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गिरिडीह: अटका नरसंहार में मारे गए लोगों को दी गई श्रद्धांजलि, 22 वर्ष पूर्व नक्सलियों ने दिया था अंजाम - गिरिडीह में अटका नरसंहार की 22 वीं बरसी

बगोदर, गिरिडीह जिले में मंगलवार को अटका नरसंहार की 22 वीं बरसी पर श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया गया. इस मौके पर अटका पड़ाव मैदान में स्थित शहीद वेदी पर पूर्व विधायक नागेन्द्र महतो, भाजपा नेता शत्रुध्न प्रसाद मंडल सहित परिजनों ने पुष्पांजलि अर्पित कर श्रद्धांजलि दी. आज के दिन ही 22 साल पूर्व पुलिस वर्दीधारी नक्सलियों ने पंचायत में बैठे निहत्थे लोगों पर गोलियों की बौछार की थी.

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Published : Jul 7, 2020, 3:52 PM IST

Updated : Jul 7, 2020, 4:31 PM IST

बगोदर, गिरिडीह: बगोदरा के अटका नरसंहार की 22 वीं बरसी पर मंगलवार को श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया गया. 22 साल पूर्व आज के दिन हुई इस नरसंहार में 10 लोगों की हत्या कर दी गई थी. घटना में तत्कालीन मुखिया मथुरा प्रसाद मंडल भी मारे गए थे. तत्कालीन मुखिया मथुरा प्रसाद मंडल सहित सभी 10 लोगों को श्रद्धांजलि दी गई. श्रद्धांजलि के मौके पर अटका पड़ाव मैदान में स्थित शहीद वेदी पर बगोदर के पूर्व विधायक नागेन्द्र महतो, भाजपा नेता शत्रुध्न प्रसाद मंडल, मुखिया जिबाधन मंडल, मुखिया प्रतिनिधि रामकृष्ण मेहता सहित परिजनों ने पुष्पांजलि अर्पित कर श्रद्धांजलि दी.

इस मौके पर दिवंगत लोगों की याद में दो मिनट का लोगों ने मौन भी धारण किया गया. पूर्व विधायक नागेन्द्र महतो ने कहा कि इस जघन्य घटना का अंजाम किसके इशारे पर दिया गया था, इसका उद्भेदन आज तक नहीं हो पाया है. नरसंहार में मारे गए लोगों के आश्रितों को नौकरी न मिलने पर भी उन्होंने चिंता जताई.

जिस समय वे एमएलएल थे, उस समय नौकरी का मामला विधानसभा में भी उठाया था, मगर बिहार और झारखंड के चक्कर में आश्रित परिजनों को नौकरी नहीं मिलने की बात सामने आई थी. उन्होंने कहा कि नरसंहार की घटना भले हीं एकीकृत बिहार के समय में हुई थी और फिर 2000 में अलग राज्य झारखंड का गठन हो गया, मगर सवाल यह है कि बिहार और झारखंड से आश्रित परिजनों को कोई लेना-देना नहीं था, उन्हें नौकरी मिलनी चाहिए. किसी ने पति को खोया था, तो किसी ने बेटा.

इसे भी पढ़ें-सरायकेला: सिविल सर्जन ने स्वास्थ्य विभाग के तीन कर्मियों को किया शो-कॉज, 24 घंटे के अंदर मांगा जवाब

22 साल पूर्व आज ही के दिन यानी मंगलवार 7 जुलाई 1998 को पुलिस वर्दीधारी नक्सलियों ने पंचायत में बैठे निहत्थे लोगों पर गोलियों की बौछार कर दी थी. इस घटना में तत्कालीन मुखिया मथुरा प्रसाद मंडल सहित 10 लोग मारे गए थे.

22 साल पूरे होने पर भी नहीं मिली नौकरी
घटना के बाद तत्कालीन सीएम राबड़ी देवी सहित कई आला अधिकारी घटनास्थल पहुंचे थे. घटना में मारे गए लोगों के प्रति शोक व्यक्त करते हुए आश्रित परिवारों के एक-एक सदस्य को नौकरी, मुआवजा के तौर पर एक-एक लाख नगद और इंदिरा आवास देने की घोषणा की गई थी. घोषणा के मुताबिक इंदिरा आवास और मुआवजा राशि तो आश्रितों को मिल गई, मगर घटना के 22 साल पूरे हो गए हैं और किसी को नौकरी नहीं मिली है.

