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Jharkhand News: बिरनी पुलिस का मानवीय चेहरा आया सामने, समाज ने मुंह मोड़ा तो पुलिस ने महिला की अर्थी को दिया कंधा - बिरनी थाना प्रभारी मृत्युंजय कुमार सिंह

बिरनी थाना पुलिस का मानवीय चेहरा सामने आया है. जब महिला के अर्थी को कंधा देने गांव और समाज सामने नहीं आया, तब पुलिस आगे आई. बिरनी पुलिस के इस कार्य की अब चहुंओर सराहना हो रही है.

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Police Station Incharge Gave Shoulder To Bier
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Published : Jun 7, 2023, 8:49 PM IST

बगोदर, गिरिडीह: पुलिस का नाम सुनकर लोगों के जेहन में जो तस्वीरें बनती है वह डर और दहशत का है, लेकिन पुलिस के प्रति आम लोगों की जो सोच है उस सोच को बदलने की जरूरत है. क्योंकि पुलिस का व्यवहार भी अब बदल रहा है. अपराध की जद में उलझी रहने वाली पुलिस का समय-समय पर मानवीय चेहरा भी देखने को मिलता है. इसी कड़ी में गिरिडीह जिले के बिरनी पुलिस का मानवीय चेहरा इस बार सामने आया है. मामला मौत के बाद अंतिम संस्कार से जुड़ा हुआ है.

ये भी पढ़ें-गिरिडीह का तुकतुको गांव, जहां जंगल की रखवाली के लिए ग्रामीण करते हैं पहरेदारी

बिरनी थाना प्रभारी और मुखिया प्रतिनिधि ने दिया अर्थी को कंधाः दरअसल, बिरनी थाना क्षेत्र के बंगराकला निवासी टिंकू यादव की पत्नी सरिता देवी 19 मई को झुलस गई थी. उसका इलाज बोकारो के बीजीएच में चल रहा था. इलाज के दौरान पांच मई को महिला की मौत हो गई. शव का पोस्टमार्टम होने के बाद छह मई की शाम में शव गांव पहुंचा था. शव पहुंचने के बाद अंतिम संस्कार में शामिल होने के लिए कोई व्यक्ति तैयार नहीं हुआ. ऐसे में बिरनी पुलिस और बंगराकला मुखिया प्रतिनिधि सुखदेव साव ने अर्थी को खुद कंधा दिया और फिर अंतिम संस्कार कराया. बिरनी थाना प्रभारी मृत्युंजय कुमार सिंह ने अर्थी को खुद कंधा दिया, जबकि थाना के अन्य कई स्टॉफ भी शव यात्रा में शामिल हुए.

चहुंओर हो रही थाना प्रभारी की प्रशंसाः थाना प्रभारी और मुखिया प्रतिनिधि के इस कार्य की इलाके में न सिर्फ चर्चा हो रही है, बल्कि सराहना भी हो रही है. इस संबंध में मुखिया प्रतिनिधि सुखदेव साव ने कहा कि आग से झुलसी सरिता की मौत के बाद जब शव गांव पहुंचा, तब अंतिम संस्कार में जाने के लिए गांव-समाज का कोई व्यक्ति आगे नहीं आया. तब थाना प्रभारी मृत्युंजय कुमार सिंह, मैं और मृतका के पति और ससुर ने अर्थी को कंधा दिया. शव यात्रा में थाना के कई स्टॉफ भी शामिल थे.

गांव का कोई व्यक्ति नहीं हुआ शव यात्रा में शामिलः रात लगभग 11 बजे अंतिम संस्कार कर सभी वापस लौटे. उन्होंने बताया कि गांव-समाज के लोग शव यात्रा और अंतिम संस्कार में क्यों नहीं शामिल हुए इस बात की मुझे जानकारी नहीं है. उन्होंने बताया कि शव आने के बाद मृतका के मायके पावापुर से परिजन सहित अन्य लोग गांव पहुंचे थे. उन लोगों के द्वारा हो-हंगामा भी किया गया था. इधर, घटना के बाद मृतका के पति को पुलिस ने बुधवार को जेल भेज दिया है. मृतका के परिजनों ने मामले में उसके पति के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराई है.

बगोदर, गिरिडीह: पुलिस का नाम सुनकर लोगों के जेहन में जो तस्वीरें बनती है वह डर और दहशत का है, लेकिन पुलिस के प्रति आम लोगों की जो सोच है उस सोच को बदलने की जरूरत है. क्योंकि पुलिस का व्यवहार भी अब बदल रहा है. अपराध की जद में उलझी रहने वाली पुलिस का समय-समय पर मानवीय चेहरा भी देखने को मिलता है. इसी कड़ी में गिरिडीह जिले के बिरनी पुलिस का मानवीय चेहरा इस बार सामने आया है. मामला मौत के बाद अंतिम संस्कार से जुड़ा हुआ है.

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बिरनी थाना प्रभारी और मुखिया प्रतिनिधि ने दिया अर्थी को कंधाः दरअसल, बिरनी थाना क्षेत्र के बंगराकला निवासी टिंकू यादव की पत्नी सरिता देवी 19 मई को झुलस गई थी. उसका इलाज बोकारो के बीजीएच में चल रहा था. इलाज के दौरान पांच मई को महिला की मौत हो गई. शव का पोस्टमार्टम होने के बाद छह मई की शाम में शव गांव पहुंचा था. शव पहुंचने के बाद अंतिम संस्कार में शामिल होने के लिए कोई व्यक्ति तैयार नहीं हुआ. ऐसे में बिरनी पुलिस और बंगराकला मुखिया प्रतिनिधि सुखदेव साव ने अर्थी को खुद कंधा दिया और फिर अंतिम संस्कार कराया. बिरनी थाना प्रभारी मृत्युंजय कुमार सिंह ने अर्थी को खुद कंधा दिया, जबकि थाना के अन्य कई स्टॉफ भी शव यात्रा में शामिल हुए.

चहुंओर हो रही थाना प्रभारी की प्रशंसाः थाना प्रभारी और मुखिया प्रतिनिधि के इस कार्य की इलाके में न सिर्फ चर्चा हो रही है, बल्कि सराहना भी हो रही है. इस संबंध में मुखिया प्रतिनिधि सुखदेव साव ने कहा कि आग से झुलसी सरिता की मौत के बाद जब शव गांव पहुंचा, तब अंतिम संस्कार में जाने के लिए गांव-समाज का कोई व्यक्ति आगे नहीं आया. तब थाना प्रभारी मृत्युंजय कुमार सिंह, मैं और मृतका के पति और ससुर ने अर्थी को कंधा दिया. शव यात्रा में थाना के कई स्टॉफ भी शामिल थे.

गांव का कोई व्यक्ति नहीं हुआ शव यात्रा में शामिलः रात लगभग 11 बजे अंतिम संस्कार कर सभी वापस लौटे. उन्होंने बताया कि गांव-समाज के लोग शव यात्रा और अंतिम संस्कार में क्यों नहीं शामिल हुए इस बात की मुझे जानकारी नहीं है. उन्होंने बताया कि शव आने के बाद मृतका के मायके पावापुर से परिजन सहित अन्य लोग गांव पहुंचे थे. उन लोगों के द्वारा हो-हंगामा भी किया गया था. इधर, घटना के बाद मृतका के पति को पुलिस ने बुधवार को जेल भेज दिया है. मृतका के परिजनों ने मामले में उसके पति के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराई है.

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