ETV Bharat / state

गिरिडीहः डुमरी में धूमधाम से शुरू हुई माघी काली पूजा, दूर-दूर से पहुंच रहे हैं भक्त

author img

By

Published : Jan 24, 2020, 5:57 PM IST

गिरिडीह के डुमरी में गुरूवार की देर रात माघी काली पूजा का आयोजन हुआ. दो दिनों तक चलने वाले इस पूजनोत्सव के पहले दिन काफी संख्या में भीड़ उमड़ी रही. इससे आसपास का माहौल भक्तिमय हो गया है.

गिरिडीहः डुमरी में धूमधाम से शुरू हुई माघी काली पूजा, दूर-दूर से पहुंच रहे हैं भक्त
काली माता की मूर्ती

गिरिडीहः जिले के डुमरी में गुरूवार की देर रात माघी काली पूजा की शुरुआत हुई. दो दिनों तक चलने वाले इस पूजनोत्सव के पहले दिन शुक्रवार की सुबह से ही काली मंदिर में पूजा अर्चना के लिए श्रद्धालूओं की भारी भीड़ उमड़ी. इस दौरान डुमरी सहित आसपास के कई प्रखंडों से आए श्रद्धालुओं ने माता की पूजा अर्चना की.

देखें पूरी खबर

और पढ़ें- अधिकारियों ने लिखी खुले में शौचमुक्त भारत की नई कहानी, लाभुक की बढ़ाई परेशानी

मंदिर में काफी मान्यता

काली पूजा समिति की ओर से मंदिर और आसपास के क्षेत्रों में आकर्षक प्रकाश सजावट की गई है. गुरुवार शाम से ही लाउडस्पीकर से भक्ति गीतों का प्रसारण हो रहा है. इससे आसपास का माहौल भक्तिमय हो गया है. ज्ञात हो कि डुमरी में करीब 83 वर्षों से माघ माह के चतुर्दशी की रात्रि को मां काली की पूजा की परंपरा चली आ रही है. डुमरी के तत्कालीन जमींदार परमेश्वर भगत ने संतान प्राप्ति की कामना को लेकर डुमरी में काली पूजा की शुरूआत की थी. पहले जमींदार परिवार की ओर से हर साल पूजा की जाती थी. बाद में काली पूजा की जिम्मेदारी स्थानीय लोगों को सौंप दी गई. शुरू में काली मंदिर की छत टीन की थी. 1980 में स्थानीय निवासी महेश प्रसाद भगत ने अपने निजी खर्च से मंदिर का जीर्णेद्धार किया और मंदिर को बनाया. काली पूजा के दौरान मंदिर में उमड़ने वाली भारी भीड़ और श्रद्धालुओं को होने वाली असुविधा को देख कर स्थानीय निवासी राम कुमार जायसवाल के नेतृत्व में युवाओं ने 2011 में मंदिर के भव्य भवन का निर्माण कराया. श्रद्धालू डुमरी के इस मंदिर को वंश वृद्धि करने वाली देवी मंदिर के रूप में मानते हैं. बताया जाता है कि लोग इस मंदिर में आकर माता से मन्नतें मांगते हैं और मन्नत पूरा होने पर माता की पूजा करते हैं.

गिरिडीहः जिले के डुमरी में गुरूवार की देर रात माघी काली पूजा की शुरुआत हुई. दो दिनों तक चलने वाले इस पूजनोत्सव के पहले दिन शुक्रवार की सुबह से ही काली मंदिर में पूजा अर्चना के लिए श्रद्धालूओं की भारी भीड़ उमड़ी. इस दौरान डुमरी सहित आसपास के कई प्रखंडों से आए श्रद्धालुओं ने माता की पूजा अर्चना की.

