गिरिडीह: सदर प्रखंड द्वारा नियम व वरीय पदाधिकारी के निर्देशों का उल्लंघन कर 29 मार्च को 8 गुणा अधिक राशि की निकासी कर ली. न सिर्फ राशि की निकासी की गई बल्कि 60:40 का भी उल्लंघन करते हुए मेटेरियल सप्लायर को सीधा लाभ पहुंचा दिया. इस गड़बड़ी की खबर को ईटीवी भारत ने ही सबसे पहले प्रकाशित किया. खबर प्रकाशित हुई तो डीसी नमन प्रियेश लकड़ा ने इसे गंभीरता से लिया और जांच करवाते हुए कार्यवाई शुरू की.
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अभी तक 11 पंचायतों व इससे जुड़े पदाधिकारी तथा कर्मी से 15,47,350 रुपए वसूली के आदेश जारी हो चुके हैं. इसी जांच के क्रम में सदर प्रखंड के दो पंचायत जीतपुर व मंगरोडीह के रोजगार सेवक को बर्खास्त कर दिया गया. जबकि सदर प्रखंड के मंगरोडीह की मुखिया व गांडेय प्रखंड के फूलजोरी की मुखिया की वित्तीय शक्ति जब्त करने का आदेश डीसी ने दिया है. अब इस कार्रवाई का विरोध मुखिया संघ ने कर दिया है. मुखिया संघ ने जिलाध्यक्ष भागीरथ मंडल की अध्यक्षता में बैठक की है और साफ कहा है मनरेगा में गड़बड़ी के पीछे सिर्फ मुखिया व रोजगार सेवक दोषी नहीं है.
बीडीओ-अभियंता पर उठाया सवाल: यहां बैठक में कहा गया कि मनरेगा योजना की स्वीकृति देने में बीडीओ की भूमिका अहम होती है. योजना की तकनिकी स्वीकृति सहायक अभियंता, कनीय अभियंता देते हैं. योजना को देखने का जिम्मा बीपीओ का भी रहता है. ऐसे के सभी पर कार्रवाई एक तरह की होनी चाहिए. संघ के अध्यक्ष भागीरथ मंडल ने आरोप लगाया कि जिला के सभी मुखिया के पास लॉगिन आईडी व पासवर्ड नहीं रहता है. बीडीओ, जेई ही लॉगिन आईडी व पासवर्ड रखते हैं. ऐसे पूरे मामले की गंभीरता से जांच होनी चाहिए. मामले में सिर्फ मुखिया व रोजगार सेवक को बली का बकरा बनाना उचित नहीं है.
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इस दौरान मुखिया मो शमीम ने कहा कि हम डीसी से पुनः जांच की मांग करते हैं. साथ ही साथ मुखिया संघ भी मामले की जांच करेगा. कहा कि एक तरफा कार्यवाई होती है तो मुखिया मनरेगा की योजना संचालित नहीं करेगा.