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गिरिडीहः बीमार प्रवासी मजदूर की मौत, प्रशासन की लापरवाही से लोगों में नाराजगी

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Published : Aug 2, 2020, 7:09 PM IST

गिरिडीह में प्रशासन की उदासीनता से बीमार मजदूर को अस्पताल पहुंचाने की व्यवस्था नहीं हो पाई. इस वजह से मजदूर की मौत हो गई. घटना के बाद स्थानीय लोगों में प्रशासन के खिलाफ काफी नाराजगी है.

Migrant labour dies in Giridih
गिरिडीह में प्रवासी मजदूर की मौत

गांडेय, गिरिडीह: वैश्विक महामारी कोरोना काल में भी बेंगाबाद प्रखंड प्रशासन की लापरवाही का मामला सामने आया है. प्रशासन की उदासीनता से बीमार मजदूर को अस्पताल पहुंचाने की व्यवस्था नहीं हो पाई और मजदूर ने घर में दम तोड़ दिया. घटना के बाद स्थानीय लोगों में प्रशासन के प्रति काफी नाराजगी है और लोगों ने प्रशासनिक पदाधिकारियों की कार्यशैली को बेहद संवेदनहीन बताया है. मामला जिले के बेंगाबाद प्रखंड स्थित झलकडीहा पंचायत का है. जानकारी के अनुसार झलकडीहा का रहने वाला एक प्रवासी मजदूर कर्नाटक से शुक्रवार की शाम घर वापस लौटा था. उसकी तबीयत बेहद खराब होने की बात बताई जा रही है. घर पहुंचने के बाद स्थानीय जनप्रतिनिधियों ने उसे इलाज के लिए अस्पताल भेजने के लिए बेंगाबाद प्रखंड प्रशासन से गुहार भी लगाई गई.

Migrant labour dies in Giridih
गिरिडीह में प्रवासी मजदूर की मौत

लेकिन प्रशासन की ओर से बीमार मजदूर को अस्पताल पहुंचाने के लिए कोई पहल नहीं की गई. 26 वर्षीय मजदूर आशीष कुमार हांसदा के बीमार होकर घर लौटने की बात सोशल मीडिया पर भी आई और कई लोगों ने बेंगाबाद प्रखंड प्रशासन से बीमार मजदूर के लिए एम्बुलेंस की व्यवस्था कराने की मांग भी की. इसके बावजूद भी प्रशासनिक अधिकारी और स्वास्थ्य विभाग की टीम मूकदर्शक बनी रही. इस कारण मजदूर घर पर ही पड़ा रहा और शनिवार की रात लगभग 9 बजे उसकी मौत हो गयी. इस बाबत स्थानीय पंचायत के मुखिया से बात करने पर उन्होंने बताया कि मजदूर के बीमार होने और प्रदेश से वापस लौटने की सूचना बेंगाबाद बीडीओ को दी गई थी. बीडीओ ने इलाज के लिए एम्बुलेंस भेजने की बात कही थी.

गंभीर रूप से बीमार था मजदूर
बताया जाता है कि मजदूर किसी अन्य बीमारी से भी ग्रसित था, लेकिन गांव वापस लौटने पर उसमें कोरोना के लक्षण भी होने की बात कही जा रही है. गांव लौटने के बाद मजदूर की स्थिति और बिगड़ती चली गयी और उसने इलाज के अभाव में घर पर ही दम तोड़ दिया. मजदूर की मौत के बाद बेंगाबाद प्रखंड प्रमुख रामप्रसाद यादव समेत अन्य जनप्रतिनिधियों ने गहरा दुख व्यक्त करते हुए प्रशासन की कार्यशैली को बेहद गैर-जिम्मेदाराना बताया है.

