गिरिडीहः जिले के झंडा मैदान में गुरूवार को बदलाव यात्रा के दौरान झामुमो के कार्यकारी केंद्रीय अध्यक्ष हेमंत सोरेन ने कहा कि झामुमो कुर्सी के लिए नहीं झारखंडवासियों की हित के लिए लड़ाई लड़ रही है. इस लड़ाई के लिए झामुमो कार्यकर्ता जान देने और जान लेने के लिए तैयार है.
स्कूल से अधिक शराब दुकान
पूर्व मुख्यमंत्री ने बदलाव यात्रा को संबोधित करते हुए कहा कि झारखंड एक ऐसा राज्य है जहां स्कूल से अधिक शराब की दुकानें खुल रही हैं. सरकार स्कूलों को बंद कर गांव-गांव, चौक-चौराहों पर शराब की दुकानें खोली जा रही है. उन्होंने कहा कि जिस प्रकार अलग राज्य को लड़ कर लिया है उसी तरह अपना अधिकार भी लड़ कर लेंगे. हेमंत ने कहा कि 2014 के चुनाव के वक्त भाजपा 50 करोड़ की पार्टी थी, लेकिन आज यह पार्टी 1000 करोड़ रुपए की हो गयी है. पार्टी को कौन पैसा दे रहा है और क्यों दे रहा है. अभी घर-घर रघुवर योजना चल रही है, लेकिन जनता संभल जाएं यह घर-घर रघुवर नहीं घर-घर चूहा घुसेगा और सब कुतर कर खत्म कर देगा. उन्होंने कहा कि अब समय आ गया है. इन चूहों को चूहादानी में डालकर या तो गंगा पार फेंक दें या छतीसगढ में फेंक दें.
जनता को 5 साल तक खून की आंसू रूलाने का काम
सोरेन ने संबोधन में कहा कि भाजपा सरकार ने झारखंड की जनता को 5 साल तक खून की आंसू रूलाने का काम किया है, जिसका बदला लेने का समय आ गया है. उन्होंने कहा कि झारखंड में शहीदों के सपनों को भाजपा सरकार कुचलने का काम कर रही है. गैर मजुरूआ जमीन जिसका पट्टा वर्षों से हमारे दादा-परदादा को मिला हुआ था, उसका रशीद काटना बंद कर दिया गया है. अब जबकि चुनाव नजदीक है तो ऐसी सूचना मिल रही है कि यह सरकार पुन: रशीद काटने पर विचार कर रही है. सरकार द्वारा पूंजिपतियों को कम कीमतों में जमीन उपलब्ध करा रही है.
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राज्य में घुसखोरी चरम सीमा पर
हेमंत सोरेन ने कहा कि राज्य में घुसखोरी चरम सीमा पर है. बगैर पैसा का कोई सरकारी काम नहीं हो रहा है. मंहगाई भी चरम पर है. यह सरकार जल, जंगल, जमीन और खनीज संपदाओं पर कब्जा करने की साजिश कर रही है. यहां के मेघावी युवक आत्महत्या करने को मजबूर है और दूसरे प्रदेश के युवाओं को बुलाकर नौकरी दी जा रही है. हेमंत ने कहा कि यह सरकार दलितों, पिछड़ों और आदिवासियों का आरक्षण समाप्त करने की बात करती है. संविधान और आरक्षण को बचाने के लिए या तो मरना पड़ेगा या मारना पड़ेगा. मोदी सरकार के कार्यकाल में बड़े-बड़े उद्योग बंद हो रहे है. व्यवसायी वर्ग त्रस्त हो रहे हैं.