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गिरिडीह में 'डिजिटल शिक्षक' लॉकडाउन में बच्चों की दूर कर रहे समस्या, परिवार भी इस मुहिम दे रहा साथ

कोरोना काल में स्कूलों में ताला लटका हुआ है. बच्चों के लिए शिक्षा ग्रहण करने का एकमात्र विकल्प ऑनलाइन शिक्षा है. हालांकि गरीब और सुदूरवर्ती गांवों के बच्चे ऑनलाइन शिक्षा से काफी हद तक वंचित रह जा रहे हैं. ऐसे ही बच्चों तक शिक्षा पहुंचाने का काम कर रहे हैं गिरिडीह के डुमरी निवासी सरकारी शिक्षक सतीश जायसवाल. इस पुण्य कार्य में परिवार के सभी सदस्य लगे हुए हैं.

teacher teaching online and helping poors in giridih, गिरिडीह में 'डिजिटल शिक्षक'
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Published : Sep 5, 2020, 5:06 AM IST

गिरिडीहः जिले का उग्रवाद प्रभावित इलाका है डुमरी. इसी डुमरी में रहते हैं सरकारी शिक्षक सतीश जायसवाल. सतीश वैसे हजारीबाग के विष्णुगढ़ प्रखंड के उत्क्रमित उच्च विद्यालय चौथा में विज्ञान के शिक्षक हैं. यह विद्यालय गिरिडीह-हजारीबाग के सीमा पर अवस्थित है. वैसे विद्यालय अवधि के उपरांत जब भी सतीश घर पर रहे तो स्थानीय विद्यार्थियों को पढ़ाने का काम किया. अब जब मार्च से लॉकडाउन लगा और स्कूलों को बंद कर दिया गया तो इस शिक्षक ने अपने दायित्व का निर्वाहन बखूबी किया.

देखें स्पेशल रिपोर्ट

सरकारी निर्देश के साथ-साथ खुद बनाया वीडियो

सरकारी निर्देश पर डीजी साथ पर स्कूल के बच्चों को पढ़ाने का काम किया. इसके अलावा पूरे परिवार के साथ मिलकर पाठयक्रम आधारित वीडियो बनकर उसे यूट्यूब पर अपलोड किया. इस कार्य में इन्हें जीवनसंगिनी सूचित जायसवाल, पुत्री प्रज्ञा समृद्धि और पुत्र देवांश प्रतीक का पूरा साथ मिला. सतीश जहां विज्ञान का तो वहीं सुचिता मैथ्स का पाठयक्रम तैयार करती. घर के बच्चे बीडीओ को बनाने व उसे अपलोड करने में पूरा सहयोग करते. सतीश का कहना है पाठयक्रम का वीडियो यूट्यूब पर अपलोड करने से उस क्षेत्र के बच्चों को काफी फायदा हुआ जहां नेटवर्क की प्रॉब्लम है या जिस गांव-टोले में एक-दो मोबाइल है. बच्चे उस पाठयक्रम को मोबाइल पर डाउनलोड कर लेते हैं और ऑफलाइन में भी देख कर शिक्षा ग्रहण करते हैं. चूंकि इनकी ओर से बनाये गए पाठयक्रम के वीडियो में काफी सरलता से सभी बिंदुओं को छुवा जाता है ऐसे में बच्चे भी रुचि के साथ इनके वीडीओ को देखते हैं. अभी इनकी ओर से बनाये गए वीडियो को गिरिडीह-हजारीबाग के अलावा देवघर, चतरा और बोकारो के बच्चे भी देख रहे हैं.

टोला में लिया क्लास

वीडियो बनाने, ऑनलाइन क्लास के अलावा टोला में जाकर बच्चों को पढ़ाने का काम भी इस लॉकडाउन पीरियड में सतीश करते रहे. चौथा और उसके आसपास के टोला में बच्चों को घर के पास जाकर उन्हें सतीश पढा रहे हैं. वहीं गूगल फॉर्म के सहारे कक्षा 6 से 10 तक के बच्चों की परीक्षा भी लेते हैं. सतीश बताते हैं कि हर रोज 30-35 बच्चों का फोन उनके पास आता है. बच्चों के सवालों का जवाब वे फोन पर देते हैं तो व्हाट्सएप पर भी सवालों का हल निकालते हैं.

