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विदेशों में महफूज नहीं बगोदर के प्रवासी मजदूर, अंतरराष्ट्रीय मजदूर दिवस पढ़ें स्पेशल रिपोर्ट

गिरिडीह में बगोदर इलाके के मजदूर रोजगार के अभाव में जब महानगरों और विदेशों में जाते हैं, तो उन्हें कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता है. विदेशों से वतन लौटे कुछ मजदूरों ने अपनी आप बीती सुनाई, जिसको सुनकर आपकी आंखें भी नम हो जाएंगी.

migrant laborers of bagodar are not safe in foreign countries
विदेशों में महफूज नहीं बगोदर के प्रवासी मजदूर, अंतरराष्ट्रीय मजदूर दिवस पढ़ें स्पेशल रिपोर्ट
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Published : May 1, 2021, 7:21 AM IST

Updated : May 1, 2021, 12:31 PM IST

गिरिडीह: आज अंतरराष्ट्रीय मजदूर दिवस है. मजदूरों के हक-अधिकार और सुरक्षा की गारंटी पर हमेशा चिंतन किया जाता रहा है. सभी जगहों पर मजदूरों की भूमिका महत्वपूर्ण होती है लेकिन बगोदर इलाके के मजदूर महानगरों और विदेशों में भी महफूज नहीं दिखते हैं. रोजगार के अभाव में वे दूसरी जगहों का तो रूख करते हैं लेकिन उन्हें कई बार अनहोनी का सामना करना पड़ता है. लाचार मजदूर कहीं बंधक बना लिए जाते हैं, तो कहीं दुर्घटनाओं में उनकी मौत हो जाती है. ये एक चिंता का विषय है.

देखें स्पेशल रिपोर्ट

इसे भी पढ़ें- एक मई : मजूदरों ने अपने हक के लिए आवाज उठाई

कुछ आंकड़े बताते हैं कि पलायन के बाद प्रवासी मजदूरों का विदेशों और महानगरों में जेल की यातनाएं सहना, अपहरण, बंधक बना लिया जाना, ठगी का शिकार होना पड़ता है. अप्रैल महीने की कुछ घटनाएं आपको बताएं तो बगोदर इलाके के पांच प्रवासी मजदूर पिछले कई महीनों से अब भी दुबई में फंसे हुए हैं. अप्रैल महीने में माहुरी के मजदूर मनोज पासवान की मलेशिया में एक हादसे में मौत हो गई, जबकि खेतको के मजदूर की तबीयत बिगड़ने पर मुंबई में मौत हो गई.

कई मामलों में हुई मजदूरों की मौत

16 महीने के आंकड़े पर गौर करें, तो मजदूरों की मौत जेल, ठगी, फंसने, जेल यातना से हुई है. जनवरी 2020 में देवरडीह पंचायत के प्रवासी मजदूर अशोक महतो की मुंबई में मौत हो गई. वहीं, एमपी के इंदौर में बगोदर प्रखंड के नावाडीह के प्रवासी मजदूर राजेश ठाकुर की सड़क दुर्घटना में मौत हो गई. इसके अलावा बगोदर- पोखरिया का प्रवासी मजदूर बसंत तुरी हिमाचल प्रदेश में चाय बागान की पहाड़ी से लुढ़क कर गिर गया था, जिसमें वह गंभीर रूप से घायल हो गया था.

सितंबर महीने में बको पूर्वी के प्रवासी मजदूर नारायण महतो की जॉर्डन में बिजली के करंट से मौत हो गई. इसी महीने दोंदलो के तालेश्वर महतो की गुजरात में सड़क दुर्घटना में मौत हो गई. मुंडरो के महेश सिंह की मुंबई में मौत हो गई. दिसबंर में तिरला के जिबाधन महतो की ओडिशा में मौत हो गई. जनवरी 2021 में पोखरिया के सूरज प्रजापति की मुंबई में मौत, इसी महीने बेको के प्रीतम महतो की मुंबई में मौत हो गई थी.

