गिरिडीहः एक तरफ जहां आज घरेलू विवाद को लेकर अपनों के खिलाफ लोग थाने पहुंच रहें हैं वहीं दूसरी ओर एक ऐसा भी गांव है जहां पिछले 40 सालों से कोई मामला थाने तक नहीं पहुंचा है. यह गांव है गिरिडीह जिले का खंभरा गांव. पूरे देश के लिए मिसाल पेश करते इस गांव का एक भी मामला थाने तक नहीं पहुंचा है, इसका कारण है यहां की ग्राम सभा. दरअसल, गांव में सभी झगड़े और विवाद का निपटारा ग्राम सभा ही कर दिया करती है.
1978 में हुआ था ग्रम सभा का गठन
शहीद विधायक महेंद्र सिंह के नेतृत्व में पहली बार 1978 में खंभरा गांव में ग्राम सभा का गठन किया गया था. हालांकि उस समय महेंद्र सिंह विधायक नहीं चुने गए थे. दरअसल, शहीद विधायक महेन्द्र सिंह और पूर्व विधायक विनोद कुमार सिंह का यह पैतृक गांव है. बताया जाता है कि ग्राम सभा का गठन करके महेंद्र सिंह ने सूदखोर पिता- पुत्र की सबसे पहले दुकान बंद कराई थी. उसके बाद गांव के झगड़े- फसाद का गांव में निपटाने का सिलसिला शुरू हुआ जो आज भी जारी है.
तालाब के पैसे से ग्रामीणों का चुकाया जाता है बिजली बिल
खंभरा गांव के ग्राम सभा के सचिव धीरन सिंह बताते हैं कि गांव में एक बड़ा तालाब है. ग्राम सभा का तालाब पर नियंत्रण है. तालाब में मछली पालन करने से होने वाले आमदनी से गांव के सभी बिजली उपभोक्ताओं का बिजली बिल चुकाया जाता है. हालांकि हाल के एक- दो सालों से कम बारिश की वजह से मछली पालन नहीं हो सका है. लेकिन फिर भी ग्राम सभा की कोशिश रहती है कि ग्रामीणों पर पैसे का ज्यादा दबाव न पड़ सके. इसके अलावा गांव के जंगल पर भी ग्राम सभा का नियंत्रण है. ग्राम सभा की स्वीकृति के बगैर जंगल से एक भी लकड़ी को कोई काट नहीं सकता है. अगर किसी ने ऐसा किया और पकड़ा गया तब ग्राम सभा ही उसे दंडित करने का काम करती है.
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ग्राम सभा ने पेश किया है आदर्श
ऐसा नहीं है कि इस गांव में कभी झगड़े-झंझट होते ही नहीं लेकिन यहां की ग्राम सभा इतनी मजबूती से काम करती है कि विवाद का निबटारा अपने स्तर पर ही कर देती है. गांव में पांच जाति के लोग रहते हैं लेकिन कभी आपसी लड़ाई में विवाद थाना तक नहीं पहुंचता. इस गांव के ग्राम सभा की तारिफ बगोदर के थाना प्रभारी नवीन कुमार सिंह भी करते हुए कहते हैं कि गांव की ग्राम सभा ने आदर्श पेश किया है.