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Giridih News: दिलीप भरत के जज्बे को सलाम, सेना के प्रति देशवासियों का स्वाभिमान जगाने साइकिल से कर रहे देश भ्रमण - bicycle trip to India

53 वर्ष का एक व्यक्ति लोगों के अंदर देशभक्ति की भावना को और भी प्रबल करने निकला है. यह व्यक्ति नागपुर का है जो 45 हजार किमी की यात्रा साइकिल से कर रहा है. ईटीवी भारत की टीम ने भारत भ्रमण पर निकले दिलीप भरत मल्लिक से बात की.

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Published : Feb 19, 2023, 11:54 AM IST

संवाददाता अमरनाथ सिन्हा की रिपोर्ट

गिरिडीह: देश की बेटियां सुरक्षित रहे और इन्हें सुरक्षा देने में सरकार के साथ-साथ आम नागरिकों का भी भरपूर योगदान हो. बॉर्डर में तैनात जवानों के प्रति लोग अटूट निष्ठा रखें और देशभक्ति की भावना और भी प्रबल हो. इसी सोच के साथ महाराष्ट्र के नागपुर का एक 53 वर्षीय व्यक्ति दिलीप भरत मल्लिक भारत भ्रमण को निकला है. साइकिल से ही अकेले वह सवारी कर रहा है. दिलीप ने 26 जनवरी 2022 को अपनी यात्रा की शुरुआत की है. उनका मिशन 45 हजार 7 सौ 11 किमी का है. यात्रा के दौरान उनका पड़ाव गिरिडीह के बगोदर अंतर्गत औंरा में रहा. यहीं पर उनसे ईटीवी भारत संवाददाता ने बात की.

ये भी पढ़ें: जज्बे को सलाम : साइकिल से पांच बार घूमा पूरा देश, यात्रा के पीछे ये है वजह

मल्लिक ने बताया कि 26 जनवरी 2022 से यात्रा की शुरुआत की थी. पहले राउंड, 7 महीना पांच दिन में उन्होंने 21 हजार 250 किमी की यात्रा कर पूरी की थी. दूसरे राउंड में वह 11 हजार 800 किलोमीटर का सफर पूरा कर चुका है. 26 जनवरी 2023 को उन्होंने तीसरे चरण की यात्रा शुरू की है. तीसरे राउंड की यह यात्रा नागपुर से कोलकाता-झारखंड इसके बाद बिहार, उत्तर प्रदेश, पंजाब से वैष्णव देवी होते हुए वापस नागपुर जाना है. अप्रैल 2023 में चौथे राउंड की यात्रा प्रारंभ होगी.

देश के लिए मन की भावना को जगाना होगा: भरत मल्लिक बताते हैं कि इतनी लंबी यात्रा के दौरान उन्हें किसी ने सहयोग नहीं किया. वह यात्रा में देश का नाम पूरे विश्व के अंदर रौशन करना चाहते हैं. साथ ही साथ वह चाहते हैं कि देश के लिए लोग अपनी मन की भावना जगाएं. उन्होंने कहा कि देश पहले है, उसके बाद ही कुछ है.

यात्रा के दौरान खो चुके हैं मां और पत्नी: मल्लिक ने बताया कि वह यात्रा पर निकल गए थे तो इस बीच उनकी मां और पत्नी का देहांत हो गया. वह दोनों के अंतिम क्रिया में भी शामिल नहीं हो सके. उन्होंने कहा कि कभी-कभी यात्रा के दौरान उनके पास एक भी पैसा नहीं रहता है, तब कइयों ने रास्ते में मदद की. उन्होंने बताया कि उनकी मदद सबसे अधिक सेना के जवानों ने की है. यह भी बताया कि रात होने पर वे मंदिर या मस्जिद में रुकते हैं. वह जहां रुकते हैं, वहां लोग उनसे कई तरह की बात करते हैं. कई उनके मनोबल को भी ऊंचा करने का काम करते हैं.

संवाददाता अमरनाथ सिन्हा की रिपोर्ट

गिरिडीह: देश की बेटियां सुरक्षित रहे और इन्हें सुरक्षा देने में सरकार के साथ-साथ आम नागरिकों का भी भरपूर योगदान हो. बॉर्डर में तैनात जवानों के प्रति लोग अटूट निष्ठा रखें और देशभक्ति की भावना और भी प्रबल हो. इसी सोच के साथ महाराष्ट्र के नागपुर का एक 53 वर्षीय व्यक्ति दिलीप भरत मल्लिक भारत भ्रमण को निकला है. साइकिल से ही अकेले वह सवारी कर रहा है. दिलीप ने 26 जनवरी 2022 को अपनी यात्रा की शुरुआत की है. उनका मिशन 45 हजार 7 सौ 11 किमी का है. यात्रा के दौरान उनका पड़ाव गिरिडीह के बगोदर अंतर्गत औंरा में रहा. यहीं पर उनसे ईटीवी भारत संवाददाता ने बात की.

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मल्लिक ने बताया कि 26 जनवरी 2022 से यात्रा की शुरुआत की थी. पहले राउंड, 7 महीना पांच दिन में उन्होंने 21 हजार 250 किमी की यात्रा कर पूरी की थी. दूसरे राउंड में वह 11 हजार 800 किलोमीटर का सफर पूरा कर चुका है. 26 जनवरी 2023 को उन्होंने तीसरे चरण की यात्रा शुरू की है. तीसरे राउंड की यह यात्रा नागपुर से कोलकाता-झारखंड इसके बाद बिहार, उत्तर प्रदेश, पंजाब से वैष्णव देवी होते हुए वापस नागपुर जाना है. अप्रैल 2023 में चौथे राउंड की यात्रा प्रारंभ होगी.

देश के लिए मन की भावना को जगाना होगा: भरत मल्लिक बताते हैं कि इतनी लंबी यात्रा के दौरान उन्हें किसी ने सहयोग नहीं किया. वह यात्रा में देश का नाम पूरे विश्व के अंदर रौशन करना चाहते हैं. साथ ही साथ वह चाहते हैं कि देश के लिए लोग अपनी मन की भावना जगाएं. उन्होंने कहा कि देश पहले है, उसके बाद ही कुछ है.

यात्रा के दौरान खो चुके हैं मां और पत्नी: मल्लिक ने बताया कि वह यात्रा पर निकल गए थे तो इस बीच उनकी मां और पत्नी का देहांत हो गया. वह दोनों के अंतिम क्रिया में भी शामिल नहीं हो सके. उन्होंने कहा कि कभी-कभी यात्रा के दौरान उनके पास एक भी पैसा नहीं रहता है, तब कइयों ने रास्ते में मदद की. उन्होंने बताया कि उनकी मदद सबसे अधिक सेना के जवानों ने की है. यह भी बताया कि रात होने पर वे मंदिर या मस्जिद में रुकते हैं. वह जहां रुकते हैं, वहां लोग उनसे कई तरह की बात करते हैं. कई उनके मनोबल को भी ऊंचा करने का काम करते हैं.

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