गिरिडीहः जैन तीर्थस्थल मधुबन में अवस्थित 13 पंथी कोठी विवादों में घिर गई है. कोठी में 20 साल से अधिक तक सेवा दे चुके यूपी के एक कर्मी की पत्नी ने कई आरोप संस्था पर लगाए हैं. महिला का कहना है कि जब तक उसके पति स्वस्थ थे तब तक नौकरी पर रखा गया. लेकिन जैसे ही उनके पति की तबियत बिगड़ी और वे दोनों हाथों से लाचार हो गए तो संस्था प्रबंधन ने न सिर्फ वेतन बंद कर दिया, बल्कि पति के स्थान पर उसे काम नहीं दिया गया और न ही उनका जमा पैसा दिया जा रहा है.
क्या है पूरा मामलाः दरअसल उत्तर प्रदेश के बलिया के रहने वाले अरविंद कुमार श्रीवास्तव मधुबन के 13 पंथी कोठी में काम करते थे. दो वर्ष पूर्व अरविंद के बांए हाथ ने काम करना बंद कर दिया. उसका इलाज शुरू हुआ लेकिन धीरे धीरे दोनों हाथों ने काम करना बंद कर दिया. इस मामले पर अरविंद की पत्नी सीमा श्रीवास्तव का कहना है कि उनका कोई बच्चा भी नहीं है. पति के काम पर नहीं जाने से तनख्वाह मिलना बंद हो गया और उनके समक्ष भुखमरी की नौबत आन पड़ी. वह काम मांगने कोठी के प्रबंधक के पास पहुंची लेकिन काम नहीं दिया गया. जितने दिन पति ने संस्था में काम किया उसके बदले नियमनुसार जो रकम मिलनी चाहिए वह भी नहीं दी जा रही है. अब वह कोर्ट की शरण में गई है. सीमा का कहना है कि संस्था उसके पति को मिलनेवाली रकम का भुगतान करें और साथ ही साथ उसे नियोजित करे.
दो दशक की सेवा के बाद संस्था ने कह दिया हमें आपकी जरूरत नहीं, जानिए क्यों - giridih news
गिरिडीह में दोनों हाथों से लाचार हो चुके एक व्यक्ति की पत्नी ने जैन संस्था पर काम के साथ साथ पैसा नहीं देने का आरोप लगाया है. महिला का यह कहना है कि जब उसके पति की तबीयत ठीक थी तो उनसे काम लिया गया. लेकिन अस्वस्थ होते ही संस्था ने उन्हें एक झटके में निकाल दिया. हालांकि संस्था महिला के आरोपों को गलत बता रही है.
गिरिडीहः जैन तीर्थस्थल मधुबन में अवस्थित 13 पंथी कोठी विवादों में घिर गई है. कोठी में 20 साल से अधिक तक सेवा दे चुके यूपी के एक कर्मी की पत्नी ने कई आरोप संस्था पर लगाए हैं. महिला का कहना है कि जब तक उसके पति स्वस्थ थे तब तक नौकरी पर रखा गया. लेकिन जैसे ही उनके पति की तबियत बिगड़ी और वे दोनों हाथों से लाचार हो गए तो संस्था प्रबंधन ने न सिर्फ वेतन बंद कर दिया, बल्कि पति के स्थान पर उसे काम नहीं दिया गया और न ही उनका जमा पैसा दिया जा रहा है.
क्या है पूरा मामलाः दरअसल उत्तर प्रदेश के बलिया के रहने वाले अरविंद कुमार श्रीवास्तव मधुबन के 13 पंथी कोठी में काम करते थे. दो वर्ष पूर्व अरविंद के बांए हाथ ने काम करना बंद कर दिया. उसका इलाज शुरू हुआ लेकिन धीरे धीरे दोनों हाथों ने काम करना बंद कर दिया. इस मामले पर अरविंद की पत्नी सीमा श्रीवास्तव का कहना है कि उनका कोई बच्चा भी नहीं है. पति के काम पर नहीं जाने से तनख्वाह मिलना बंद हो गया और उनके समक्ष भुखमरी की नौबत आन पड़ी. वह काम मांगने कोठी के प्रबंधक के पास पहुंची लेकिन काम नहीं दिया गया. जितने दिन पति ने संस्था में काम किया उसके बदले नियमनुसार जो रकम मिलनी चाहिए वह भी नहीं दी जा रही है. अब वह कोर्ट की शरण में गई है. सीमा का कहना है कि संस्था उसके पति को मिलनेवाली रकम का भुगतान करें और साथ ही साथ उसे नियोजित करे.