गोड्डा: जिले के एक मात्र महिला आईटीआई संस्थान बना तो था महिलाओं को तकनीकी रुप से दक्ष कर उन्हें सशक्त बनाने के लिए, लेकिन इस भवन में पढ़ाई छोड़कर वो सारे काम होते है जो समय-समय पर जिला प्रशासन चाहती है. दरअसल महिला आईटीआई के निर्माण की शुरुआत 2008-09 में हुई और फिर भवन बनकर 2012 में पूरा हो गया, लेकिन फिर उसे उसके हाल पर छोड़ दिया गया.
यहां कभी चुनाव की मतगणना तो कभी स्ट्रांग रूम बनाया जाता है, तो कभी इस भवन में अर्ध सैनिक बल का कैंप बना दिया जाता. काफी हिल हुज्जत के बाद बड़े ही तामझाम के साथ महिला आईटीआई कॉलेज का उद्घाटन 2016 में तत्कालीन श्रम और नियोजन मंत्री राज पलिवार की तरफ से किया गया. लगा कि अब कॉलेज नियमित रूप से चलेगा.
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इसके लिए शिक्षक और अन्य स्टाफ के अनुबंध पर संस्थान में प्राचार्य समेत अन्य पदों पर नियुक्ति की बात कही गई, लेकिन फिर कुछ ही दिनों में सब आई गई बात हो गयी. संस्थान के खिड़की के शीशे टूटे पड़े हैं. कोई मौके पर बताने वाला नहीं है. गोड्डा के महिला जान प्रतिनिधि हो अथवा आम युवा सभी बस यही कहते कि सरकारों को भवन निर्माण में दिलचस्पी होती है. वजह इसके पीछे ठीकेदारी होती है, लेकिन इस तरह के शैक्षणिक संस्थान के स्थायी पड़ सृजित करने के बाद ही खोला जाए तब वो अपने उद्देश्यों को पा सकता है. अन्य ऐसे भवन बस शहर और जिले की शोभा बन कर रह जाती है.