मामले की जांच की करेंगे मांग- प्रमुख
प्रमुख रामप्रसाद यादव ने कहा कि उन्होंने खुद भी मजदूर के लिए इलाज की व्यवस्था कराने की बात सोशल मीडिया के माध्यम से अधिकारियों को कही थी. यदि प्रशासनिक पदाधिकारियों और स्वास्थ्य विभाग की ओर से संवेदनशील होकर एम्बुलेंस की व्यवस्था करायी जाती और मजदूर का इलाज समय पर हो पाता तो शायद उसकी जान बच सकती थी. उन्होंने प्रशासन की इस लापरवाही की कड़ी निंदा करते हुए मामले को मुख्यमंत्री के संज्ञान में देने की बात कही है. उन्होंने कहा कि बेंगाबाद प्रखंड प्रशासन सिर्फ लॉकडाउन के नाम पर सख्ती दिखाने के काम करने में आगे रहती है जबकि आवश्यक कदम उठाने में घोर लापरवाही बरत रही है.

सूचना मिलते ही स्वास्थ्य विभाग को दिया था निर्देश- बीडीओ
इधर, इस संबंध में जब बेंगाबाद बीडीओ कुमार अभिषेक सिंह से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि सूचना मिलते ही फौरन बेंगाबाद सामुदायिक अस्पताल के प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ. संतोष कुमार और एक अन्य डॉ. श्यामाकांत को एम्बुलेंस भेज कर मजदूर के इलाज के लिए पहल करने का निर्देश दिया था. उन्होंने कहा कि डॉ. संतोष की ओर से उन्हें आश्वस्त कराया गया था कि वह एम्बुलेंस भेज रहे हैं. अगर स्वास्थ्य विभाग की ओर से एम्बुलेंस नहीं भेजी गई तो ये उनकी घोर लापरवाही है. वहीं, बेंगाबाद सीओ संजय सिंह ने इस मामले में उन्हें किसी प्रकार की सूचना प्राप्त होने की बात से इनकार किया है. उन्होंने कहा कि सोशल मीडिया और बीडीओ के माध्यम से पता चला था जिसके बाद बीडीओ की ओर से इलाज का प्रबंध कराने की बात कही गयी थी. उन्होंने कहा कि मामला गंभीर था और इलाज के अभाव में मजदूर की मौत बेहद संवेदनहीनता को दर्शाती है.

ये भी पढ़ें: पाकुड़: कोविड हेल्थ सेंटर से फरार हुए तीन कोरोना पॉजिटिव कैदी, बढ़ाई गई सीमा सुरक्षा


एम्बुलेंस पहुंचने से पहले हो गई मजदूर की मौत
वहीं, इस मामले में बेंगाबाद अस्पताल के प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ. संतोष कुमार ने कहा कि उन्हें शनिवार की शाम को सूचना मिली. इसके बाद 108 एम्बुलेंस को भेजा गया, मगर जब तक एम्बुलेंस पहुंचा तब तक मरीज की मौत हो चुकी थी. उन्होंने यह भी बताया कि 108 एम्बुलेंस को पहुंचने में देर होने पर स्थानीय मुखिया ने उन्हें यह बताया गया था कि बीमार मजदूर को किसी ऑटो के माध्यम से अस्पताल लेकर जाने का प्रबंध किया गया है.

अन्य जनप्रतिनिधियों ने भी उठायी जांच की मांग
इस घटना के बाद बेंगाबाद के स्थानीय जनप्रतिनिधियों में काफी रोष है. प्रखंड प्रमुख के अलावा यूथ कांग्रेस के गांडेय विधानसभा अध्यक्ष हसनैन आलम ने भी घटना को प्रशासन की घोर लापरवाही का नतीजा बताया है. उन्होंने भी मामले की जांच और दोषी पदाधिकारियों पर कार्रवाई की मांग की है. वहीं, समाजसेवी बिपिन सिंह ने भी गरीब मजदूर की मौत पर शोक प्रकट करते हुए कहा कि यदि मजदूर कोरोना संक्रमित नहीं भी था तो उसके इलाज का प्रबंध प्रशासनिक स्तर पर होना चाहिए. मगर प्रशासन की ओर से लापरवाही बरतना बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है. प्रशासन को सूचना के बाद भी कोई पहल नहीं करना बहुत गैर-जिम्मेदाराना रवैया है.

नहीं हुआ पोस्टमार्टम न ही कोरोना जांच
बता दें कि मजदूर की मौत के बाद उसका पोस्टमार्टम या कोरोना टेस्ट भी नहीं कराया गया और उसका अंतिम संस्कार कर दिया गया है. जिससे लोगों में भय का माहौल पनप रहा है. लोगों का कहना है कि यदि बीमार मजदूर कोरोना संक्रमित हुआ तो उसके संपर्क में आने वाले कितने लोग संक्रमित हो सकते हैं. लोगों में प्रशासनिक पदाधिकारियों को संवेदनहीनता से खासी नाराजगी है.

