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भगोड़े डॉक्टर से लोग परेशान, नर्स के सहारे चल रहा अस्पताल

गोड्डा जिले के राजा भिटा स्वास्थ्य केंद्र में आने वाले मरीजों को निराश होकर ही लौटना पड़ता है. इसका कारण है यहां डॉक्टर ही नहीं हैं. नर्स के सहारे अस्पताल चल रहा है. यहां के लोग कहते हैं कि इलाज की जगह यहां आने पर जान गंवानी पड़ती है.

राजा भिटा स्वास्थ्य केंद्र गोड्डा
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Published : Aug 9, 2019, 5:02 AM IST

गोड्डा: जिले के राजा भिटा स्वास्थ्य केंद्र वैसे दिखने में कोई बड़ा सा अस्पताल दिखता है. लेकिन जब यहां मरीज इलाज के लिए पहुंचते हैं तब उन्हें यहां की हकीकत से रूबरू होना पड़ता है.

भगवान भरोसे मरीज

निराश होकर लौटना पड़ता है
इस स्वास्थ्य केंद्र में स्वास्थकर्मी के नाम पर दो नर्स पदस्थापित हैं. वहीं एक चिकित्सक मो खालिद नियुक्ति तो हैं लेकिन उन्होंने भी अपनी सुविधा के मुताबिक अपनी प्रतिनियुक्ति महगामा में करवा ली है. ऐसे में जो मरीज आते हैं उन्हें निराश होकर लौटना पड़ता है.

ये भी पढ़ें- उपराष्ट्रपति के रांची दौरे को लेकर सुरक्षा की तैयारियां, IPS, DSP सहित 1000 जवानों के जिम्मे सुरक्षा

2012 में हुआ था उद्धाटन
लोग तो यहां तक कहते हैं कि यहां इलाज की जगह जान गंवानी पड़ती है. बता दें कि इस हॉस्पिटल का उद्घाटन 2012 में तत्कालीन स्वास्थ्यमंत्री हेमलाल मुर्मू द्वारा किया गया था.

गोड्डा: जिले के राजा भिटा स्वास्थ्य केंद्र वैसे दिखने में कोई बड़ा सा अस्पताल दिखता है. लेकिन जब यहां मरीज इलाज के लिए पहुंचते हैं तब उन्हें यहां की हकीकत से रूबरू होना पड़ता है.

भगवान भरोसे मरीज

निराश होकर लौटना पड़ता है
इस स्वास्थ्य केंद्र में स्वास्थकर्मी के नाम पर दो नर्स पदस्थापित हैं. वहीं एक चिकित्सक मो खालिद नियुक्ति तो हैं लेकिन उन्होंने भी अपनी सुविधा के मुताबिक अपनी प्रतिनियुक्ति महगामा में करवा ली है. ऐसे में जो मरीज आते हैं उन्हें निराश होकर लौटना पड़ता है.

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2012 में हुआ था उद्धाटन
लोग तो यहां तक कहते हैं कि यहां इलाज की जगह जान गंवानी पड़ती है. बता दें कि इस हॉस्पिटल का उद्घाटन 2012 में तत्कालीन स्वास्थ्यमंत्री हेमलाल मुर्मू द्वारा किया गया था.

Intro:करोड़ो की लागत से बने हॉस्पिटल में नही है डॉक्टर,इलाज की जगह मिलती है मौत


Body:गोड्डा जिले राजा भिटा स्वास्थ केंद्र वैसे दिखने में कोई बड़ा सा अस्पताल दिखता है।लेकिन जब यहां मरीज यह इलाज के लिए पहुचता है तब उसे यहां हकीकत से रु व रु होना पड़ता है।
इस स्वास्थ्य केंद्र में स्वास्थ कर्मी के नाम पर दो नर्स पदस्थापित है।वही एक चिकित्सक मो खालिद को नियुक्ति तो है।लेकिन उन्होंने भी अपनी सुविधा के मुताबिक अपनी प्रतिनियुक्ति महगामा में करवा ली है।ऐसे में जो मरीज आते है उन्हें निराश होकर लौट जाना है।लोग तो यहाँ तक कहते है कि यहां इलाज की जगह जान गवानी पड़ती है।
ज्ञात हो कि इस हॉस्पिटल का उद्घाटन 2012 में तत्कालीन स्वास्थ्यमंत्री हेमलाल मुर्मू द्वारा किया गया था।
bt-ग्रामीण
bt-ग्राम प्रधान


Conclusion:सवाल उठता है की ऐसे में सिर्फ बड़े भवन से कैसे लोगों का इलाज संभव है।जरूरत है चिकित्सको की।
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