बगोदर, गिरिडीह: बगोदर के पूर्व विधायक महेंद्र सिंह का आज यानी 16 जनवरी को 19वां शहादत दिवस है. शहादत दिवस पर आयोजित कार्यक्रम में बड़ी संख्या में जिले और जिले से बाहर के लोग उन्हें श्रद्धांजलि देने के लिए जुटते हैं और श्रद्धांजलि सभा को संकल्प दिवस के रूप में मनाते हैं.
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बगोदर की राजनीति की बात होगी, तो महेंद्र सिंह के नाम के बिना बात पूरी नहीं होगी. बेबाक वक्ता, सादा जीवन, गरीबों की आवाज को बुलंद करने के लिए वे सिर्फ बगोदर के इलाके में ही नहीं, बल्कि झारखंड और बिहार में जाने जाते थे. महेंद्र सिंह में सच को सच कहने की हिम्मत थी. यही कारण था कि सामने मौत को खड़ा देखकर भी उनके हौसले नहीं डगमगाए.
महेंद्र सिंह का जन्म 22 फरवरी 1954 को बगोदर प्रखंड के एक छोटे से गांव खंभरा में हुई थी. 1970 के बाद सीपीआई (एमएल) से जुड़कर उन्होंने अपने गांव से राजनीतिक सफर की शुरुआत की थी. उन्होंने शुरुआती समय में महाजनी प्रथा का पुरजोर विरोध किया था. 1978 में वे आईपीएफ से जुड़कर राजनीतिक पारी की जोरदार शुरुआत की और फिर उन्होंने पीछे मुड़कर कभी नहीं देखा. महेंद्र सिंह बगोदर विधानसभा क्षेत्र से लगातार तीन बार चुनाव जीते. एकीकृत बिहार में उन्होंने दो बार विधानसभा चुनाव जीते. पहली बार 1990 और दूसरी बार 1995 में बगोदर से चुनाव जीतकर बिहार विधानसभा पहुंचे. इस दौरान उन्होंने जनहित के मुद्दों को बिहार विधानसभा में जोरदार तरीके से उठाया. इसके बाद झारखंड अलग राज्य का गठन हुआ और वे एक बार फिर बगोदर से चुनाव जीतकर झारखंड विधानसभा पहुंचे.
साल 2005 में विधानसभा चुनाव की घोषणा हुई और फिर महेंद्र सिंह चुनावी रणभूमि में उतरे. 16 जनवरी 2005 को महेंद्र सिंह सरिया के दुर्गी ध्वैया में एक चुनावी कार्यक्रम में शामिल होने को लेकर पहुंचे थे. इसी दौरान बाइक सवार अपराधी कार्यक्रम स्थल पर पहुंचा और महेंद्र सिंह से ही पूछा इसमें महेंद्र सिंह कौन है. अपराधियों के सवाल के जबाव में कहा मैं ही हूं महेन्द्र सिंह. इतना सुनते ही अपराधियों ने गोलियां चला दी. इससे उनकी मौत घटनास्थल ही हो गई. उनकी मौत की सूचना मिलने के बाद झारखंड के साथ साथ बिहार से लोग जुटने लगे. बगोदर का खेल स्टेडियम लोगों की भीड़ से पट गया था. उनकी लोकप्रियता की वजह से घटना के तीसरे दिन यानी 18 जनवरी को बगोदर में शवयात्रा निकालकर जमुनिया नदी किनारे अंतेष्टि की गई थी.