गांडेय, गिरिडीह: वैश्विक महामारी कोरोना काल में भी बेंगाबाद प्रखंड प्रशासन की लापरवाही का मामला सामने आया है. प्रशासन की उदासीनता से बीमार मजदूर को अस्पताल पहुंचाने की व्यवस्था नहीं हो पाई और मजदूर ने घर में दम तोड़ दिया. घटना के बाद स्थानीय लोगों में प्रशासन के प्रति काफी नाराजगी है और लोगों ने प्रशासनिक पदाधिकारियों की कार्यशैली को बेहद संवेदनहीन बताया है. मामला जिले के बेंगाबाद प्रखंड स्थित झलकडीहा पंचायत का है. जानकारी के अनुसार झलकडीहा का रहने वाला एक प्रवासी मजदूर कर्नाटक से शुक्रवार की शाम घर वापस लौटा था. उसकी तबीयत बेहद खराब होने की बात बताई जा रही है. घर पहुंचने के बाद स्थानीय जनप्रतिनिधियों ने उसे इलाज के लिए अस्पताल भेजने के लिए बेंगाबाद प्रखंड प्रशासन से गुहार भी लगाई गई.

Migrant labour dies in Giridih
गिरिडीह में प्रवासी मजदूर की मौत

लेकिन प्रशासन की ओर से बीमार मजदूर को अस्पताल पहुंचाने के लिए कोई पहल नहीं की गई. 26 वर्षीय मजदूर आशीष कुमार हांसदा के बीमार होकर घर लौटने की बात सोशल मीडिया पर भी आई और कई लोगों ने बेंगाबाद प्रखंड प्रशासन से बीमार मजदूर के लिए एम्बुलेंस की व्यवस्था कराने की मांग भी की. इसके बावजूद भी प्रशासनिक अधिकारी और स्वास्थ्य विभाग की टीम मूकदर्शक बनी रही. इस कारण मजदूर घर पर ही पड़ा रहा और शनिवार की रात लगभग 9 बजे उसकी मौत हो गयी. इस बाबत स्थानीय पंचायत के मुखिया से बात करने पर उन्होंने बताया कि मजदूर के बीमार होने और प्रदेश से वापस लौटने की सूचना बेंगाबाद बीडीओ को दी गई थी. बीडीओ ने इलाज के लिए एम्बुलेंस भेजने की बात कही थी.

गंभीर रूप से बीमार था मजदूर
बताया जाता है कि मजदूर किसी अन्य बीमारी से भी ग्रसित था, लेकिन गांव वापस लौटने पर उसमें कोरोना के लक्षण भी होने की बात कही जा रही है. गांव लौटने के बाद मजदूर की स्थिति और बिगड़ती चली गयी और उसने इलाज के अभाव में घर पर ही दम तोड़ दिया. मजदूर की मौत के बाद बेंगाबाद प्रखंड प्रमुख रामप्रसाद यादव समेत अन्य जनप्रतिनिधियों ने गहरा दुख व्यक्त करते हुए प्रशासन की कार्यशैली को बेहद गैर-जिम्मेदाराना बताया है.

मामले की जांच की करेंगे मांग- प्रमुख
प्रमुख रामप्रसाद यादव ने कहा कि उन्होंने खुद भी मजदूर के लिए इलाज की व्यवस्था कराने की बात सोशल मीडिया के माध्यम से अधिकारियों को कही थी. यदि प्रशासनिक पदाधिकारियों और स्वास्थ्य विभाग की ओर से संवेदनशील होकर एम्बुलेंस की व्यवस्था करायी जाती और मजदूर का इलाज समय पर हो पाता तो शायद उसकी जान बच सकती थी. उन्होंने प्रशासन की इस लापरवाही की कड़ी निंदा करते हुए मामले को मुख्यमंत्री के संज्ञान में देने की बात कही है. उन्होंने कहा कि बेंगाबाद प्रखंड प्रशासन सिर्फ लॉकडाउन के नाम पर सख्ती दिखाने के काम करने में आगे रहती है जबकि आवश्यक कदम उठाने में घोर लापरवाही बरत रही है.

