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Navratri 2023: सांप्रदायिक सौहार्द्र का प्रतीक है बेंगाबाद का दुर्गा मंदिर, मां के दरबार से सभी की मन्नतें होती हैं पूरी - झारखंड न्यूज

गिरिडीह में बेंगाबाद का दुर्गा मंदिर सांप्रदायिक सौहार्द्र का प्रतीक माना जाता है. 60 साल पहले पूर्व मुखिया दिवंगत हाजी दिलदार अली की अगुवाई में दुर्गा पूजा का शुभारंभ किया गया था. सद्भाव के बीच कौमी एकता की मिसाल पेश करता ये आयोजन आज तक चला आ रहा है. Giridih Durga Puja an example of communal unity. Navratri 2023.

Maa Durga temple of Bengabad considered a symbol of communal harmony in Giridih
गिरिडीह में बेंगाबाद का दुर्गा मंदिर सांप्रदायिक सौहार्द्र का प्रतीक
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By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Oct 20, 2023, 11:26 AM IST

गिरिडीह में बेंगाबाद का दुर्गा मंदिर सांप्रदायिक सौहार्द्र का प्रतीक

गिरीडीहः जिले में बेंगाबाद का दुर्गा मंदिर सांप्रदायिक सौहार्द्र का प्रतीक माना जाता है. इस मंदिर का निर्माण कौमी एकता की मिसाल पेश करती है. बताया जाता है कि लगभग 60 वर्ष पूर्व बेंगाबाद में दुर्गा पूजा का शुभारंभ घुठिया के पूर्व मुखिया स्वर्गीय हाजी दिलदार अली की अगुवाई में शुरू की गई थी. बेंगाबाद में आदि शक्ति मां दुर्गा की पूजा सबसे पहले खुरचुट्टा वन प्रक्षेत्र के रेंजर कार्तिक नारायण बक्शी ने की थी. इसके बाद से हर साल सभी समुदाय के लोग सौहार्द्र के साथ पूजा में भाग लेते हैं.

इसे भी पढे़ं- Navratri 2023: मुस्लिम कारीगरों की मेहनत से चमकेगा बोकारो में मां दुर्गा का दरबार, बनाए जा रहे दो भव्य पंडाल

क्या है मंदिर का इतिहासः पूर्व में पूजा आरंभ करने के लिए एक समिति का गठन किया गया था. जिसमें पूर्व मुखिया हाजी दिलदार अली को समिति का अध्यक्ष बनाया गया. शुरुआती दौर में यहां मां जगदंबा की पूजा अर्चना टेंट लगाकर शुरू की गई थी. कुछ वर्ष बाद पूजा समिति के सदस्यों के प्रयास से यहां दुर्गा मंडप का निर्माण कराया गया, जिसमें सभी धर्म और समुदाय के लोगों ने सहयोग किया था. बताया गया कि दुर्गा पूजा की शुरुआत से मंदिर निर्माण तक पूर्व मुखिया हाजी दिलदार अली पूजा समिति के अध्यक्ष के रूप में अपनी जिम्मेदारी निभाते रहे और सांप्रदायिक सौहार्द्र के साथ यहां माता की पूजा होती रही.

माता के दरबार में मन्नतें होती हैं पूरीः 60 साल पहले इस वन क्षेत्र के रेंजर केएन बक्शी ने मां जगदंबा से मन्नत मांगी थी और मुराद पूरी होने पर उन्होंने यहां विधिवत नवरात्रि पूजा की शुरुआत की. स्वर्गीय रेंजर केएन बक्शी के पुत्र शिव शक्ति नाथ बक्शी बताते हैं कि उनके पिता के द्वारा नवरात्रि की शुरुआत काफी आस्था और श्रद्धा भाव से की गई थी. मां दुर्गा की कृपा से उनके पिता को आशीर्वाद मिला था. इस मंदिर को लेकर उनके परिवार की आस्था वर्तमान समय में भी अटूट है. यहां डाक चढ़ाने वाले श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है.

आस्था केंद्र है दुर्गा मंडपः वर्तमान समय में बेंगाबाद मुख्य बाजार में भव्य दुर्गा मंदिर स्थापित है. दुर्गा मंदिर के अलावा प्रांगण में माता लक्ष्मी, भगवान शिव पार्वती, हनुमान मंदिर सहित कई देवी देवताओं के मंदिर स्थापित हैं. बेंगाबाद का दुर्गा मंडप पूरे क्षेत्र के लिए आस्था का केंद्र है. श्रद्धालुओं को यहां से आदि शक्ति मां जगदंबा का आशीर्वाद मिलता है और माता अपने भक्तों की मन्नतों को पूरा करती हैं. यही कारण है कि दूर दराज से भक्त यहां पहुंचते हैं और माता के आशीर्वाद से फलीभूत होते हैं.

