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विधायक के आवास पर जा बैठी पोषण सखी, कहा- वादा भूल चुकी है हेमंत सरकार - Anganwadi worker

झारखण्ड में पोषण सखी (Poshan sakhis in Jharkhand) लगातार आंदोलन पर है. इस बार पोषण सखियों ने सत्ताधारी दल के विधायकों के आवास पर पहुंच कर अपनी मांगों को दोहराया. गिरिडीह विधायक के आवास पर भी ये कर्मी जा पहुंची और मांग पूरी करने को कहा.

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विधायक आवास के समीप धरने पर बैठी पोषण सखी
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Published : Sep 1, 2021, 3:58 PM IST

गिरिडीहः झारखंड राज्य अतिरिक्त आंगनबाड़ी सेविका (Anganwadi worker) सह पोषण परामर्शी (पोषण सखी) कर्मचारी संघ के आह्वान पर बुधवार को मांग दिवस आयोजित किया गया. मांग दिवस के अवसर पर पोषण सखियों ने सत्ताधारी दल के विधायक सुदिव्य कुमार के आवास के समीप धरने पर बैठी और अपनी मांगों को बुलंद किया. इसके साथ ही विधायक के आवास कार्यालय में जाकर मांग पत्र सौंपी.

यह भी पढ़ेंःपोषण सखियों को 6 महीने से मानदेय मिलने का इंतजार, डीसी से मिलकर कही ये बात

पोषण सखियों का कहना है कि कुशल मजदूरों की तरह न्यूनतम मासिक मानदेय 13,150 रुपये का भुगतान अप्रैल 2020 से किया जाना चाहिए. पोषण सखी का विभागीय नियमावली बनाने के साथ साथ सरकार हड़ताल अवधि का बकाया मानदेय का भुगतान कराए. धरना पर बैठे पोषण सखियों ने बताया कि आंगनबाड़ी सेविका के समान बीमा और अवकाश की सुविधा मुहैया कराई जाए. उन्होंने कहा कि योग्यता और वरीयता के आधार पर पदोन्नति और ड्रेस कोड लागू करते हुए पूर्ण सरकारी कर्मचारी घोषित की जाए.

क्या कहते हैं कर्मचारी यूनियन के नेता

हेमंत सरकार ने नहीं किया वादा पूरा

कर्मचारी संघ के जिलाध्यक्ष सैबुन निशा ने कहा कि 2016 से सौ रुपये प्रतिदिन की दर से मानदेय मिलता है. इसके अलावा कोई सुविधा नहीं मिलती है. उन्होंने कहा कि पोषण सखी सिर्फ आंगनबाड़ी केंद्र पर ही काम नहीं करती है, बल्कि कुपोषण से मुक्ति, टीकाकरण, बीएलओ कार्य, कोविड से बचाव के लिए किए जा रहे कार्य लिया जा रहा है. उन्होंने कहा कि हेमंस सोरेन ने वादा किया था कि सरकार में आने के बाद मानदेयभोगियों को स्थाई करने के साथ साथ पूर्ण सरकारी कर्मी घोषित करेंगे. हेमंत सरकार के सत्ता में आए दो साल हो गए, लेकिन पोषण सखियों की मांग पूरा नहीं हो सका.

गिरिडीहः झारखंड राज्य अतिरिक्त आंगनबाड़ी सेविका (Anganwadi worker) सह पोषण परामर्शी (पोषण सखी) कर्मचारी संघ के आह्वान पर बुधवार को मांग दिवस आयोजित किया गया. मांग दिवस के अवसर पर पोषण सखियों ने सत्ताधारी दल के विधायक सुदिव्य कुमार के आवास के समीप धरने पर बैठी और अपनी मांगों को बुलंद किया. इसके साथ ही विधायक के आवास कार्यालय में जाकर मांग पत्र सौंपी.

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पोषण सखियों का कहना है कि कुशल मजदूरों की तरह न्यूनतम मासिक मानदेय 13,150 रुपये का भुगतान अप्रैल 2020 से किया जाना चाहिए. पोषण सखी का विभागीय नियमावली बनाने के साथ साथ सरकार हड़ताल अवधि का बकाया मानदेय का भुगतान कराए. धरना पर बैठे पोषण सखियों ने बताया कि आंगनबाड़ी सेविका के समान बीमा और अवकाश की सुविधा मुहैया कराई जाए. उन्होंने कहा कि योग्यता और वरीयता के आधार पर पदोन्नति और ड्रेस कोड लागू करते हुए पूर्ण सरकारी कर्मचारी घोषित की जाए.

क्या कहते हैं कर्मचारी यूनियन के नेता

हेमंत सरकार ने नहीं किया वादा पूरा

कर्मचारी संघ के जिलाध्यक्ष सैबुन निशा ने कहा कि 2016 से सौ रुपये प्रतिदिन की दर से मानदेय मिलता है. इसके अलावा कोई सुविधा नहीं मिलती है. उन्होंने कहा कि पोषण सखी सिर्फ आंगनबाड़ी केंद्र पर ही काम नहीं करती है, बल्कि कुपोषण से मुक्ति, टीकाकरण, बीएलओ कार्य, कोविड से बचाव के लिए किए जा रहे कार्य लिया जा रहा है. उन्होंने कहा कि हेमंस सोरेन ने वादा किया था कि सरकार में आने के बाद मानदेयभोगियों को स्थाई करने के साथ साथ पूर्ण सरकारी कर्मी घोषित करेंगे. हेमंत सरकार के सत्ता में आए दो साल हो गए, लेकिन पोषण सखियों की मांग पूरा नहीं हो सका.

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