सूचना मिलते ही स्वास्थ्य विभाग को दिया था निर्देश- बीडीओ
इधर, इस संबंध में जब बेंगाबाद बीडीओ कुमार अभिषेक सिंह से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि सूचना मिलते ही फौरन बेंगाबाद सामुदायिक अस्पताल के प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ. संतोष कुमार और एक अन्य डॉ. श्यामाकांत को एम्बुलेंस भेज कर मजदूर के इलाज के लिए पहल करने का निर्देश दिया था. उन्होंने कहा कि डॉ. संतोष की ओर से उन्हें आश्वस्त कराया गया था कि वह एम्बुलेंस भेज रहे हैं. अगर स्वास्थ्य विभाग की ओर से एम्बुलेंस नहीं भेजी गई तो ये उनकी घोर लापरवाही है. वहीं, बेंगाबाद सीओ संजय सिंह ने इस मामले में उन्हें किसी प्रकार की सूचना प्राप्त होने की बात से इनकार किया है. उन्होंने कहा कि सोशल मीडिया और बीडीओ के माध्यम से पता चला था जिसके बाद बीडीओ की ओर से इलाज का प्रबंध कराने की बात कही गयी थी. उन्होंने कहा कि मामला गंभीर था और इलाज के अभाव में मजदूर की मौत बेहद संवेदनहीनता को दर्शाती है.

ये भी पढ़ें: पाकुड़: कोविड हेल्थ सेंटर से फरार हुए तीन कोरोना पॉजिटिव कैदी, बढ़ाई गई सीमा सुरक्षा


एम्बुलेंस पहुंचने से पहले हो गई मजदूर की मौत
वहीं, इस मामले में बेंगाबाद अस्पताल के प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ. संतोष कुमार ने कहा कि उन्हें शनिवार की शाम को सूचना मिली. इसके बाद 108 एम्बुलेंस को भेजा गया, मगर जब तक एम्बुलेंस पहुंचा तब तक मरीज की मौत हो चुकी थी. उन्होंने यह भी बताया कि 108 एम्बुलेंस को पहुंचने में देर होने पर स्थानीय मुखिया ने उन्हें यह बताया गया था कि बीमार मजदूर को किसी ऑटो के माध्यम से अस्पताल लेकर जाने का प्रबंध किया गया है.

अन्य जनप्रतिनिधियों ने भी उठायी जांच की मांग
इस घटना के बाद बेंगाबाद के स्थानीय जनप्रतिनिधियों में काफी रोष है. प्रखंड प्रमुख के अलावा यूथ कांग्रेस के गांडेय विधानसभा अध्यक्ष हसनैन आलम ने भी घटना को प्रशासन की घोर लापरवाही का नतीजा बताया है. उन्होंने भी मामले की जांच और दोषी पदाधिकारियों पर कार्रवाई की मांग की है. वहीं, समाजसेवी बिपिन सिंह ने भी गरीब मजदूर की मौत पर शोक प्रकट करते हुए कहा कि यदि मजदूर कोरोना संक्रमित नहीं भी था तो उसके इलाज का प्रबंध प्रशासनिक स्तर पर होना चाहिए. मगर प्रशासन की ओर से लापरवाही बरतना बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है. प्रशासन को सूचना के बाद भी कोई पहल नहीं करना बहुत गैर-जिम्मेदाराना रवैया है.

नहीं हुआ पोस्टमार्टम न ही कोरोना जांच
बता दें कि मजदूर की मौत के बाद उसका पोस्टमार्टम या कोरोना टेस्ट भी नहीं कराया गया और उसका अंतिम संस्कार कर दिया गया है. जिससे लोगों में भय का माहौल पनप रहा है. लोगों का कहना है कि यदि बीमार मजदूर कोरोना संक्रमित हुआ तो उसके संपर्क में आने वाले कितने लोग संक्रमित हो सकते हैं. लोगों में प्रशासनिक पदाधिकारियों को संवेदनहीनता से खासी नाराजगी है.

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