गिरिडीहः जिला पथ निर्माण विभाग की कार्यशैली गिरिडीह में चर्चा का विषय बनी हुई है. चर्चा अतिक्रमण पर चमकाने और कार्य में गुणवत्ता से समझौता करने, नोटिस से धमकाने और बाद में चुप्पी साध लेने से जुड़ा है. ताजा मामला सड़क के अतिक्रमण से जुड़ा है. जिसमें विभाग की ओर से कार्रवाई तो शुरु की गयी लेकिन अब इसपर विभाग ने चुप्पी साध ली है.
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क्या है पूरा मामलाः पचंबा से चितरडीह होते हुए जमुआ गई सड़क के किनारे अतिक्रमण हुआ है. कइयों ने मुआवज़ा लेने के बाद भी निर्माण कर लिया है. जमीन पथ निर्माण विभाग की है. एक वर्ष पूर्व इस मामले को लेकर काफी हाय तौबा मचा. तत्कालीन डीसी राहुल कुमार सिन्हा की सख्ती के बाद पथ निर्माण विभाग ने अपनी जमीन को वापस लेने की पहल शुरू की. 20 जनवरी 2022 को एसडीएम विशालदीप खलखो व अंचलाधिकारी रविभूषण प्रसाद के साथ पथ निर्माण विभाग के सहायक अभियंता सुभाष प्रसाद की मौजूदगी में पचंबा के पास मापी हुई.
वहां से अतिक्रमण हटाने के लिए जमीन को चिन्हित कर लिया गया. इसके बाद कब्जाधारियों को नोटिस दिया गया. जिसमें कहा गया कि एक महीने के अंदर पथ को अतिक्रमण से मुक्त करा दिया जाएगा लेकिन कुछ हुआ नहीं. उस वक्त एफआईआर की बात कही गई थी उसपर भी कुछ नहीं हुआ. अब विभाग इस मामले पर गोलमोल जवाब दे रहा है. सहायक अभियंता सुभाष प्रसाद कहते हैं कि जमीन खाली करवाने का काम सीओ का है.
पथ निर्माण विभाग करे कार्रवाई- सीओः वहीं इस मामले को लेकर सीओ ने पथ निर्माण विभाग को कार्रवाई करने के लिए कहा है. सीओ रविभूषण का कहना है कि पथ निर्माण विभाग को कई बार इस दिशा में आगे का कदम उठाने को कहा गया लेकिन पथ निर्माण विभाग कोई भी जवाब नहीं दे रहा है. सीओ ने कहा कि पथ निर्माण विभाग को आगे आना पड़ेगा और कार्रवाई शुरू करनी होगी. उन्होंने कहा कि अंचल ने अपना काम कर दिया है. जमीन की नापी करके संबंधित विभाग को दे दिया गया है.
ग्रामीणों ने की शिकायतः दूसरी तरफ इस मामले को लेकर ग्रामीणों ने शिकायत की है. मुख्यमंत्री को भेजे गए पत्र में कहा गया है कि सदर अंचल के परसाटांड, मनिकलालो एवं रजपुरा में सरकारी गैर मजरुआ भूमि एवं पथ निर्माण विभाग की अधिग्रहित भूमि विभागीय मिलीभगत से घेराबंदी व बिक्री की गई है. सर्वे नाला को भी भरकर बेचा गया है. अवैध कागजात के सहारे कल-कारखाने संचालित हैं. मनिकलालो मौजा में गिरिडीह-जमुआ पथ के किनारे पथ निर्माण विभाग की जमीन पर अवैध निर्माण कर बेचा गया है. ग्रामीणों ने अधिकारियों व कर्मियों की कार्यशैली पर भी सवाल उठाया है.