गिरिडीह: मनरेगा मद से निर्धारित सीमा से 8 गुणा अधिक राशि की निकासी करने के मामले में डीसी के निर्देश पर जांच हुई है. अभी तक एक जांच टीम की रिपोर्ट के आधार पर चार पंचायत पर कार्रवाई हुई है. चार पंचायत के मुखिया के अलावा बीडीओ, बीपीओ, रोजगार सेवक समेत 11 लोगों को दंडित किया गया है. इन पर 1-1 हजार का जुर्माना लगाया गया है जबकि इन चारों पंचायत से लगभग 2.92 लाख रिकवरी का भी आदेश दिया गया है. अब जांच के दायरे में डीआरडीए के कर्मी भी आ गए हैं. डीसी ने डीआरडीए के प्रोजेक्ट ऑफिसर को चार्ज से हटा दिया गया है. यहां इनकी भूमिका की जांच हो रही है.
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नियम की अवहेलना कर बनता रहा शेड: यहां बता दें कि 29 मार्च 2023 को मनरेगा मद से एक ही साथ 7.88 करोड़ की निकासी किए जाने का मामला सामने आने के बाद जब जांच शुरू हुई तो यह साफ हुआ कि 60 अनुपात 40 की अवहेलना कर मेटेरियल सप्लायर को भुगतान कर दिया गया. यहां जांच ने जब जोर पकड़ी तो यह भी पता चला कि मनरेगा नियमावली की अवहेलना की गई और एक एक पंचायत में एक एक वित्तिय वर्ष में दर्जनाधिक शेड (पक्का कार्य) की योजना पास कर दी गई. ऐसे में सवाल मनरेगा की निगरानी करने का जिम्मा थामे डीआरडीए पर भी उठने लगा. सवाल यह था कि मनरेगा नियमावली की खुलेआम अवहेलना हुई तो डीआरडीए के जिम्मेदार क्या कर रहे थे. अब ऐसे जिम्मेदारों पर कार्रवाई तय मानी जा रही है.
भाकपा माले की मांग: दूसरी तरफ बीडीओ की भूमिका पर भी जांच की मांग होने लगी है. भाकपा माले नेता राजेश सिन्हा कहते हैं कि योजना चयन के बाद तकनीकी स्वीकृति प्रखंड विकास पदाधिकारी के निर्देश पर ही कनीय अभियंता द्वारा दी जाती है. एक एक पंचायत में यदि मनमाने तरीके से शेड दिया गया. उस पर सभी आदेश को दरकिनार कर राशि की निकासी की गई तो जिम्मेदार अधिकारियों पर सख्त कार्रवाई होनी चाहिए.
डीसी का रुख सख्त: यहां बता दें कि मनरेगा में हुई इस अत्याधिक निकासी और 60 अनुपात 40 का अवहेलना कर वेंडरों को किये गए भुगतान की खबर को सबसे पहले ईटीवी भारत ने ही सामने लाया था. 30 मार्च को इस खबर का प्रकाशन किया गया. इसके बाद तुरन्त ही डीसी ने जांच का निर्देश दिया. जांच के लिए चार टीम का गठन किया गया. अभी एक टीम की जांच रिपोर्ट पर कार्यवाई हुई है. कहा जा रहा हैं डीसी इस मामले में सख्त हैं और अन्य दोषियों पर कार्यवाई तय है.