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नई शिक्षा नीति में शिक्षकों की भूमिका पर चर्चा, वक्ताओं ने कहा-शिक्षा व्यवस्था में लचीलापन लाना मुख्य उद्देश्य

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Published : Jun 25, 2023, 1:38 PM IST

गिरिडीह के बेंगाबाद स्थित केएन बक्शी कॉलेज ऑफ एजुकेशन में राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया. जिसमें शिक्षा जगत में शिक्षकों की भूमिका पर चर्चा हुई.

Giridih Education News
गिरिडीह शिक्षा की खबर

गिरीडीह: शिक्षा जगत में शिक्षकों की भूमिका आरंभ से ही महत्वपूर्ण है. राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के तहत शिक्षकों की भूमिका और भी अहम हो गई है. इस नीति का उद्देश्य शिक्षा व्यवस्था में लचीलापन लाना है और यह शिक्षकों का भी मुख्य उद्देश्य होना चाहिए. उक्त बातें आईसेक्ट यूनिवर्सिटी के वॉइस चांसलर डॉ प्रमोद कुमार नायक ने कही.

ये भी पढ़ें: Giridih News: 11वीं में नामांकन की इजाजत नहीं, नाराज एबीवीपी ने प्रिंसिपल ऑफिस में जड़ा ताला

वह शनिवार को गिरीडीह के बेंगाबाद स्थित केएन बक्शी कॉलेज ऑफ एजुकेशन में आयोजित राष्ट्रीय संगोष्ठी में बतौर मुख्य अतिथि शरीक हुए थे. उन्होंने कहा कि एक शिक्षक को पूरे सिस्टम की जानकारी रखनी चाहिए ताकि वह अच्छे ढंग से विद्यार्थियों के समक्ष अपना रोल प्ले कर सके. शिक्षक विद्यार्थी के बौद्धिक विकास के साथ-साथ उनके सर्वांगीण विकास पर ध्यान दें. साथ ही शिक्षकों को सैद्धांतिक व्यवहार के साथ-साथ अपने व्यावहारिक प्रस्तुति पर ध्यान देने की सख्त जरूरत है. शिक्षक इस बात ध्यान रखें कि क्लास रूम में पाठ्यक्रम को किस डिजाइन में प्रस्तुत किया जाए ताकि विद्यार्थी उसे बेहतर ढंग से समझ सके.

उन्होंने प्रोजेक्टर के माध्यम से उपस्थित शिक्षकों एवं प्रशिक्षुओं को इस विषय पर विस्तृत जानकारी दी. कार्यक्रम को संबोधित करते हुए प्रो डॉ. बलभद्र ने कहा कि कोई भी शिक्षा नीति तभी सफल हो सकती है, जब एक शिक्षक हमेशा विद्यार्थी बन कर सीखता रहे. शिक्षक क्लास रूम में क्या और कितना पढ़ा रहे हैं उन्हें खुद विचार करना चाहिए. कार्यक्रम को संबोधित करते हुए अन्य वक्ताओं ने कहा कि शिक्षा में तकनीक का समावेश किया गया है. शिक्षक को तकनीका का इस्तेमाल करते हुए सिद्धांतों को प्रैक्टिस में बदलने की जरूरत है. सेमिनार में अन्य अतिथियों ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में शिक्षकों की भूमिका पर प्रकाश डाला. अतिथियों ने कहा कि शिक्षकों की भूमिका के बिना शिक्षा व्यवस्था में बेहतर परिणाम की कल्पना अधूरी है.

कार्यक्रम में बतौर अतिथि विनोबा भावे यूनिवर्सिटी हजारीबाग के वाइस चांसलर डॉ अजीत कुमार सिन्हा, प्रोफेसर डॉ मृत्युंजय प्रसाद, एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. किशोर कुमार गुप्ता, गिरीडीह कॉलेज गिरीडीह के प्रोफेसर डॉ बलभद्र, आर के महिला कॉलेज गिरीडीह की प्राचार्य मधुश्री सान्याल समेत राज्य भर के विभिन्न टीचर ट्रेनिंग कॉलेज के अलावे अन्य उत्तर प्रदेश, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, पश्चिम बंगाल, बिहार के शोधार्थी एवं कॉलेज के प्राचार्य एवं शिक्षकगण उपस्थित थे. कार्यक्रम में कॉलेज परिवार की तरफ से अतिथियों का स्वागत पुष्प गुच्छ एवं अंगवस्त्र देकर किया गया.

जिसके बाद कॉलेज के प्राचार्य डॉ. अजीत कुमार के द्वारा विषय प्रवेश करते हुए अभिभाषण किया गया. सेमिनार में वक्ताओं के संबोधन के बाद कॉलेज के प्रशिक्षुओं द्वारा रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रम की प्रस्तुति की गई. मौके पर महाविद्यालय के सचिव रणविजय शंकर, प्राचार्य प्रो अजीत कुमार, उप प्राचार्य प्रो बिनोद कुमार सुमन, प्रो पवन कुमार, प्रो नीलेश लकड़ा, प्रो नूतन शर्मा, प्रो रागिनी कुमारी, कर्मी रतन कुमार सिन्हा, मदन पांडेय, शंकर कुमार, नारायण कोल्ह, बूंदों सिंह समेत अन्य लोग उपस्थित थे.

