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40 सालों से थाने नहीं पहुंचा एक भी मामला, ग्राम सभा ने पेश की ऐसी मिसाल - पूर्व विधायक विनोद कुमार सिंह

गिरिडीह जिले का खंभरा गांव वैसा गांव है जहां पिछले 40 सालों से कोई मामला थाने तक नहीं पहुंचा है. गांव ने जो मिसाल पेश की है उसका कारण है यहां की ग्राम सभा.

खंभरा गांव
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Published : Nov 24, 2019, 10:24 PM IST


गिरिडीहः एक तरफ जहां आज घरेलू विवाद को लेकर अपनों के खिलाफ लोग थाने पहुंच रहें हैं वहीं दूसरी ओर एक ऐसा भी गांव है जहां पिछले 40 सालों से कोई मामला थाने तक नहीं पहुंचा है. यह गांव है गिरिडीह जिले का खंभरा गांव. पूरे देश के लिए मिसाल पेश करते इस गांव का एक भी मामला थाने तक नहीं पहुंचा है, इसका कारण है यहां की ग्राम सभा. दरअसल, गांव में सभी झगड़े और विवाद का निपटारा ग्राम सभा ही कर दिया करती है.

देखें पूरी खबर


1978 में हुआ था ग्रम सभा का गठन
शहीद विधायक महेंद्र सिंह के नेतृत्व में पहली बार 1978 में खंभरा गांव में ग्राम सभा का गठन किया गया था. हालांकि उस समय महेंद्र सिंह विधायक नहीं चुने गए थे. दरअसल, शहीद विधायक महेन्द्र सिंह और पूर्व विधायक विनोद कुमार सिंह का यह पैतृक गांव है. बताया जाता है कि ग्राम सभा का गठन करके महेंद्र सिंह ने सूदखोर पिता- पुत्र की सबसे पहले दुकान बंद कराई थी. उसके बाद गांव के झगड़े- फसाद का गांव में निपटाने का सिलसिला शुरू हुआ जो आज भी जारी है.

तालाब के पैसे से ग्रामीणों का चुकाया जाता है बिजली बिल
खंभरा गांव के ग्राम सभा के सचिव धीरन सिंह बताते हैं कि गांव में एक बड़ा तालाब है. ग्राम सभा का तालाब पर नियंत्रण है. तालाब में मछली पालन करने से होने वाले आमदनी से गांव के सभी बिजली उपभोक्ताओं का बिजली बिल चुकाया जाता है. हालांकि हाल के एक- दो सालों से कम बारिश की वजह से मछली पालन नहीं हो सका है. लेकिन फिर भी ग्राम सभा की कोशिश रहती है कि ग्रामीणों पर पैसे का ज्यादा दबाव न पड़ सके. इसके अलावा गांव के जंगल पर भी ग्राम सभा का नियंत्रण है. ग्राम सभा की स्वीकृति के बगैर जंगल से एक भी लकड़ी को कोई काट नहीं सकता है. अगर किसी ने ऐसा किया और पकड़ा गया तब ग्राम सभा ही उसे दंडित करने का काम करती है.

ये भी पढ़ें: ग्राउंड जीरो पर ईटीवी भारत, नदी-जंगल पार कर लोग करने जाते हैं मतदान


ग्राम सभा ने पेश किया है आदर्श
ऐसा नहीं है कि इस गांव में कभी झगड़े-झंझट होते ही नहीं लेकिन यहां की ग्राम सभा इतनी मजबूती से काम करती है कि विवाद का निबटारा अपने स्तर पर ही कर देती है. गांव में पांच जाति के लोग रहते हैं लेकिन कभी आपसी लड़ाई में विवाद थाना तक नहीं पहुंचता. इस गांव के ग्राम सभा की तारिफ बगोदर के थाना प्रभारी नवीन कुमार सिंह भी करते हुए कहते हैं कि गांव की ग्राम सभा ने आदर्श पेश किया है.


गिरिडीहः एक तरफ जहां आज घरेलू विवाद को लेकर अपनों के खिलाफ लोग थाने पहुंच रहें हैं वहीं दूसरी ओर एक ऐसा भी गांव है जहां पिछले 40 सालों से कोई मामला थाने तक नहीं पहुंचा है. यह गांव है गिरिडीह जिले का खंभरा गांव. पूरे देश के लिए मिसाल पेश करते इस गांव का एक भी मामला थाने तक नहीं पहुंचा है, इसका कारण है यहां की ग्राम सभा. दरअसल, गांव में सभी झगड़े और विवाद का निपटारा ग्राम सभा ही कर दिया करती है.

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1978 में हुआ था ग्रम सभा का गठन
शहीद विधायक महेंद्र सिंह के नेतृत्व में पहली बार 1978 में खंभरा गांव में ग्राम सभा का गठन किया गया था. हालांकि उस समय महेंद्र सिंह विधायक नहीं चुने गए थे. दरअसल, शहीद विधायक महेन्द्र सिंह और पूर्व विधायक विनोद कुमार सिंह का यह पैतृक गांव है. बताया जाता है कि ग्राम सभा का गठन करके महेंद्र सिंह ने सूदखोर पिता- पुत्र की सबसे पहले दुकान बंद कराई थी. उसके बाद गांव के झगड़े- फसाद का गांव में निपटाने का सिलसिला शुरू हुआ जो आज भी जारी है.

