गिरिडीहः जिले के कोलियरी में मशीन पॉलिटिक्स शुरू हो गई है. यह पॉलिटिक्स कोलियरी के मशीन को अमलो परियोजना ट्रांसफर किये जाने को लेकर प्रबंधन ने कवायद शुरू कर दी है. दरअसल, इनवायरमेंट क्लियरेंस और सीटीओ नहीं मिलने की वजह से गिरिडीह कोलियरी के दोनों माइंस से उत्पादन बंद है. इसकी वजह है कि यह कोलियरी सीसीएल के ढोरी एरिया के अंतर्गत आता है. इस स्थिति में प्रबंधन की ओर से दूसरी परियोजना से कोयला उत्पादन करने के लिए मशीनों को ले जाया जा रहा है. एक मशीन पिछले माह जा चुकी है, जबकि दूसरी मशीन को ले जाने का प्रयास शुरू कर दिया गया है. इसका विरोध झारखंड मुक्ति मोर्चा की झारखंड कोलियरी मजदूर यूनियन और ट्रक ऑनर्स एसोसिएशन ने किया है. उन्होंने कहा है कि गिरिडीह कोलियरी को बंद कराने की साजिश रची जा रही है.
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मशीन गिरिडीह कोलियरी से ढोरी नहीं जाए. इसको लेकर कोलियरी के सभी यूनियन एकजुट हो गए हैं. हालांकि, सीधे तौर पर झारखंड कोलियरी मजदूर यूनियन ही सामने आ रही है. इस मामले को लेकर झाकोमयू के नेता और ट्रक ऑनर्स एसोसिएशन ने गिरिडीह परियोजना पदाधिकारी एसके सिंह और ओपेन कास्ट माइंस मैनेजर जीएन बेले के साथ बैठक हो रही है. यूनियन नेता हरगौरी साहू, तेजलाल मंडल, अर्जुन रवानी, जगत पासवान और ट्रक ऑनर्स एसोसिएशन के राजेश यादव, भोलू खान, प्रकाश साव ने कहा है कि प्रबंधन को सीटीओ के लिए पहल करनी चाहिए. ताकि इस कोलियरी से कोयला का उत्पादन जल्द से जल्द शुरू हो सके. उन्होंने कहा कि उत्पादन होगा तो यहां के लोगों को रोजगार मिलेगा. उन्होंने कहा कि मशीन भेजने से लोगों के मन में कोलियरी बंद होने का शक गहरा गया है. इतना ही नहीं, मजदूर नेताओं ने पूरे मामले से स्थानीय विधायक सुदिव्य कुमार को भी अवगत कराया है.
एक तरफ माइंस बंद है तो दूसरी तरफ कोलियरी पर निर्भर ट्रकें बिक रहे हैं. हाल के कुछ माह में 3-4 सौ ट्रक बिक चुके हैं. ट्रक ऑनर्स एसोसिएशन के राजेश यादव कहते हैं कि कोलियरी की दुर्दशा के लिए जेएमएम और बीजेपी दोनों दल के नेता जिम्मेवार हैं. उन्होंने कहा कि कोलियरी पूर्णतः बंद होगी तो ट्रक मालिक, ड्राइवर, खलासी, लोडिंग मजदूर सभी के रोजगार पर सीधा प्रभाव पड़ेगा. परियोजना पदाधिकारी एसके सिंह ने कहा कि सीसीएल प्रबंधन खुद ही कोलियरी के लिए सीटीओ दिलाने के लिए प्रयासरत हैं. उन्होंने कहा कि सीटीओ के लिए शीघ्र ही जनसुनवाई होनी है. उन्होंने कहा कि मशीन किसी दूसरे एरिया में नहीं जा रही है, बल्कि ढोरी एरिया के अमलो परियोजना जा रही है. इस मशीन का उपयोग ढोरी एरिया के अमलो परियोजना में होगा. जैसे ही सीटीओ मिलेगा तो मशीन को वापस लाया जाएगा.
बता दें कि इससे पहले मशीन ले जाने के खिलाफ गिरिडीह के यूनियनों ने संयुक्त मोर्चा बनाया था और इस संयुक्त मोर्चा के बैनर तले आंदोलन का निर्णय लिया था. लेकिन मशीन को ले जाने से रोकने के लिए सिर्फ झाकोमयू के नेता और कार्यकर्ता ही सामने आ रहे हैं. हालांकि, गिरिडीह के लिए जीवनदायनी रही कोलियरी को बचाने का एकमात्र उपाय सीटीओ प्रमाण पत्र मिलना है. इस दिशा में जनप्रतिनिधियों, बड़े नेताओं के साथ साथ प्रबंधन के अधिकारियों को इमानदारी से पहल करने की जरूरत है.
एक नजर में कोलियरी
- 2018 से ही बंद है कबरीबाद माइंस
- 1 जनवरी 2022 से ओपेन कास्ट माइंस से भी उत्पादन बंद
- पदस्थापित सीसीएल कर्मचारियों की संख्या-742
- कोयला ढुलाई पर निर्भर हैं 1000 ट्रक
- 10 हजार परिवार सीधे तौर पर प्रभावित-