गिरिडीहः महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारण्टी अधिनियम (MGNREGA) में मजदूरों को रोजगार मिले या नहीं मेटेरियल सप्लायर और बिचौलियों को मुनाफा जरूर मिल रहा है. इसका ताजा उदाहरण गिरिडीह सदर प्रखंड ने 30 मार्च को पेश किया है.
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30 मार्च के दिन मनरेगा में मार्च लूट इस कदर की गई कि आलाधिकारियों के निर्देश को दरकिनार करते हुए तय राशि से 8 गुणा अधिक रकम की निकासी कर ली गई. निकासी ही नहीं की गई बल्कि अधिनियम के महत्वपूर्ण नियमों को ताक पर रखते हुए मजदूरों की हकमारी कर पूरा फायदा मेटेरियल सप्लायर को दिया गया. यह सब अधिकारियों की नाक के नीचे हुआ. अब इस मामले पर राज्य की सत्ता पर काबिज झारखंड मुक्ति मोर्चा के जिलाध्यक्ष सह बीस सूत्री उपाध्यक्ष संजय सिंह ने दोषियों पर कार्रवाई की मांग रखी है.
उन्होंने पूरे व्यवस्था पर ही सवाल उठाया है. ये खुद कहते हैं कि मनरेगा में भ्रष्टाचार के कई मामले हैं. इन मामलों पर सवाल उठाया गया है लेकिन दुर्भाग्य है कि अधिकारी इसपर बहुत कुछ बताना नहीं चाहते. संजय सिंह कहा कि ऐसे लोगों को चिन्हित कर कार्रवाई होनी चाहिए. उन्होंने कहा कि मनरेगा में हुई गड़बड़ी को ईटीवी भारत ने सामने लाया है. इस मामले की जांच होगी और कार्रवाई की जाएगी. वहीं किसान मंच के अध्यक्ष अवधेश सिंह ने सांसद-विधायक की चुप्पी पर भी सवाल उठाया है.
अधिकारियों को नियम की नहीं है परवाह- किसान मंचः दूसरी तरफ मनरेगा में गड़बड़ी करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग करते हुए प्रदर्शन भी हुआ है. यह प्रदर्शन किसान मंच के बैनर तले किया गया है. मंच के अध्यक्ष अवधेश कुमार सिंह कहते हैं कि भ्रष्ट अधिकारियों व बिचौलियों के गठजोड़ के कारण ही गड़बड़ी हो रही है. पूर्व में भी सामग्री मद की राशि के माध्यम से गड़बड़ी की गई है. 2020 के आदेश के बावजूद लाभुक की जगह वेंडर के खाता में भी पैसा भेजना यह साबित करता है कि गड़बड़ी साजिशन है. इनका कहना है कि इस बार सदर प्रखंड के 8 गुणा अधिक राशि की निकासी कर यह साबित किया कि इन्हें नियमों की परवाह नहीं है.
बता दें कि मनरेगा की मार्च लूट की गई थी. यहां सदर प्रखंड के द्वारा निर्धारित राशि से 8 गुणा अधिक रकम निकाली गयी. इतना ही नहीं यहां मजदूरी और सामाग्री मद के निर्धारित अनुपात की जमकर धज्जियां उड़ाई गई. इस मामले का खुलासा होने के बाद गड़बड़ी करने वाले अब लीपापोती में जुट गए हैं.