गिरिडीह: रोशनी का पर्व दीपावली में खुशियों को चार चांद लगाने का काम मिठाईयां करती है. उस पर मिठाई गिरिडीह की हो तो क्या कहने. गिरिडीह की कई मिठाईयां प्रसिद्ध हैं. इन्हीं मिठाइयों में खीरमोहन ने भी खासी प्रसिद्धि पायी है. यहां रसगुल्ले पर रबड़ी की परत चढ़ाकर इस मिठाई को बनाया जाता है.
चौपारण के खीरमोहन का यहां बदला स्वरूप: वैसे जब भी खीरमोहन की बात होती है तो सबसे पहले हजारीबाग जिले के चौपारण की चर्चा होती है. जानकार बताते हैं कि यहां रसगुल्ले को चीनी की चासनी में उबालकर खीरमोहन बनाया जाता है और परोसने के दौरान खीरमोहन के ऊपर रबड़ी डाली जाती है. लेकिन गिरिडीह के अलकापुरी में स्थित न्यू श्री दुर्गा मिष्ठान भंडार में मिलने वाला खीरमोहन चौपारण के खीरमोहन से अलग है. यहां पर रसगुल्ले के ऊपर रबड़ी की परत को जमाया जाता है उसके बाद इसे परोसा जाता है.
बंगाल के कारीगर ने दिया नया रूप: इस भंडार के संचालक अंगद बताते हैं कि उनके यहां वैसे सभी तरह की मिठाइयां स्वादिष्ट है, लेकिन खीरमोहन की बात ही जुदा है. वे बताते हैं कि इस मिठाई का इजाद बंगाल के एक कारीगर ने किया है. उन्होंने बताया कि लगभग 7-8 वर्ष पहले उन्होंने बंगाल के एक कारीगर को कहा कि चौपारण का खीरमोहन बनाइये. कारीगर ने कहा कि खीरमोहन को नया स्वरूप देकर परोसा जाएगा. इसके बाद उसने पहले रबड़ी बनायी फिर उसे रसगुल्ले पर लपेटा और कुछ देर तक ठंडा होने के बाद उसे परोसा.
अंगद ने बताया कि उन्होंने जैसे ही इस मिठाई का स्वाद चखा तो वह दंग रह गए. इतनी स्वादिष्ट मिठाई को टेस्ट करते ही वह समझ गए कि इसे ग्राहक पसंद करेंगे. इसके बाद से यह मिठाई ऑन डिमांड है. उन्होंने बताया कि इस दीपावली में तो इसकी डिमांड को वे पूरा ही नहीं कर पा रहे हैं.
मुंह में स्वाद का विस्फोट: ग्राहक रौशन इस मिठाई के दीवाने हैं. इनका कहना है कि एक-एक टुकड़ा मुंह में जाते ही स्वाद का विस्फोट कर देता है. उन्होंने कहा कि इस मिठाई की यहां दीवानगी ही अलग है. जो भी जानकार गिरिडीह आते हैं वे खीरकदम के साथ-साथ खीरमोहन को ले जाना नहीं भूलते.