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परिजनों ने जब उठाया ये कदम तब जमींदार ने शुरू कर दिया दुर्गोत्सव, बगोदर में अंग्रेजी हुकूमत से मनता आ रहा दुर्गापूजा - बगोदर में दुर्गापूजा का इतिहास

गिरिडीह के बगोदर में पिछले 101 सालों से दुर्गा उत्सव का आयोजन किया जा रहा है. इसके पीछे भी एक इतिहास है. जमींदार ने यहां पर दुर्गा उत्सव शुरू किया था. कब और कैसे इसकी शुरुआत हुई, पढ़ें पूरी खबर.

Durga Puja in Bagodar
बगोदर में दुर्गापूजा
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Published : Oct 13, 2021, 10:24 PM IST

गिरिडीह: बगोदर में मनाए जाने वाले सार्वजनिक दुर्गोत्सव का इतिहास बहुत पुराना है. यहां अंग्रेजी हुकूमत के समय से ही पूजन उत्सव मनता आ रहा है. इस बार मनाए जा रहे दुर्गोत्सव का 101वां साल है. बगोदर में मनाए जाने वाले दुर्गोत्सव का इतिहास जमींदारी प्रथा से जुड़ा हुआ है. इसका संबंध बगोदर के तत्कालीन जमींदार सोहन राम महतो और उनके परिजनों से जुड़ा है.

यह भी पढ़ें: ऐसे दुर्गापूजा मनाती हैं दक्षिण भारतीय महिलाएं, आदिकाल से चली आ रही परंपरा

101 साल पूर्व यानि 1920 के पूर्व में दुर्गोत्सव का आयोजन नहीं होता था. दुर्गोत्सव को देखने के लिए लिए नजदीकी इलाके में आयोजित होने वाले दुर्गोत्सव में आसपास के ग्रामीण शामिल होते थे. बगोदर के तत्कालीन जमींदार सोहन राम के परिजनों के मन में भी एक बार दुर्गोत्सव देखने की इच्छा हुई और फिर घर के मुखिया(जमींदार) को बगैर बताए बैलगाड़ी में सवार होकर सभी डुमरी चले गए. इसकी जानकारी जब जमींदार को हुई तब उन्हें यह नागवार लगा और फिर उन्होंने बगोदर में दुर्गोत्सव मनाने का इरादा मन में ठान लिया. इसके बाद 1920 में जमींदार सोहन राम महतो की अगुवाई में चौरसिया परिवार के द्वारा यहां पहली बार दुर्गोत्सव का आयोजन शुरू किया गया. तब से लगातार दुर्गोत्सव का आयोजन होता रहा है. धीरे-धीरे आयोजन में विस्तार होता गया और अब यहां भव्य दो मंजिला मंदिर भी बन चुका है.

देखें पूरी खबर

समय के साथ होता गया परिवर्तन

दुर्गोत्सव में समय से साथ-साथ आयोजन में परिवर्तन होता गया. पूजा समिति के अध्यक्ष धीरेंद्र कुमार उर्फ मनु बताते हैं कि 1996 से यहां नौ दिनों का अनुष्ठान आयोजित होता आ रहा है. इसकी शुरुआत उन्होंने ही की थी. इसके पूर्व यहां तीन दिनों का अनुष्ठान होता था.

सात लाख रुपए खर्च होने की संभावना

पूजा समिति के अध्यक्ष धीरेंद्र कुमार उर्फ मनु बताते हैं कि महंगाई दिनों दिन बढ़ रही है. ऐसे में आयोजन में खर्च भी बढ़ता जा रहा है. उन्होंने बताया कि पूजन उत्सव के आयोजन में सात लाख रूपए खर्च होने की संभावना है. सरकार की तरफ से जारी किए गए गाइडलाइन का पालन करते हुए दुर्गोत्सव का आयोजन किया जा रहा है. एकादशी के दिन दुर्गा प्रतिमा का विसर्जन किया जाएगा. उन्होंने कहा कि दुर्गोत्सव का आयोजन तो काफी धूमधाम के साथ किए जाने की तैयारी थी. रावण दहन का भी कार्यक्रम होना था. लेकिन, कोरोना काल को लेकर सरकार की बंदिशों के कारण कार्यक्रम आयोजित नहीं किए जा रहे हैं.

गिरिडीह: बगोदर में मनाए जाने वाले सार्वजनिक दुर्गोत्सव का इतिहास बहुत पुराना है. यहां अंग्रेजी हुकूमत के समय से ही पूजन उत्सव मनता आ रहा है. इस बार मनाए जा रहे दुर्गोत्सव का 101वां साल है. बगोदर में मनाए जाने वाले दुर्गोत्सव का इतिहास जमींदारी प्रथा से जुड़ा हुआ है. इसका संबंध बगोदर के तत्कालीन जमींदार सोहन राम महतो और उनके परिजनों से जुड़ा है.

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101 साल पूर्व यानि 1920 के पूर्व में दुर्गोत्सव का आयोजन नहीं होता था. दुर्गोत्सव को देखने के लिए लिए नजदीकी इलाके में आयोजित होने वाले दुर्गोत्सव में आसपास के ग्रामीण शामिल होते थे. बगोदर के तत्कालीन जमींदार सोहन राम के परिजनों के मन में भी एक बार दुर्गोत्सव देखने की इच्छा हुई और फिर घर के मुखिया(जमींदार) को बगैर बताए बैलगाड़ी में सवार होकर सभी डुमरी चले गए. इसकी जानकारी जब जमींदार को हुई तब उन्हें यह नागवार लगा और फिर उन्होंने बगोदर में दुर्गोत्सव मनाने का इरादा मन में ठान लिया. इसके बाद 1920 में जमींदार सोहन राम महतो की अगुवाई में चौरसिया परिवार के द्वारा यहां पहली बार दुर्गोत्सव का आयोजन शुरू किया गया. तब से लगातार दुर्गोत्सव का आयोजन होता रहा है. धीरे-धीरे आयोजन में विस्तार होता गया और अब यहां भव्य दो मंजिला मंदिर भी बन चुका है.

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समय के साथ होता गया परिवर्तन

दुर्गोत्सव में समय से साथ-साथ आयोजन में परिवर्तन होता गया. पूजा समिति के अध्यक्ष धीरेंद्र कुमार उर्फ मनु बताते हैं कि 1996 से यहां नौ दिनों का अनुष्ठान आयोजित होता आ रहा है. इसकी शुरुआत उन्होंने ही की थी. इसके पूर्व यहां तीन दिनों का अनुष्ठान होता था.

सात लाख रुपए खर्च होने की संभावना

पूजा समिति के अध्यक्ष धीरेंद्र कुमार उर्फ मनु बताते हैं कि महंगाई दिनों दिन बढ़ रही है. ऐसे में आयोजन में खर्च भी बढ़ता जा रहा है. उन्होंने बताया कि पूजन उत्सव के आयोजन में सात लाख रूपए खर्च होने की संभावना है. सरकार की तरफ से जारी किए गए गाइडलाइन का पालन करते हुए दुर्गोत्सव का आयोजन किया जा रहा है. एकादशी के दिन दुर्गा प्रतिमा का विसर्जन किया जाएगा. उन्होंने कहा कि दुर्गोत्सव का आयोजन तो काफी धूमधाम के साथ किए जाने की तैयारी थी. रावण दहन का भी कार्यक्रम होना था. लेकिन, कोरोना काल को लेकर सरकार की बंदिशों के कारण कार्यक्रम आयोजित नहीं किए जा रहे हैं.

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