इन लोगों की हुई थी हत्या
नरसंहार की घटना में 10 लोगों की हत्या हुई थी. इस घटना में अटका के तत्कालीन मुखिया मथुरा प्रसाद मंडल, बिहारी महतो, भोपाली महतो, जगन्नाथ महतो, सरजू महतो, दशरथ महतो, सीताराम महतो, रघुनाथ प्रसाद, मिलन प्रसाद और तुलसी महतो की मौत हो गई थी.

बगोदर, गिरिडीह: बगोदरा के अटका नरसंहार की 22 वीं बरसी पर मंगलवार को श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया गया. 22 साल पूर्व आज के दिन हुई इस नरसंहार में 10 लोगों की हत्या कर दी गई थी. घटना में तत्कालीन मुखिया मथुरा प्रसाद मंडल भी मारे गए थे. तत्कालीन मुखिया मथुरा प्रसाद मंडल सहित सभी 10 लोगों को श्रद्धांजलि दी गई. श्रद्धांजलि के मौके पर अटका पड़ाव मैदान में स्थित शहीद वेदी पर बगोदर के पूर्व विधायक नागेन्द्र महतो, भाजपा नेता शत्रुध्न प्रसाद मंडल, मुखिया जिबाधन मंडल, मुखिया प्रतिनिधि रामकृष्ण मेहता सहित परिजनों ने पुष्पांजलि अर्पित कर श्रद्धांजलि दी.

इस मौके पर दिवंगत लोगों की याद में दो मिनट का लोगों ने मौन भी धारण किया गया. पूर्व विधायक नागेन्द्र महतो ने कहा कि इस जघन्य घटना का अंजाम किसके इशारे पर दिया गया था, इसका उद्भेदन आज तक नहीं हो पाया है. नरसंहार में मारे गए लोगों के आश्रितों को नौकरी न मिलने पर भी उन्होंने चिंता जताई.

जिस समय वे एमएलएल थे, उस समय नौकरी का मामला विधानसभा में भी उठाया था, मगर बिहार और झारखंड के चक्कर में आश्रित परिजनों को नौकरी नहीं मिलने की बात सामने आई थी. उन्होंने कहा कि नरसंहार की घटना भले हीं एकीकृत बिहार के समय में हुई थी और फिर 2000 में अलग राज्य झारखंड का गठन हो गया, मगर सवाल यह है कि बिहार और झारखंड से आश्रित परिजनों को कोई लेना-देना नहीं था, उन्हें नौकरी मिलनी चाहिए. किसी ने पति को खोया था, तो किसी ने बेटा.

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22 साल पूर्व आज ही के दिन यानी मंगलवार 7 जुलाई 1998 को पुलिस वर्दीधारी नक्सलियों ने पंचायत में बैठे निहत्थे लोगों पर गोलियों की बौछार कर दी थी. इस घटना में तत्कालीन मुखिया मथुरा प्रसाद मंडल सहित 10 लोग मारे गए थे.

22 साल पूरे होने पर भी नहीं मिली नौकरी
घटना के बाद तत्कालीन सीएम राबड़ी देवी सहित कई आला अधिकारी घटनास्थल पहुंचे थे. घटना में मारे गए लोगों के प्रति शोक व्यक्त करते हुए आश्रित परिवारों के एक-एक सदस्य को नौकरी, मुआवजा के तौर पर एक-एक लाख नगद और इंदिरा आवास देने की घोषणा की गई थी. घोषणा के मुताबिक इंदिरा आवास और मुआवजा राशि तो आश्रितों को मिल गई, मगर घटना के 22 साल पूरे हो गए हैं और किसी को नौकरी नहीं मिली है.

इन लोगों की हुई थी हत्या
नरसंहार की घटना में 10 लोगों की हत्या हुई थी. इस घटना में अटका के तत्कालीन मुखिया मथुरा प्रसाद मंडल, बिहारी महतो, भोपाली महतो, जगन्नाथ महतो, सरजू महतो, दशरथ महतो, सीताराम महतो, रघुनाथ प्रसाद, मिलन प्रसाद और तुलसी महतो की मौत हो गई थी.

Last Updated : Jul 7, 2020, 4:31 PM IST
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