तालाब के पैसे से ग्रामीणों का चुकाया जाता है बिजली बिल
खंभरा गांव के ग्राम सभा के सचिव धीरन सिंह बताते हैं कि गांव में एक बड़ा तालाब है. ग्राम सभा का तालाब पर नियंत्रण है. तालाब में मछली पालन करने से होने वाले आमदनी से गांव के सभी बिजली उपभोक्ताओं का बिजली बिल चुकाया जाता है. हालांकि हाल के एक- दो सालों से कम बारिश की वजह से मछली पालन नहीं हो सका है. लेकिन फिर भी ग्राम सभा की कोशिश रहती है कि ग्रामीणों पर पैसे का ज्यादा दबाव न पड़ सके. इसके अलावा गांव के जंगल पर भी ग्राम सभा का नियंत्रण है. ग्राम सभा की स्वीकृति के बगैर जंगल से एक भी लकड़ी को कोई काट नहीं सकता है. अगर किसी ने ऐसा किया और पकड़ा गया तब ग्राम सभा ही उसे दंडित करने का काम करती है.

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ग्राम सभा ने पेश किया है आदर्श
ऐसा नहीं है कि इस गांव में कभी झगड़े-झंझट होते ही नहीं लेकिन यहां की ग्राम सभा इतनी मजबूती से काम करती है कि विवाद का निबटारा अपने स्तर पर ही कर देती है. गांव में पांच जाति के लोग रहते हैं लेकिन कभी आपसी लड़ाई में विवाद थाना तक नहीं पहुंचता. इस गांव के ग्राम सभा की तारिफ बगोदर के थाना प्रभारी नवीन कुमार सिंह भी करते हुए कहते हैं कि गांव की ग्राम सभा ने आदर्श पेश किया है.

Intro:बगोदर का खंभरा गांव पेश कर रहा मिशाल, 40 सालों से थाना नहीं पहुंचा है गांव का मामला

बगोदर/गिरिडीह


Body:बगोदर/गिरिडीहः एक तरफ जहां आज घरेलू विवाद को लेकर अपनों के खिलाफ भी लोग थाने पहुंच रहें हैं वहीं दूसरी ओर एक ऐसा भी गांव है जहां का किसी तरह का कोई भी मामला 40 सालों से थाना तक नहीं पहुंचा है. गांव के झगड़े और विवाद का निपटारा ग्राम सभा के जरिए की जाती है. उस गांव का नाम है खंभरा. गिरिडीह जिले के बगोदर प्रखंड में यह गांव स्थित है. बगोदर के शहीद विधायक महेन्द्र सिंह और पूर्व विधायक विनोद कुमार सिंह का यह पैतृक गांव है. तत्कालीन विधायक महेंद्र सिंह के नेतृत्व में यहां ग्राम सभा का गठन किया गया था, जो अब भी संचालित है. ग्राम सभा के सचिव धीरन सिंह है. बताते हैं कि गांव में पांच जाति के लोग रहते हैं. गांव में होने वाले छोटे- बड़े सभी प्रकार के विवादों एवं झगड़ो का निपटारा ग्राम सभा करती है. ग्राम सभा के द्वारा उचित फैसला सुनाया जाता है. यही वजह है कि 40 सालों से इस गांव का एक भी मामला थाना नहीं पहुंचा है.



1978 में पहली बार ग्राम सभा का हुआ था गठन

शहीद विधायक महेंद्र सिंह के नेतृत्व में पहली बार 1978 में गांव में ग्राम सभा का गठन किया गया. हालांकि उस समय महेंद्र सिंह विधायक नहीं चुने गए थे. बताया जाता है कि ग्राम सभा का गठन करके महेंद्र सिंह ने सूदखोर पिता- पुत्र की सबसे पहले दुकान बंद कराई थी. उसके बाद गांव के झगड़े- फंसाद का गांव में निपटाने का सिलसिला शुरू हुआ जो आज भी सतत् जारी है.



तालाब के पैसे से ग्रामीणों का चुकाया जाता है बिजली बिल

ग्राम सभा के सचिव धीरन सिंह बताते हैं कि गांव में एक बड़ा तालाब है. ग्राम सभा का तालाब पर नियंत्रण है. तालाब में मछली पालन करने से होने वाले आमदनी से गांव के सभी बिजली उपभोक्ताओं का बिजली बिल चुकाया जाता है. हालांकि हाल के एक- दो सालों से कम बारिश के वजह से मछली पालन नहीं हो सका है. इसके अलावा गांव के जंगल पर ग्राम सभा का नियंत्रण है. ग्राम सभा की स्वीकृति के बगैर जंगल से एक भी लकड़ी कोई काट नहीं सकता है. अगर किसी ने ऐसा किया और पकड़ा गया तब ग्राम सभा के द्वारा उसे शारीरिक रूप से दंडित किया जाता है.
















Conclusion:धीरन सिंह, ग्राम सभा, सचिव
नवीन कुमार सिंह, थाना प्रभारी
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