उग्रवाद प्रभावित गांव के बच्चों की रही है विशेष रुचि

चूंकि सतीश जिस स्थान पर रहते हैं वह इलाका पारसनाथ की तराई वाले क्षेत्र से सटा हुआ है. इस इलाके में नक्सलियों की समानांतर सरकार चलती रही है. कई ऐसे लोग हैं जो भटक गए हैं लेकिन उनके बच्चे या रिश्तेदार पढ़ना चाहते हैं. ऐसे भटके हुवे लोगों के बच्चे भी विज्ञान और मैथ्स से संबंधित सवालों का जवाब लेने के लिए इस शिक्षक की मदद लेते रहे हैं. दो दशक तक पत्रकारिता भी कर चुके सतीश बताते हैं कि लॉकडाउन पीरियड के दौरान इन क्षेत्रों के बच्चे भी उनसे विज्ञान से सम्बंधित सवाल पूछते रहे. कई बार तो उन्होंने गरीब बच्चों तक वीडियो भेजवाया जिससे बच्चों को काफी लाभ मिला.

और पढ़ें- पीएम मोदी बोले- वैश्विक निवेशकों के लिए भारत सबसे बेहतर निवेश स्थल

कई बार सम्मानित हो चुके हैं सतीश

डुमरी के स्कूल में पारा शिक्षक के तौर पर सेवा दे चुके सतीश वर्ष 2016 में चौथा में पदस्थापित हुवे. इसी वर्ष इन्होंने ने स्कूल का फेसबुक एकाउंट बनाया और स्कूल की सभी गतिविधियों को अपलोड करते रहे. इस कर्तव्यनिष्ठ शिक्षक की पहचान विष्णुगढ़ प्रखंड के एक अच्छे मास्टर ट्रेनर के तौर पर भी है. बुनियाद, बुनियाद प्लस, ज्ञानसेतु, ज्ञानसेतु फेज 2, निष्ठा प्रशिक्षण के साथ-साथ डीएलएड के प्रशिक्षक भी रहे. श्री अरविंदो सोसाइटी के टीचर्स इनोवेशन अवार्ड के तहत इन्हें प्रशंसा पत्र व द टीचर्स एप में इन्हें करीब डेढ़ दर्जन प्रमाण पत्र भी मिला.

गिरिडीहः जिले का उग्रवाद प्रभावित इलाका है डुमरी. इसी डुमरी में रहते हैं सरकारी शिक्षक सतीश जायसवाल. सतीश वैसे हजारीबाग के विष्णुगढ़ प्रखंड के उत्क्रमित उच्च विद्यालय चौथा में विज्ञान के शिक्षक हैं. यह विद्यालय गिरिडीह-हजारीबाग के सीमा पर अवस्थित है. वैसे विद्यालय अवधि के उपरांत जब भी सतीश घर पर रहे तो स्थानीय विद्यार्थियों को पढ़ाने का काम किया. अब जब मार्च से लॉकडाउन लगा और स्कूलों को बंद कर दिया गया तो इस शिक्षक ने अपने दायित्व का निर्वाहन बखूबी किया.

