गिरिडीह: जिले में हाथियों का आतंक थमने का नाम नहीं ले रहा है. हाथी आए दिन जिले के सुदूरवर्ती गांवों में पहुंच रहे हैं और ग्रामीणों के घरों और फसलों को निशाना बना रहे हैं. हाथियों के उत्पात से कई गांव के लोग रतजगा करने को मजबूर हैं.
जाग कर बिता रहे रात
बता दें कि पिछले एक दशक से हाथी आए दिन उन गांवों में पहुंच रहे हैं जिसके आसपास जंगल हैं. इन गांवों में हाथी घरों को तोड़ रहे हैं और फसलों को नुकसान पहुंचा रहे हैं. अभी पिछले एक सप्ताह से अपने झुंड से बिछड़े तीन हाथी जिले के मुफ्फसिल और बिरनी के बॉर्डर इलाके में अपना डेरा जमाए हुए हैं. इन तीनों हाथियों ने आधा दर्जन से अधिक घरों को नुकसान पहुंचाया है. हाथियों के इस उत्पात के बाद लोग जाग कर रात बिता रहे हैं.
कई लोगों की जा चुकी है जान
बताया जाता है कि पूर्व में जिले के पारसनाथ के जंगलों में हाथियों का डेरा हुआ करता था. पिछले दो दशक से जंगलों का कटाव शुरू हुआ तो हाथियों ने इलाके को छोड़ना शुरू कर दिया. एक दशक से तो हाथी गांवों में पहुंच रहे हैं. इन एक दशक में लगभग 24 लोगों की जान भी हाथी ने ले ली है.
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सुरक्षा के लिए बनाया जाए कॉरिडोर
हाथियों के उत्पात के बाद वन विभाग पीड़ित परिवार को मुआवजा तो दे रहा है, लेकिन हाथियों के साथ-साथ ग्रामीणों की सुरक्षा के लिए कॉरिडोर नहीं बनाया जा रहा है. यदि विभाग कॉरिडोर बनाए और इस कॉरिडोर को पलामू से लेकर दुमका तक जोड़ दिया जाए तो हाथी भी सुरक्षित रह सकते हैं और ग्रामीण भी.