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नवरात्रि में औषधीय पौधों के फल और पत्ते टांग कर दूर की जाती है नकारात्मक ऊर्जा, दशकों से चली आ रही परंपरा

दुर्गा उत्सव के दौरान कई परंपराएं सदियों से चली आ रही हैं. लोग इन परंपराओं का पालन भी कर रहे हैं. गिरिडीह में ऐसी ही परंपरा है औषधीय पौधों के अंश या फल लगाने की. ऐसा माना जाता है कि इन पौधों के हिस्सों को लटकाने से घर में नकारात्मक ऊर्जा नष्ट हो जाती है. Tradition of planting parts or fruits of medicinal plants in Giridih

medicinal plants during Durga Puja
medicinal plants during Durga Puja
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By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Oct 22, 2023, 6:28 PM IST

Updated : Oct 22, 2023, 10:04 PM IST

नवरात्रि में औषधीय पौधों के फल और पत्ते टांग कर दूर की जाती है नकारात्मक ऊर्जा

गिरिडीह: दुर्गा पूजा का त्यौहार हर्ष और उल्लास के साथ मनाया जा रहा है. अष्टमी पूजा के दिन प्रत्येक पूजा पंडाल, मंडप में भक्तों की भीड़ उमड़ी है. इस दिन एक और रिवाज देखने को मिला जो वर्षों-वर्ष से कायम है. यह रिवाज है घरों के मुख्य द्वार पर औषधीय पौधा के अंश या फल लगाने का. अष्टमी के शुभ दिन गिरिडीह शहर के कई मुहल्लों के साथ-साथ ज्यादातर ग्रामीण इलाके के लोगों ने अपने घर के मुख्य द्वार पर सिजुआ (नागफनी का प्रकार), औषधीय फल भेलवा ऊर्फ भिलावा और चिरचिरिया का लकड़ी लगाया.

यह भी पढ़ें: Navratri 2023: बंगाल के ढाक की धुन पर पलामू में हो रही मां दुर्गा की आराधना, महिला ढाकी श्रद्धालुओं में कर रही भक्ति का संचार

क्या है मान्यता: इस संबंध में स्थानीय लोगों से बात की गई. हिमांशु झा ने बताया कि घर के बूढ़े बुजुर्गो नें यह कहा है कि अष्टमी पूजा के दिन इन तीनों औषधीय पौधा के अंश या फल लगाने से घर में सब अच्छा होता है. इसी परंपरा का निर्वहन वे करते आ रहे हैं. शिक्षक सुरेश मंडल बताते हैं कि घर के अंदर-बाहर की नकारात्मक ऊर्जा को नष्ट करने के लिए इस तरह का कार्य किया जाता है. चूंकि अभी कीट-पतंगा का दिन भी है, इन पौधों के अंश को लगाने से रात के समय कीट पतंगा यहीं पर मंडराते रहते हैं और घर के अंदर नहीं जाते.

कई लोगों को मिलता है रोजगार: इधर, अष्टमी की इस परंपरा के कारण कई लोगों को रोजगार भी मिलता है. अष्टमी की सुबह से ही गिरिडीह के सड़क किनारे स्थानीय लोग इस तरह के औषधीय पौधा के अंश या फल लेकर बैठ गए, जिसकी खूब बिक्री हुई. बेचने वाले इसके फायदे को भूत बाधा से भी जोड़कर बताया. हालांकि, ईटीवी भारत ऐसी किसी भूत बाधा की सत्यता को प्रमाणित नहीं करता है.

नवरात्रि में औषधीय पौधों के फल और पत्ते टांग कर दूर की जाती है नकारात्मक ऊर्जा

गिरिडीह: दुर्गा पूजा का त्यौहार हर्ष और उल्लास के साथ मनाया जा रहा है. अष्टमी पूजा के दिन प्रत्येक पूजा पंडाल, मंडप में भक्तों की भीड़ उमड़ी है. इस दिन एक और रिवाज देखने को मिला जो वर्षों-वर्ष से कायम है. यह रिवाज है घरों के मुख्य द्वार पर औषधीय पौधा के अंश या फल लगाने का. अष्टमी के शुभ दिन गिरिडीह शहर के कई मुहल्लों के साथ-साथ ज्यादातर ग्रामीण इलाके के लोगों ने अपने घर के मुख्य द्वार पर सिजुआ (नागफनी का प्रकार), औषधीय फल भेलवा ऊर्फ भिलावा और चिरचिरिया का लकड़ी लगाया.

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क्या है मान्यता: इस संबंध में स्थानीय लोगों से बात की गई. हिमांशु झा ने बताया कि घर के बूढ़े बुजुर्गो नें यह कहा है कि अष्टमी पूजा के दिन इन तीनों औषधीय पौधा के अंश या फल लगाने से घर में सब अच्छा होता है. इसी परंपरा का निर्वहन वे करते आ रहे हैं. शिक्षक सुरेश मंडल बताते हैं कि घर के अंदर-बाहर की नकारात्मक ऊर्जा को नष्ट करने के लिए इस तरह का कार्य किया जाता है. चूंकि अभी कीट-पतंगा का दिन भी है, इन पौधों के अंश को लगाने से रात के समय कीट पतंगा यहीं पर मंडराते रहते हैं और घर के अंदर नहीं जाते.

कई लोगों को मिलता है रोजगार: इधर, अष्टमी की इस परंपरा के कारण कई लोगों को रोजगार भी मिलता है. अष्टमी की सुबह से ही गिरिडीह के सड़क किनारे स्थानीय लोग इस तरह के औषधीय पौधा के अंश या फल लेकर बैठ गए, जिसकी खूब बिक्री हुई. बेचने वाले इसके फायदे को भूत बाधा से भी जोड़कर बताया. हालांकि, ईटीवी भारत ऐसी किसी भूत बाधा की सत्यता को प्रमाणित नहीं करता है.

Last Updated : Oct 22, 2023, 10:04 PM IST
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