गोड्डाः जिले में ईस्टर्न कोलफील्ड राजमहल परियोजना के जरिए सीएसआर फंड से महगामा में 300 बेड वाला अस्पताल बनना प्रस्तावित है क्योंकि इस पूरे ईसीएल परियोजना क्षेत्र में और पूरे महगामा अनुमंडल में कोई भी ढंग का हॉस्पिटल नहीं है. महगामा में एक रेफरल हॉस्पिटल है जहां इलाज नाम मात्र का होता है, सिर्फ सभी मरीज रेफर किये जाते हैं.
श्रेय लेने की लगी होड़
ऐसे में पिछले दो सालों से महगामा में 300 बेड वाले हॉस्पिटल की खूब चर्चा है. इसे लेकर सांसद और विधायक की श्रेय लेने की होड़ लगी है. निश्चित ही जनप्रतिनिधियों ने अपने स्तर पर इस हॉस्पिटल के लिए खासा प्रयास किया है. इस बाबत ईसीएल ने 240.08 करोड़ जारी किया है लेकिन राज्य सरकार की ओर से कोई राशि मिली ही नहीं है. ईसीएल ने झारखंड सरकार के स्वास्थ्य मंत्रालय के सचिव को पत्र भी जारी किया है. बता दें कि शुरुआत में जगह को लेकर उहापोह था कि इसे कहां बनना है. शुरुआत में सांसद की तरफ से कभी मोहनपुर, कभी हंसडीहा समेत कई जगहों की बात चली लेकिन अंततः महगामा में बनना तय हुआ. जैसा कि ईसीएल के पत्र में भी उल्लेख है लेकिन जिस वक्त ये महगामा में बनना तय हुआ था उस वक्त केंद्र और राज्य सरकार दोनों जगह बीजेपी की सरकार थी और सभी प्रतिनिधि भाजपाई थे लेकिन अब स्थितियां बदल गयी हैं.
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सांसद-विधायक में ठनी
ईसीएल राजमहल परियोजना का मूल क्षेत्र गोड्डा जिला में तो है लेकिन ये बोरियो विधानसभा में पड़ता है. जहां के विधायक लोबिन हेम्ब्रम हैं और ये क्षेत्र राजमहल लोकसभा में पड़ता है. वहीं, ईसीएल का ऑफिसियल एरिया महगामा गोड्डा लोकसभा में है, जिसके सांसद बीजेपी के निशिकांत दुबे हैं जबकि महगामा की विधायक कांग्रेस की दीपिका पांडेय सिंह हैं.सांसद निशिकांत दुबे ये प्रस्तावित हॉस्पिटल महगामा में बनाना चाहते हैं, लेकिन जेएमएम विधायक लोबिन हेम्ब्रम इसे हर हाल में ललमटिया के आसपास बनाना चाहते हैं जो बोरियो विधानसभा और राजमहल लोकसभा में है. इसे लेकर सांसद राज्य सरकार पर मामला उलझाने के आरोप लगाते हैं तो विधायक लोबिन हेम्ब्रम किसी भी कीमत में इसे महगामा में नहीं बनने देने की बात करते हैं और कहते हैं ऐसा हुआ तो ईसीएल को एक इंच जमीन नही देंगे. वहीं, आम जनता ठगा हुआ महसुस कर रही है और कह रही है कि जमीन कहीं भी हो लेकिन अस्पताल पर राजनीति नहीं हो नहीं तो दो साल गुजर गए हैं कहीं इंतजार में उम्र न गुजर जाए.