सौहार्द्रपूर्ण माहौल में होती आ रही माता की पूजाः वर्तमान में पूजा समिति के अध्यक्ष विजय सिंह, सचिव अजय गुप्ता, सदस्य प्रवीण राम, अनिरुद्ध राम, डॉ. सुशील सरकार, अरुण राम, शंकर सिंह समेत अन्य लोगों ने कहा कि माता की शक्ति अपरंपार है. आरंभ से वर्तमान समय तक यहां दुर्गा पूजा सौहार्द्रपूर्ण माहौल में मनाया जाता रहा है. नवरात्रि के अवसर पर यहां प्रत्येक वर्ष धूमधाम से पूजा की जाती है. पूजा समिति के लोगों ने बताया कि दुर्गा पूजा को लेकर समिति की ओर से व्यापक तैयारी की जाती है. मंदिर प्रांगण समेत पूरे बाजार की साफ सफाई की जाती है. दुर्गा पूजा के अवसर पर यहां भव्य और आकर्षक पंडाल बनाया जाता है. मुख्यालय में होने के कारण यहां भक्तों की भारी भीड़ लगती है.

गिरिडीह में बेंगाबाद का दुर्गा मंदिर सांप्रदायिक सौहार्द्र का प्रतीक

गिरीडीहः जिले में बेंगाबाद का दुर्गा मंदिर सांप्रदायिक सौहार्द्र का प्रतीक माना जाता है. इस मंदिर का निर्माण कौमी एकता की मिसाल पेश करती है. बताया जाता है कि लगभग 60 वर्ष पूर्व बेंगाबाद में दुर्गा पूजा का शुभारंभ घुठिया के पूर्व मुखिया स्वर्गीय हाजी दिलदार अली की अगुवाई में शुरू की गई थी. बेंगाबाद में आदि शक्ति मां दुर्गा की पूजा सबसे पहले खुरचुट्टा वन प्रक्षेत्र के रेंजर कार्तिक नारायण बक्शी ने की थी. इसके बाद से हर साल सभी समुदाय के लोग सौहार्द्र के साथ पूजा में भाग लेते हैं.

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क्या है मंदिर का इतिहासः पूर्व में पूजा आरंभ करने के लिए एक समिति का गठन किया गया था. जिसमें पूर्व मुखिया हाजी दिलदार अली को समिति का अध्यक्ष बनाया गया. शुरुआती दौर में यहां मां जगदंबा की पूजा अर्चना टेंट लगाकर शुरू की गई थी. कुछ वर्ष बाद पूजा समिति के सदस्यों के प्रयास से यहां दुर्गा मंडप का निर्माण कराया गया, जिसमें सभी धर्म और समुदाय के लोगों ने सहयोग किया था. बताया गया कि दुर्गा पूजा की शुरुआत से मंदिर निर्माण तक पूर्व मुखिया हाजी दिलदार अली पूजा समिति के अध्यक्ष के रूप में अपनी जिम्मेदारी निभाते रहे और सांप्रदायिक सौहार्द्र के साथ यहां माता की पूजा होती रही.

माता के दरबार में मन्नतें होती हैं पूरीः 60 साल पहले इस वन क्षेत्र के रेंजर केएन बक्शी ने मां जगदंबा से मन्नत मांगी थी और मुराद पूरी होने पर उन्होंने यहां विधिवत नवरात्रि पूजा की शुरुआत की. स्वर्गीय रेंजर केएन बक्शी के पुत्र शिव शक्ति नाथ बक्शी बताते हैं कि उनके पिता के द्वारा नवरात्रि की शुरुआत काफी आस्था और श्रद्धा भाव से की गई थी. मां दुर्गा की कृपा से उनके पिता को आशीर्वाद मिला था. इस मंदिर को लेकर उनके परिवार की आस्था वर्तमान समय में भी अटूट है. यहां डाक चढ़ाने वाले श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है.

आस्था केंद्र है दुर्गा मंडपः वर्तमान समय में बेंगाबाद मुख्य बाजार में भव्य दुर्गा मंदिर स्थापित है. दुर्गा मंदिर के अलावा प्रांगण में माता लक्ष्मी, भगवान शिव पार्वती, हनुमान मंदिर सहित कई देवी देवताओं के मंदिर स्थापित हैं. बेंगाबाद का दुर्गा मंडप पूरे क्षेत्र के लिए आस्था का केंद्र है. श्रद्धालुओं को यहां से आदि शक्ति मां जगदंबा का आशीर्वाद मिलता है और माता अपने भक्तों की मन्नतों को पूरा करती हैं. यही कारण है कि दूर दराज से भक्त यहां पहुंचते हैं और माता के आशीर्वाद से फलीभूत होते हैं.

सौहार्द्रपूर्ण माहौल में होती आ रही माता की पूजाः वर्तमान में पूजा समिति के अध्यक्ष विजय सिंह, सचिव अजय गुप्ता, सदस्य प्रवीण राम, अनिरुद्ध राम, डॉ. सुशील सरकार, अरुण राम, शंकर सिंह समेत अन्य लोगों ने कहा कि माता की शक्ति अपरंपार है. आरंभ से वर्तमान समय तक यहां दुर्गा पूजा सौहार्द्रपूर्ण माहौल में मनाया जाता रहा है. नवरात्रि के अवसर पर यहां प्रत्येक वर्ष धूमधाम से पूजा की जाती है. पूजा समिति के लोगों ने बताया कि दुर्गा पूजा को लेकर समिति की ओर से व्यापक तैयारी की जाती है. मंदिर प्रांगण समेत पूरे बाजार की साफ सफाई की जाती है. दुर्गा पूजा के अवसर पर यहां भव्य और आकर्षक पंडाल बनाया जाता है. मुख्यालय में होने के कारण यहां भक्तों की भारी भीड़ लगती है.

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