देखें पूरी खबर

और पढ़ें- अधिकारियों ने लिखी खुले में शौचमुक्त भारत की नई कहानी, लाभुक की बढ़ाई परेशानी

मंदिर में काफी मान्यता

काली पूजा समिति की ओर से मंदिर और आसपास के क्षेत्रों में आकर्षक प्रकाश सजावट की गई है. गुरुवार शाम से ही लाउडस्पीकर से भक्ति गीतों का प्रसारण हो रहा है. इससे आसपास का माहौल भक्तिमय हो गया है. ज्ञात हो कि डुमरी में करीब 83 वर्षों से माघ माह के चतुर्दशी की रात्रि को मां काली की पूजा की परंपरा चली आ रही है. डुमरी के तत्कालीन जमींदार परमेश्वर भगत ने संतान प्राप्ति की कामना को लेकर डुमरी में काली पूजा की शुरूआत की थी. पहले जमींदार परिवार की ओर से हर साल पूजा की जाती थी. बाद में काली पूजा की जिम्मेदारी स्थानीय लोगों को सौंप दी गई. शुरू में काली मंदिर की छत टीन की थी. 1980 में स्थानीय निवासी महेश प्रसाद भगत ने अपने निजी खर्च से मंदिर का जीर्णेद्धार किया और मंदिर को बनाया. काली पूजा के दौरान मंदिर में उमड़ने वाली भारी भीड़ और श्रद्धालुओं को होने वाली असुविधा को देख कर स्थानीय निवासी राम कुमार जायसवाल के नेतृत्व में युवाओं ने 2011 में मंदिर के भव्य भवन का निर्माण कराया. श्रद्धालू डुमरी के इस मंदिर को वंश वृद्धि करने वाली देवी मंदिर के रूप में मानते हैं. बताया जाता है कि लोग इस मंदिर में आकर माता से मन्नतें मांगते हैं और मन्नत पूरा होने पर माता की पूजा करते हैं.

Intro:डुमरी.( गिरिडीह) । डुमरी में गुरूवार की देर रात पूजा अर्चना व बकरे की बलि के साथ माघी काली पूजा शुरू हुआ. दो दिनों तक चलने वाले इस पूजनोत्सव के पहले दिन शुक्रवार की सुबह से ही काली मंदिर में पूजा अर्चना के लिए श्रद्धालूओं की भारी भीड़ उमड़ी. इस दौरान डुमरी सहित आसपास के कई प्रखंडां से आये श्रद्धालुओं ने 141 बकरे की बलि माता के चरणों में अर्पित की. मंदिर के समीप मेला लगा हुआ है. Body:काली पूजा समिति की ओर से मंदिर व आसपास के क्षेत्रों में आकर्षक प्रकाश सज्जा की गई है. कल शाम से ही लाउडस्पीकर से भक्ति गीतों का प्रसारण हो रहा है. इससे आसपास का माहौल भक्तिमय हो गया है. ज्ञात हो कि डुमरी में करीब 83  वर्षों से माघ माह के चतुर्दशी की रात्रि को बकरे की बलि के साथ मॉ काली के पूजा की परंपरा चली आ रही है. डुमरी के तत्कालीन जमींदार परमेश्वर भगत ने संतान प्राप्ति की कामना को लेकर डुमरी में काली पूजा की शुरूआत की थी. प्रारंभ में जमींदार परिवार की ओर से हर साल पूजा की जाती थी. बाद में काली पूजा की जिम्मेवारी स्थानीय लोगों को सौंप दी गई. शुरू में काली मंदिर की छत टीन की थी. Conclusion:1980 में स्थानीय निवासी महेश प्रसाद भगत ने अपने निजी खर्च से मंदिर का जीर्णेद्धार किया और मंदिर को बनाया. काली पूजा के दौरान मंदिर में उमड़ने वाली भारी भीड़ व श्रद्धालुओं को होने वाली असुविधा को देख कर स्थानीय निवासी राम कुमार जायसवाल के नेतृत्व में युवाओं ने 2011 में मंदिर के भव्य भवन का निर्माण कराया. श्रद्धालू डुमरी के इस मंदिर को वंश वृद्धि करने वाली देवी मंदिर के रूप में मानते है. बताया जाता है कि लोग इस मंदिर में आकर माता से मन्नतें मांगते है और मन्नत पूरा होने पर बकरे की बलि माता के चरणों में अर्पित करते है. पूजा कमेटी की ओर से मंदिर में अर्पित की जाने वाले बकरे के सिर की नीलामी की जाती है. श्रद्धालू बड़े उत्साह के साथ नीलामी में हिस्सा लेते है. नीलामी से प्राप्त राशि पूजा कमेटी के पास जमा रहती है. 

बाइट: निर्मल जायसवाल
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.