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एक दशक पहले बिछा था खम्भा-तार, 10-12 दिनों तक बिजली रहने के बाद हो गई लापता - कार्यपालक अभियंता अरविंद कुमार

देश में कई ऐसे गांव हैं जहां बिजली का खम्भा गाड़ा गया, बिजली की तार पहुंचा दी गई. धावाटांड गांव को बेचिरागी की लिस्ट से बाहर कर दिया गया लेकिन बिजली मिली ही नहीं. ऐसा ही एक गांव झारखंड के गिरिडीह में है. यहां एक दशक पहले ही बिजली पहुंच गई लेकिन 12 दिनों की रौशनी के बाद गायब हो गई.

No electricity in Dhawatand of Giridih
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Published : Jan 6, 2022, 10:38 PM IST

गिरिडीह: कहां तो तय था चरागां हर घर लिए, यहां तो चराग मयस्सर नहीं शहर के लिए.. प्रसिद्ध कवि दुष्यंत की यह कविता आज झारखंड के गिरिडीह जिला अंतर्गत उग्रवाद प्रभावित पीरटांड़ के धावाटांड गांव पर सटीक बैठती है. जिला मुख्यालय से लगभग 30 किमी की दूरी पर अवस्थित धावाटांड गांव पिछले एक दशक से अंधेरे में है. यहां लगभग 10 वर्ष पूर्व बिजली का खम्भा गाड़ा गया था. बिजली का तार भी बिछाया गया. घर-घर में बिजली का कनेक्शन दिया गया. 10-12 दिनों तक रौशनी से गांव जगमगाता रहा. लेकिन इसके बाद गुल हुई बिजली आज-तक गांव नहीं पहुंची है.

ये भी पढ़ें- वाह रे बिजली विभाग का खेल, बिन खंभा बिन तार आ गया बिल

सरकार के दावों की खुल रही है पोल

यह गांव केंद्र सरकार के साथ साथ राज्य सरकार के उस दावें की भी पोल खोल रहा जिसमें तीन वर्ष पूर्व ही यह कहा गया था कि अब हर गांव में बिजली पहुंच चुकी है. कोई भी गांव बेचिरागी नहीं रहा है. ईटीवी भारत की टीम ने इस गांव के लोगों से बात की. ग्रामीणों ने बताया कि एक दशक पूर्व बिजली आयी थी. लगा था कि अब अंधेरा दूर होगा लेकिन बिजली अब सपना बनकर रह गया है. ग्रामीणों ने कहा कि उसी समय 25 KVA का लगा ट्रांसफार्मर जला जिसे आजतक विभाग ने नहीं लगाया. ग्रामीणों ने यह भी बताया कि बगल के गांव में बिजली है लेकिन वे लोग यहां पर तार खींचने नहीं देते.

देखें स्पेशल स्टोरी



ढिबरी में होती है पढ़ाई

इन 10 वर्ष के दरमियान जन्म लिए बच्चों ने तो कभी घर के अंदर बल्ब जलते देखा ही नहीं. इन बच्चों की पढ़ाई ढिबरी के सहारे होती है. बच्चें कहते हैं कभी गांव से बाहर जाना होता है तो दूसरे के घर में ही पंखा के हवा का आनंद ले पाते हैं.

No electricity in Dhawatand of Giridih
अंधेरे में पढ़ते हें बच्चे



ये भी पढ़ें- सरकारी अस्पताल में उपलब्ध है दवा, सहिया के सहारे बाहर चल रही है अवैध दवा की दुकान

गुहार के बाद भी सुनवाई नहीं : मुखिया

यह गांव बिशनपुर पंचायत के अंतर्गत आता है. धावाटांड गांव की मुखिया कल्पना देवी और उनके प्रतिनिधि से बात की गई तो उन्होंने बताया कि इस गांव में 65-70 चूल्हा है. इतने घरों के लोग अंधेरे में रहने को विवश हैं. यह सब बिजली विभाग की लापरवाही का नतीजा है. यह भी बताया कि यहां पर बिजली सुचारू करने के लिए कई दफा गुहार लगाई गई लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई.

