गिरिडीह: पैक्स की आड़ में डुप्लीकेट खाद बेचने का मामला सामने आया है. मामले के खुलासे के बाद ग्राम कमेटी ने बैठक कर आरोप से घिरे पैक्स प्रबंधक को निलंबित कर दिया है. इतना ही नहीं पैक्स के संचालन में व्यवधान न हो इसके लिए पैक्स अध्यक्ष व कार्यकारिणी सदस्यों को पैक्स संचालन की जिम्मवारी सौंपी गई है. मामला बगोदर प्रखंड के अटका पूर्वी पैक्स से जुड़ा हुआ है.
ये भी पढ़ेंः Giridih News: इस बार के वोट से क्या बदलेगी छछंदो की किस्मत, रिजल्ट के बाद ग्रामीणों को मिल पायेगा स्वच्छ जल
दरअसल पैक्स प्रबंधक पर पैक्स की आड़ में बाजार से डुप्लीकेट खाद मंगाकर किसानों के बीच बेचे जाने का आरोप है. ग्रामसभा की बैठक में आरोप सही पाए जाने पर ग्रामसभा ने प्रबंधक जीवन मेहता को पद से निलंबित करते हुए पैक्स के अध्यक्ष रंजीत प्रसाद मेहता और कार्यकारिणी सदस्यों को पैक्स संचालन की जिम्मवारी सौंपी है. इधर ग्रामसभा में उपस्थित पैक्स प्रबंधक ने भी अपनी गलती को स्वीकार करते हुए माफी की अर्जी लगाई और भविष्य में दोबारा गलती नहीं किए जाने का भरोसा दिया, लेकिन ग्रामसभा ने उनकी बातों को नजरअंदाज करते हुए कहा कि किसानों के साथ धोखा किया गया है इसलिए माफी नहीं दी जा सकती है.
पैक्स के अध्यक्ष रंजीत कुमार मेहता ने प्रबंधक पर अध्यक्ष का डुप्लीकेट हस्ताक्षर कर चेक क्लियरेंस कराने की कोशिश किए जाने का भी आरोप लगाया है. ग्रामसभा की अध्यक्षता अटका पूर्वी के मुखिया संतोष प्रसाद कर रहे थे. जबकि ग्राम सभा की बैठक में अटका पश्चिमी के पूर्व मुखिया जिबाधन मंडल, अटका पूर्वी के पैक्स अध्यक्ष रंजीत प्रसाद, पंचायत समिति सदस्य टेकनारायण साव, पूर्व सरपंच लक्ष्मण प्रसाद, कार्यकारिणी सदस्यों में अशोक प्रसाद सहित प्रदीप प्रसाद, सुरेश मंडल, सीताराम प्रसाद, प्रभु प्रसाद, राजेश प्रसाद, जनक लाल मंडल, रमेश मेहता, राज मेहता, रोहित लाल मेहता, रंजीत मेहता आदि उपस्थित थे.
इधर अटका के एक लाइसेंसी खाद विक्रेता नीरज उर्फ झुनझुन पर भी किसानों के साथ धोखाधड़ी करने का आरोप लगाया गया है. ग्रामसभा में उपस्थित लोगों ने कहा है कि उनके द्वारा डीएपी के नाम पर पोटाश खाद किसानों के बीच बेचा गया है. जिसके कारण धान की फसलों का विकास नहीं हो रहा है. इस संबंध में खाद विक्रेता नीरज ने अपना पक्ष रखते हुए कहा है कि वे किसानों के बीच बहुत कम खाद बेचा गया है, ज्यादा खाद दुकानदारों के बीच बेचा गया है. साथ ही डीएपी ओर पोटाश का मूल्य भी किसानों को बताया गया था, कम मूल्य में किसानों ने पोटाश की खरीदी की थी.