देखें स्पेशल रिपोर्ट

सरकारी निर्देश के साथ-साथ खुद बनाया वीडियो

सरकारी निर्देश पर डीजी साथ पर स्कूल के बच्चों को पढ़ाने का काम किया. इसके अलावा पूरे परिवार के साथ मिलकर पाठयक्रम आधारित वीडियो बनकर उसे यूट्यूब पर अपलोड किया. इस कार्य में इन्हें जीवनसंगिनी सूचित जायसवाल, पुत्री प्रज्ञा समृद्धि और पुत्र देवांश प्रतीक का पूरा साथ मिला. सतीश जहां विज्ञान का तो वहीं सुचिता मैथ्स का पाठयक्रम तैयार करती. घर के बच्चे बीडीओ को बनाने व उसे अपलोड करने में पूरा सहयोग करते. सतीश का कहना है पाठयक्रम का वीडियो यूट्यूब पर अपलोड करने से उस क्षेत्र के बच्चों को काफी फायदा हुआ जहां नेटवर्क की प्रॉब्लम है या जिस गांव-टोले में एक-दो मोबाइल है. बच्चे उस पाठयक्रम को मोबाइल पर डाउनलोड कर लेते हैं और ऑफलाइन में भी देख कर शिक्षा ग्रहण करते हैं. चूंकि इनकी ओर से बनाये गए पाठयक्रम के वीडियो में काफी सरलता से सभी बिंदुओं को छुवा जाता है ऐसे में बच्चे भी रुचि के साथ इनके वीडीओ को देखते हैं. अभी इनकी ओर से बनाये गए वीडियो को गिरिडीह-हजारीबाग के अलावा देवघर, चतरा और बोकारो के बच्चे भी देख रहे हैं.

टोला में लिया क्लास

वीडियो बनाने, ऑनलाइन क्लास के अलावा टोला में जाकर बच्चों को पढ़ाने का काम भी इस लॉकडाउन पीरियड में सतीश करते रहे. चौथा और उसके आसपास के टोला में बच्चों को घर के पास जाकर उन्हें सतीश पढा रहे हैं. वहीं गूगल फॉर्म के सहारे कक्षा 6 से 10 तक के बच्चों की परीक्षा भी लेते हैं. सतीश बताते हैं कि हर रोज 30-35 बच्चों का फोन उनके पास आता है. बच्चों के सवालों का जवाब वे फोन पर देते हैं तो व्हाट्सएप पर भी सवालों का हल निकालते हैं.

उग्रवाद प्रभावित गांव के बच्चों की रही है विशेष रुचि

चूंकि सतीश जिस स्थान पर रहते हैं वह इलाका पारसनाथ की तराई वाले क्षेत्र से सटा हुआ है. इस इलाके में नक्सलियों की समानांतर सरकार चलती रही है. कई ऐसे लोग हैं जो भटक गए हैं लेकिन उनके बच्चे या रिश्तेदार पढ़ना चाहते हैं. ऐसे भटके हुवे लोगों के बच्चे भी विज्ञान और मैथ्स से संबंधित सवालों का जवाब लेने के लिए इस शिक्षक की मदद लेते रहे हैं. दो दशक तक पत्रकारिता भी कर चुके सतीश बताते हैं कि लॉकडाउन पीरियड के दौरान इन क्षेत्रों के बच्चे भी उनसे विज्ञान से सम्बंधित सवाल पूछते रहे. कई बार तो उन्होंने गरीब बच्चों तक वीडियो भेजवाया जिससे बच्चों को काफी लाभ मिला.

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कई बार सम्मानित हो चुके हैं सतीश

डुमरी के स्कूल में पारा शिक्षक के तौर पर सेवा दे चुके सतीश वर्ष 2016 में चौथा में पदस्थापित हुवे. इसी वर्ष इन्होंने ने स्कूल का फेसबुक एकाउंट बनाया और स्कूल की सभी गतिविधियों को अपलोड करते रहे. इस कर्तव्यनिष्ठ शिक्षक की पहचान विष्णुगढ़ प्रखंड के एक अच्छे मास्टर ट्रेनर के तौर पर भी है. बुनियाद, बुनियाद प्लस, ज्ञानसेतु, ज्ञानसेतु फेज 2, निष्ठा प्रशिक्षण के साथ-साथ डीएलएड के प्रशिक्षक भी रहे. श्री अरविंदो सोसाइटी के टीचर्स इनोवेशन अवार्ड के तहत इन्हें प्रशंसा पत्र व द टीचर्स एप में इन्हें करीब डेढ़ दर्जन प्रमाण पत्र भी मिला.

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