No electricity in Dhawatand of Giridih
गांव में बिजली के तार और खंभे

ये भी पढ़ें- Corona Effect in Giridih: गिरिडीह में सड़कों पर उतरा प्रशासन, कोविड-19 प्रोटोकॉल का पालन करने की दी नसीहत


जल्द दुरुस्त होगी बिजली: ईई

इस पूरे मामले पर विभाग के कार्यपालक अभियंता अरविंद कुमार से बात की गई तो उन्होंने कहा कि अभी वे दो माह पहले ही यहां योगदान दिये हैं. उन्हें इस गांव की समस्या की जानकारी मिली है. जल्द से जल्द यहां पर बिजली को सुचारू कर दिया जाएगा.

गिरिडीह: कहां तो तय था चरागां हर घर लिए, यहां तो चराग मयस्सर नहीं शहर के लिए.. प्रसिद्ध कवि दुष्यंत की यह कविता आज झारखंड के गिरिडीह जिला अंतर्गत उग्रवाद प्रभावित पीरटांड़ के धावाटांड गांव पर सटीक बैठती है. जिला मुख्यालय से लगभग 30 किमी की दूरी पर अवस्थित धावाटांड गांव पिछले एक दशक से अंधेरे में है. यहां लगभग 10 वर्ष पूर्व बिजली का खम्भा गाड़ा गया था. बिजली का तार भी बिछाया गया. घर-घर में बिजली का कनेक्शन दिया गया. 10-12 दिनों तक रौशनी से गांव जगमगाता रहा. लेकिन इसके बाद गुल हुई बिजली आज-तक गांव नहीं पहुंची है.

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सरकार के दावों की खुल रही है पोल

यह गांव केंद्र सरकार के साथ साथ राज्य सरकार के उस दावें की भी पोल खोल रहा जिसमें तीन वर्ष पूर्व ही यह कहा गया था कि अब हर गांव में बिजली पहुंच चुकी है. कोई भी गांव बेचिरागी नहीं रहा है. ईटीवी भारत की टीम ने इस गांव के लोगों से बात की. ग्रामीणों ने बताया कि एक दशक पूर्व बिजली आयी थी. लगा था कि अब अंधेरा दूर होगा लेकिन बिजली अब सपना बनकर रह गया है. ग्रामीणों ने कहा कि उसी समय 25 KVA का लगा ट्रांसफार्मर जला जिसे आजतक विभाग ने नहीं लगाया. ग्रामीणों ने यह भी बताया कि बगल के गांव में बिजली है लेकिन वे लोग यहां पर तार खींचने नहीं देते.

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ढिबरी में होती है पढ़ाई

इन 10 वर्ष के दरमियान जन्म लिए बच्चों ने तो कभी घर के अंदर बल्ब जलते देखा ही नहीं. इन बच्चों की पढ़ाई ढिबरी के सहारे होती है. बच्चें कहते हैं कभी गांव से बाहर जाना होता है तो दूसरे के घर में ही पंखा के हवा का आनंद ले पाते हैं.

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गुहार के बाद भी सुनवाई नहीं : मुखिया

यह गांव बिशनपुर पंचायत के अंतर्गत आता है. धावाटांड गांव की मुखिया कल्पना देवी और उनके प्रतिनिधि से बात की गई तो उन्होंने बताया कि इस गांव में 65-70 चूल्हा है. इतने घरों के लोग अंधेरे में रहने को विवश हैं. यह सब बिजली विभाग की लापरवाही का नतीजा है. यह भी बताया कि यहां पर बिजली सुचारू करने के लिए कई दफा गुहार लगाई गई लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई.

No electricity in Dhawatand of Giridih
गांव में बिजली के तार और खंभे

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जल्द दुरुस्त होगी बिजली: ईई

इस पूरे मामले पर विभाग के कार्यपालक अभियंता अरविंद कुमार से बात की गई तो उन्होंने कहा कि अभी वे दो माह पहले ही यहां योगदान दिये हैं. उन्हें इस गांव की समस्या की जानकारी मिली है. जल्द से जल्द यहां पर बिजली को सुचारू कर दिया जाएगा.

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