डुमरी, गिरिडीह: गांव में पक्की सड़क नहीं थी, गांव की टूटी फूटी कच्ची सड़क पर एंबुलेंस आ नहीं सकता. एंबुलेंस नहीं पहुंचने पर समुचित इलाज के अभाव में सीतामुनि ने दम तोड़ दिया. यह घटना है पारसनाथ की तराई में बसें आदिवासी बाहुल्य गांव चेरीबेडा की. चेरीबेडा डुमरी प्रखंड के छछंदो पंचायत में आता हैं. यहां आवागमन की सुविधा नहीं हैं. लोगों को लगभग दो किमी की दूरी पैदल ही तय करनी पड़ती है तब जाकर सड़क मिलती है. इसी कुव्यवस्था की शिकार चेरीबेडा निवासी बबलू मुर्मू की पत्नी सीतामुनि हुई हैं. विडंबना यह हैं कि मौत के 36 घंटे के बाद यह मामला लोगों के सामने आ सका. वह भी तब जब ग्रामीणों द्वारा खाट पर मरीज के पैदल ही ले जाने की तस्वीर को वायरल किया गया.
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सड़क के अभाव में महिला की जान जाने के बाद उसके पति बबलू ने बताया कि सीतामुनि की तबीयत सोमवार की शाम को ही बिगड़ गई थी. उस दिन शाम को डॉक्टर ने दवा की गोली दी, लेकिन तबियत में सुधार नहीं हो सका. दूसरे दिन सुबह में यह तय हुआ कि सीता को डुमरी स्थित अस्पताल ले जाना है, लेकिन समस्या एंबुलेंस की सामने आ गई. फिर घरवालों नें कुछ गांव के लोगों को साथ में लिया. सीता की खाट को कांधे पर लादा गया और फिर लगभग तीन किमी की दूरी तय कर लोग टेसाफूली पहुंचे. यहां एम्बुलेंस आया और सीता को डुमरी रेफरल अस्पताल पहुंचाया गया. लेकिन तब तक उसने दम तोड़ दिया था.
परिजनों से मिले भाजपा नेता: बुधवार को इस घटना की जानकारी भाजपा नेता सुरेंद्र कुमार को लगी. वे अपने सहयोगी दीपक श्रीवास्तव के साथ मृतका के गांव पहुंचे और उसके परिजनों से मिले. सुरेंद्र ने कहा कि सड़क के अभाव में मौत हो जाना काफी दुःखद घटना है. कहा कि पहले पीड़ित परिवार को सरकार सहायता दे फिर ऐसे गांव की सड़क बनाए. इस विषय को लेकर स्थानीय प्रखंड विकास पदाधिकारी से सम्पर्क करने का काफी प्रयास किया गया लेकिन उनसे बात नहीं हो सकी.