गिरिडीहः पारसनाथ को लेकर जैन धर्म के आंदोलन के बाद ईको टूरिज्म की गतिविधियों पर केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय ने रोक लगा दी. इसके साथ ही पारसनाथ क्षेत्र में मांस- मदिरा के साथ साथ ट्रैकिंग और कैंपिंग पर रोक लगाई गई है. इसके बाद जैन धर्म के लोगों ने आंदोलन समाप्त कर दिया. जैन धर्म के लोगों ने सरकार के निर्णय का स्वागत भी किया. इस बीच आदिवासी समाज ने सरकार के इस निर्णय का विरोध शुरू कर दिया है.
यह भी पढ़ेंः पारसनाथ पर्वत विवादः सरकार के फैसले पर जताई नाराजगी, कहा- आदिवासियों की हुई अनदेखी तो नहीं करेंगे बर्दाश्त
आदिवासी समाज पारसनाथ को मारंग बुरु कहते हैं और इनका कहना है कि सरकार ने उनकी अनदेखी की है. आदिवासी समाज और स्थानीय लोगों ने इसे लेकर आंदोलन की रणनीति तैयार कर ली है. मरांग बुरु पारसनाथ बचाओ संघर्ष समिति के बैनर तले 10 जनवरी को मधुबन में महजुटान की तैयारी है. इस महजुटान में बोरियो के झामुमो विधायक लोबिन हेम्ब्रोम, झारखंडी भाषा संघर्ष समिति के प्रदेश संयोजक जयराम महतो, सावंत सुसार बैसि के बुधन हेम्ब्रोम, सिकंदर हेम्ब्रोम, स्थानीय नेता अमर तुरी समेत आदिवासी-मूलवासी के कई नेता मौजूद रहेंगे.
पुख्ता किया गया सुरक्षा व्यवस्थाः इस महजुटान कार्यक्रम में काफी भीड़ जुटने की उम्मीद है. ऐसे में प्रशासन ने भी सुरक्षा व्यवस्था को दुरुस्त किया है. डीसी नमन प्रियेश लकड़ा, एसपी अमित रेणू ने सुरक्षा व्यवस्था की जानकारी ली है. एएसपी हारिश बिन जमां के नेतृत्व में सुरक्षा का पुख्ता इंतजाम किया गया है. विधि व्यवस्था को लेकर डुमरी एसडीएम प्रेमलता मुर्मू, एसडीपीओ मनोज कुमार, इंस्पेक्टर परमेश्वर लियांगी, थानेदार मृत्युंजय सिंह, दिलशन बिरुआ ने रणनीति बनाई है. मंगलवार को होने वाले इस महजुटान कार्यक्रम के दौरान मुख्यालय से पुलिस बलों की प्रतिनियुक्ति की जाएगी. वैसे पिछले 15 दिनों से मधुबन की सुरक्षा बढ़ाई गई है.
10 को होगा शंखनाद: इस महजुटान को लेकर मरांग बुरु पारसनाथ बचाओ संघर्ष समिति ने बैठक की है. इस बैठक में कार्यक्रम की रूपरेखा को तैयार की जाएगी. सांवता सुसार बैसि के जिला सचिव सिकंदर हेम्ब्रोम ने कहा कि पारसनाथ बचाने और सरकारी नोटिफिकेशन में मरांग बुरु का जिक्र करवाने के लिए आंदोलन की रूप रेखा तैयार की गई है. उन्होंने कहा कि इस महजुटान कार्यक्रम में स्थानीय आदिवासी व मूलवासी ही नहीं, बल्कि देश के विभिन्न राज्यों से आदिवासी समाज के लोग हिस्सा लेंगे. उन्होंने कहा कि 30 जनवरी को उलिहातू में भूख हड़ताल किया जाएगा. इसके बाद 2 फरवरी को भोगनाडीह में महजुटान होगा. सिकंदर ने कहा कि केंद्र व राज्य सरकार द्वारा पारसनाथ पर्वत को जैनियों का मोक्ष स्थल बताया जा रहा है. मरांग बुरु का कहीं जिक्र नहीं है. जबकि इस पारसनाथ पर्वत को आदिवासी समाज मरांग बुरु कहते हैं. इसी पर्वत पर इनका मरांग बुरु जुग जाहेरथान एवं मरांग बुरु मांझी थान है.