गिरीडीह: शिक्षा जगत में शिक्षकों की भूमिका आरंभ से ही महत्वपूर्ण है. राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के तहत शिक्षकों की भूमिका और भी अहम हो गई है. इस नीति का उद्देश्य शिक्षा व्यवस्था में लचीलापन लाना है और यह शिक्षकों का भी मुख्य उद्देश्य होना चाहिए. उक्त बातें आईसेक्ट यूनिवर्सिटी के वॉइस चांसलर डॉ प्रमोद कुमार नायक ने कही.

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वह शनिवार को गिरीडीह के बेंगाबाद स्थित केएन बक्शी कॉलेज ऑफ एजुकेशन में आयोजित राष्ट्रीय संगोष्ठी में बतौर मुख्य अतिथि शरीक हुए थे. उन्होंने कहा कि एक शिक्षक को पूरे सिस्टम की जानकारी रखनी चाहिए ताकि वह अच्छे ढंग से विद्यार्थियों के समक्ष अपना रोल प्ले कर सके. शिक्षक विद्यार्थी के बौद्धिक विकास के साथ-साथ उनके सर्वांगीण विकास पर ध्यान दें. साथ ही शिक्षकों को सैद्धांतिक व्यवहार के साथ-साथ अपने व्यावहारिक प्रस्तुति पर ध्यान देने की सख्त जरूरत है. शिक्षक इस बात ध्यान रखें कि क्लास रूम में पाठ्यक्रम को किस डिजाइन में प्रस्तुत किया जाए ताकि विद्यार्थी उसे बेहतर ढंग से समझ सके.

उन्होंने प्रोजेक्टर के माध्यम से उपस्थित शिक्षकों एवं प्रशिक्षुओं को इस विषय पर विस्तृत जानकारी दी. कार्यक्रम को संबोधित करते हुए प्रो डॉ. बलभद्र ने कहा कि कोई भी शिक्षा नीति तभी सफल हो सकती है, जब एक शिक्षक हमेशा विद्यार्थी बन कर सीखता रहे. शिक्षक क्लास रूम में क्या और कितना पढ़ा रहे हैं उन्हें खुद विचार करना चाहिए. कार्यक्रम को संबोधित करते हुए अन्य वक्ताओं ने कहा कि शिक्षा में तकनीक का समावेश किया गया है. शिक्षक को तकनीका का इस्तेमाल करते हुए सिद्धांतों को प्रैक्टिस में बदलने की जरूरत है. सेमिनार में अन्य अतिथियों ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में शिक्षकों की भूमिका पर प्रकाश डाला. अतिथियों ने कहा कि शिक्षकों की भूमिका के बिना शिक्षा व्यवस्था में बेहतर परिणाम की कल्पना अधूरी है.

कार्यक्रम में बतौर अतिथि विनोबा भावे यूनिवर्सिटी हजारीबाग के वाइस चांसलर डॉ अजीत कुमार सिन्हा, प्रोफेसर डॉ मृत्युंजय प्रसाद, एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. किशोर कुमार गुप्ता, गिरीडीह कॉलेज गिरीडीह के प्रोफेसर डॉ बलभद्र, आर के महिला कॉलेज गिरीडीह की प्राचार्य मधुश्री सान्याल समेत राज्य भर के विभिन्न टीचर ट्रेनिंग कॉलेज के अलावे अन्य उत्तर प्रदेश, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, पश्चिम बंगाल, बिहार के शोधार्थी एवं कॉलेज के प्राचार्य एवं शिक्षकगण उपस्थित थे. कार्यक्रम में कॉलेज परिवार की तरफ से अतिथियों का स्वागत पुष्प गुच्छ एवं अंगवस्त्र देकर किया गया.

जिसके बाद कॉलेज के प्राचार्य डॉ. अजीत कुमार के द्वारा विषय प्रवेश करते हुए अभिभाषण किया गया. सेमिनार में वक्ताओं के संबोधन के बाद कॉलेज के प्रशिक्षुओं द्वारा रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रम की प्रस्तुति की गई. मौके पर महाविद्यालय के सचिव रणविजय शंकर, प्राचार्य प्रो अजीत कुमार, उप प्राचार्य प्रो बिनोद कुमार सुमन, प्रो पवन कुमार, प्रो नीलेश लकड़ा, प्रो नूतन शर्मा, प्रो रागिनी कुमारी, कर्मी रतन कुमार सिन्हा, मदन पांडेय, शंकर कुमार, नारायण कोल्ह, बूंदों सिंह समेत अन्य लोग उपस्थित थे.

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