इसे भी पढ़ें- अंतरराष्ट्रीय मजदूर दिवस आज, जानें इतिहास और महत्व

ढाई साल बाद अफगानिस्तान से लौटा था मजदूर

बता दें कि बगोदर प्रखंड के तीन मजदूरों का अफगानिस्तान में 6 मई 2018 को अपहरण कर लिया गया था. इन मजदूरों में माहुरी के हुलास महतो, घाघरा के प्रसादी एवं प्रकाश महतो शामिल थे. इसमें 26 महीने बाद अपहरणकर्ताओं ने प्रसादी और हुलास को छोड़ा था. दोनों 2020 के अगस्त महीने में वापस घर लौटे थे. इसके पहले प्रकाश की वापसी हुई थी.

गिरिडीह: आज अंतरराष्ट्रीय मजदूर दिवस है. मजदूरों के हक-अधिकार और सुरक्षा की गारंटी पर हमेशा चिंतन किया जाता रहा है. सभी जगहों पर मजदूरों की भूमिका महत्वपूर्ण होती है लेकिन बगोदर इलाके के मजदूर महानगरों और विदेशों में भी महफूज नहीं दिखते हैं. रोजगार के अभाव में वे दूसरी जगहों का तो रूख करते हैं लेकिन उन्हें कई बार अनहोनी का सामना करना पड़ता है. लाचार मजदूर कहीं बंधक बना लिए जाते हैं, तो कहीं दुर्घटनाओं में उनकी मौत हो जाती है. ये एक चिंता का विषय है.

देखें स्पेशल रिपोर्ट

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कुछ आंकड़े बताते हैं कि पलायन के बाद प्रवासी मजदूरों का विदेशों और महानगरों में जेल की यातनाएं सहना, अपहरण, बंधक बना लिया जाना, ठगी का शिकार होना पड़ता है. अप्रैल महीने की कुछ घटनाएं आपको बताएं तो बगोदर इलाके के पांच प्रवासी मजदूर पिछले कई महीनों से अब भी दुबई में फंसे हुए हैं. अप्रैल महीने में माहुरी के मजदूर मनोज पासवान की मलेशिया में एक हादसे में मौत हो गई, जबकि खेतको के मजदूर की तबीयत बिगड़ने पर मुंबई में मौत हो गई.

कई मामलों में हुई मजदूरों की मौत

16 महीने के आंकड़े पर गौर करें, तो मजदूरों की मौत जेल, ठगी, फंसने, जेल यातना से हुई है. जनवरी 2020 में देवरडीह पंचायत के प्रवासी मजदूर अशोक महतो की मुंबई में मौत हो गई. वहीं, एमपी के इंदौर में बगोदर प्रखंड के नावाडीह के प्रवासी मजदूर राजेश ठाकुर की सड़क दुर्घटना में मौत हो गई. इसके अलावा बगोदर- पोखरिया का प्रवासी मजदूर बसंत तुरी हिमाचल प्रदेश में चाय बागान की पहाड़ी से लुढ़क कर गिर गया था, जिसमें वह गंभीर रूप से घायल हो गया था.

सितंबर महीने में बको पूर्वी के प्रवासी मजदूर नारायण महतो की जॉर्डन में बिजली के करंट से मौत हो गई. इसी महीने दोंदलो के तालेश्वर महतो की गुजरात में सड़क दुर्घटना में मौत हो गई. मुंडरो के महेश सिंह की मुंबई में मौत हो गई. दिसबंर में तिरला के जिबाधन महतो की ओडिशा में मौत हो गई. जनवरी 2021 में पोखरिया के सूरज प्रजापति की मुंबई में मौत, इसी महीने बेको के प्रीतम महतो की मुंबई में मौत हो गई थी.

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ढाई साल बाद अफगानिस्तान से लौटा था मजदूर

बता दें कि बगोदर प्रखंड के तीन मजदूरों का अफगानिस्तान में 6 मई 2018 को अपहरण कर लिया गया था. इन मजदूरों में माहुरी के हुलास महतो, घाघरा के प्रसादी एवं प्रकाश महतो शामिल थे. इसमें 26 महीने बाद अपहरणकर्ताओं ने प्रसादी और हुलास को छोड़ा था. दोनों 2020 के अगस्त महीने में वापस घर लौटे थे. इसके पहले प्रकाश की वापसी हुई थी.

Last Updated : May 1, 2021, 12:31 PM IST
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