गिरिडीहः जिला में जलापूर्ति योजना बदहाल स्थिति में है. मोतिलेदा में ग्रामीण पेयजलापूर्ति योजना का आलम ऐसा है कि करोड़ों की लागत से बनी पानी की टंकी आज बेकार हो गयी है. इसका लाभ यहां के लोगों को नहीं मिल रहा है. इसको लेकर ग्रामीण मुखर हैं और गांव में जलापूर्ति बहाल करने की मांग कर रहे हैं.
गिरिडीह में पेयजलापूर्ति योजना बदहाल स्थिति में है. ग्रामीणों को पेयजलापूर्ति के लिए बेंगाबाद प्रखंड के मोतिलेदा में करोड़ों की लागत से बनी पानी की टंकी शोभा की वस्तु बन कर रह गयी है. एक वर्ष से इस टंकी से पेयजलापूर्ति बाधित है और ग्रामीणों को पानी नहीं मिल रहा है. इस समस्या को लेकर स्थानीय ग्रामीणों द्वारा कई बार आवाज उठाई जा चुकी है मगर कोई सुनवाई नहीं हुई.
विभागीय उदासीनता और संवेदक की लापरवाही के कारण 12 करोड़ की लागत से बना पानी टंकी और पूरा जलापूर्ति यूनिट बेकार पड़ा है. ग्रामीणों ने जलापूर्ति ठप रहने पर विरोध दर्ज कराया है. ग्रामीणों की मांग है कि अविलंब प्रशासनिक अधिकारी इस समस्या का समाधान कर जलापूर्ति बहाल करने की दिशा पहल करें. ग्रामीणों द्वारा सरकार आपके द्वार शिविर में इसको लेकर आवेदन जिला के उपायुक्त नमन प्रियेश लकड़ा को दिया. मौके पर उपायुक्त ने बेंगाबाद बीडीओ को आवेदन को सौंपते हुए संबंधित विभाग से समस्या के समाधान के लिए निर्देशित करने का आश्वासन दिया.
आवाज बुलंद करने पर भी नहीं हुई सुनवाईः इस संबंध में ग्रामीण दिनेश वर्मा ने कहा कि जलापूर्ति योजना आरंभ होने के बाद कुछ दिनों तक पंचायत की एक बड़ी आबादी को पानी की सुविधा मिली. मगर एक साल से टंकी से पानी का सप्लाई पूरी तरह बंद है. कई बार मामले को लेकर आंदोलन भी किया गया मगर कोई कार्रवाई नहीं हुई. वहीं पंचायत के पंसस प्रतिनिधि रीतलाल वर्मा ने कहा कि वह कई बार इस मामले को पंचायत समिति की बैठक में उठा चुके हैं, मगर अब तक कोई सुनवाई नहीं हुई है. ग्रामीण इंद्रलाल वर्मा ने कहा कि शुरू से ही कुछ गांव को पानी नहीं मिल रहा था. पिछले एक साल से जलापूर्ति पूरी तरह बाधित है जिस कारण मोतिलेदा पंचायत के सभी गांव के अलावा कर्णपुरा पंचायत के लोग प्रभावित हैं. लोगों ने कहा कि संवेदक द्वारा टर्म पूरा होने की बात कह कर कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है जबकि संबंधित विभाग इस मामले पर चुप्पी साधे हुए है.
ग्राम जल स्वच्छता समिति नहीं है गंभीर- जेईः इस संबंध में विभाग के जेई मणिकांत ने बताया कि संवेदक द्वारा योजना को संचालित करने का 2 वर्ष का टर्म था. मगर ऑपेरशन मेंटेनेंस समाप्त होने के बाद भी अगले 2 वर्ष तक संवेदक द्वारा योजना का संचालन किया गया. जिसके बाद ग्राम जल स्वच्छता समिति को संचालन का जिम्मा दिया जाने लगा पर स्थानीय मुखिया एवं समिति ने जिम्मा नहीं लिया. विभागीय स्तर पर भी कई बार मुखिया एवं समिति से बात कर उन्हें संचालन के लिए बोला गया मगर इस दिशा में कोई पहल नहीं हो पाई. उन्होंने बताया ऑपेरशन मेंटेनेंस समाप्त होने के बाद संवेदक को मेंटेनेंस का खर्च नहीं मिलता है इसलिए संविदा समाप्त होने पर ग्राम जल स्वच्छता समिति द्वारा योजना का संचालन किया जाना है. मगर समिति के लोग इसके प्रति गंभीर नहीं है.
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