिले के किसानों को सताने लगी है.
एक तरफ कोरोना ने किसानों की कमर तोड़ दी तो दूसरी तरफ मंहगाई से किसान त्राहिमाम कर रहे हैं. परदेस कमाने गए किसानों ने वहां जो कुछ भी कमाया था, वो लॉकडाउन के दौरान खत्म हो गए. ऐसे में उनके पास सरकारी मदद और बैंक से लोन लेने के अलावा कोई और रास्ता नहीं दिख रहा है. खाद और बीज की कीमत इस कदर आसमान छू रही है कि किसानों की हिम्मत टूटने लगी है. धान की खेती के लिए 4400 रुपए प्रति क्विंटल बीज खरीदना पड़ रहा है, उसी धान के उत्पाद को बेचने समय उन्हें मात्र 1200 रुपए प्रति क्विंटल ही मिलता है.
खाद-बीज हुआ मंहगा
गोड्डा के किसान बताते हैं कि खाद-बीज के अलावा जुताई-बुआई भी काफी मंहगी हो गई है. इस सब से अगर किसान किसी तरह निपट ले तो उनके सामने सबसे बड़ी चुनौती सिंचाई की होती है. मानसून ने अगर साथ दिया तो फसल होगी, नहीं तो उन्हें इससे भी निराशा मिलती है. किसानों ने बताया कि इस साल अच्छे मानसून के आसार बताए जा रहे हैं, लेकिन पिछले साल इसका अनुभव काफी खराब रहा था. ऐसे में किसानों के सामने हमेशा जोखिम बना रहता है.
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केसीसी लोन से किसानों को मिलेगा फायदा
इसको लेकर बैंक के अधिकारी बताते हैं कि किसानों को सरकारी योजनाओं के तहत हमेशा से मदद मिलती रही है. बैंक की ओर से अभी तक 424 किसानों को केसीसी लोन दिया गया है और जिन किसानों को लोन नहीं मिला है, उन्हें भी लोन दिया जाएगा. सरकारी दावों के विपरीत कई किसानों का कहना है कि उन्हें कोई राशि खाते में नहीं मिली है. गोड्डा के किसानों की माने तो उन्हें बीज खरीद में भी सब्सिडी की कोई सुविधा नहीं मिल रही है. कॉपरेटिव बैंक के मैनेजर के अनुसार लॉकडाउन के दौरान आर्थिक संकट झेल रहे सभी किसानों को इस बार केसीसी ऋण दिया जाएगा. जो किसान अभी तक किसी भी बैंक से लोन नहीं ले पाए हैं उन्हें उनके बैंक की ओर से लोन दिया जाएगा. इसके साथ ही किसानों को 1 रुपए टोकन मनी पर फसल बीमा का प्रावधान है. पिछले वित्तीय साल में गोड्डा के 5 हजार किसानों को फसल बीमा से जोड़ा गया है.
कोरोना संकट की घड़ी में गरीब किसानों के सामने आर्थिक संकट उत्पन्न हो गई है. खाद और बीज के दाम आसमान छू रहे हैं. जिसके कारण बेरोजगार हो चुके किसानों को दोहरी मार पड़ी है. अब बस इन्हें सरकार से मदद की उम्मीद है, ताकि इस विपरित परिस्थिति से निकल पाएं.