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चंद्रयान-3 के सफल परीक्षण में गिरिडीह के युवा साइंटिस्ट ने निभाई भूमिका, परिवार के साथ क्षेत्र में खुशी की लहर - युवा साइंटिस्ट कुमार रविकांत

चंद्रयान-3 की चंद्रमा पर लैंडिंग का जश्न गिरिडीह के रहने वाले इसरो के वैज्ञानिक के घर भी मना. लोग इस खुशी की घड़ी में उनके घर आकर शुभकामनाएं दे रहे थे. साइंटिस्ट कुमार रविकांत चंद्रयान-3 के परीक्षण टीम में शामिल थे.

Giridih young scientist Kumar Ravikant
Giridih young scientist Kumar Ravikant
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By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Aug 23, 2023, 8:47 PM IST

गिरिडीह: चंद्रयान-3 के चंद्रमा पर सफल लैंडिंग का जश्न पूरा देश मना रहा है. इस गौरव के क्षण में गिरिडीह में दोगुनी खुशी का माहौल है. इसरो द्वारा मिशन चंद्रयान-3 के सफल परीक्षण में गिरिडीह के बेंगाबाद के रहने वाले एक युवा वैज्ञानिक का शामिल होना इसका कारण है. मिशन चंद्रयान-3 के परीक्षण में वैज्ञानिकों के साथ बेंगाबाद के एक युवा साइंटिस्ट ने भी अपनी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है. बेंगाबाद के रहने वाले साइंटिस्ट कुमार रविकांत चंद्रयान-3 के परीक्षण टीम में शामिल थे.

यह भी पढ़ें: Chandrayaan 3 में झारखंड के वैज्ञानिक सोहन यादव की अहम भूमिका, सफल लैंडिंग के लिए मां ने रखा व्रत

बुधवार 23 जुलाई को जब चंद्रयान-3 की सफल लैंडिंग चांद पर हुई तो कुमार रविकांत के परिवार में खुशी की लहर दौड़ गई. साथ ही पूरे बेंगाबाद क्षेत्र में हर्ष का माहौल बन गया. युवा साइंटिस्ट कुमार रविकांत के परिवार वालों को बधाई देने का दौर शुरू हो गया. लोगों ने कहा कि यह सिर्फ बेंगाबाद ही नहीं बल्कि पूरे देश के लिये गौरव का क्षण है. देश की इस ऐतिहासिक घड़ी में बेंगाबाद के लाल ने अपनी भूमिका निभाई है. बता दें कि कुमार रविकांत के घर में काफी खुशी का माहौल है. युवा वैज्ञानिक की मां सरोज देवी और बड़े भाई उज्जवल कुमार ने कहा कि उनके लाडले ने देश के लिए गौरवपूर्ण काम किया है. पूरे परिवार के सदस्य इस क्षण की खुशी जाहिर नहीं कर पा रहे हैं.

सिर से पिता का साया उठने के बाद भी नहीं हारी हिम्मत: बता दें कि कुमार रविकांत बचपन से ही मेधावी छात्र थे. वह बेंगाबाद निवासी स्व तालेवर राम और सरोज देवी के छोटे पुत्र हैं. बचपन में ही सिर से पिता का साया उठने के बाद भी उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और अपनी लगन और मेहनत के दम पर इस मुकाम को हासिल किया. रविकांत के पिता तालेवर राम बेंगाबाद चौक पर टेलर का दुकान चलाते थे. रविकांत ने प्राथमिक से लेकर हाई स्कूल की पढ़ाई बेंगाबाद से की. जिसके बाद उनका चयन जवाहर नवोदय विद्यालय में हुआ. नवोदय विद्यालय से 12वीं की परीक्षा पास करने के बाद आईआईटी खगड़पुर में इनका चयन हुआ. आईआईटी खगड़पुर से पढ़ाई के दौरान ही इनका चयन इसरो में हुआ.

2016 से इसरो में दे रहे सेवा: जुलाई 2016 से कुमार रविकांत इसरो में बतौर वैज्ञानिक अपनी सेवा दे रहे हैं. युवा वैज्ञानिक कुमार रविकांत ने बताया कि इसरो में सेवा देने के दौरान वे चंद्रयान-2 के परीक्षण टीम में भी शामिल थे. उन्होंने कहा कि चंद्रयान-2 की लैंडिंग सफल नहीं होने से थोड़ी मायूसी हुई थी और देशवासियों की आंखों में आंसू थें. मगर आज मिशन चंद्रयान-3 सफल हुआ तो आज भी देश वासियों की आंखों में आंसू हैं, मगर यह खुशी के आंसू छलक रहे हैं. उन्होंने कहा कि मिशन चंद्रयान-3 के लॉन्चिंग से लेकर चंद्रमा पर लैंडिंग तक उन्होंने वैज्ञानिकों के साथ टीम के सदस्य रूप में काम किया है. आज चंद्रयान की लैंडिंग चंद्रमा पर हो गई है. अब आगे भी यह इस परीक्षण पर अपना काम करेंगे. उन्होंने इस क्षण को पूरे देश के लिए गौरव का पल बताया. उन्होंने कहा कि चंद्रयान-3 की सफलता और इस पल की खुशी वह शब्दों में बया नहीं कर पा रहे हैं.

गिरिडीह: चंद्रयान-3 के चंद्रमा पर सफल लैंडिंग का जश्न पूरा देश मना रहा है. इस गौरव के क्षण में गिरिडीह में दोगुनी खुशी का माहौल है. इसरो द्वारा मिशन चंद्रयान-3 के सफल परीक्षण में गिरिडीह के बेंगाबाद के रहने वाले एक युवा वैज्ञानिक का शामिल होना इसका कारण है. मिशन चंद्रयान-3 के परीक्षण में वैज्ञानिकों के साथ बेंगाबाद के एक युवा साइंटिस्ट ने भी अपनी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है. बेंगाबाद के रहने वाले साइंटिस्ट कुमार रविकांत चंद्रयान-3 के परीक्षण टीम में शामिल थे.

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बुधवार 23 जुलाई को जब चंद्रयान-3 की सफल लैंडिंग चांद पर हुई तो कुमार रविकांत के परिवार में खुशी की लहर दौड़ गई. साथ ही पूरे बेंगाबाद क्षेत्र में हर्ष का माहौल बन गया. युवा साइंटिस्ट कुमार रविकांत के परिवार वालों को बधाई देने का दौर शुरू हो गया. लोगों ने कहा कि यह सिर्फ बेंगाबाद ही नहीं बल्कि पूरे देश के लिये गौरव का क्षण है. देश की इस ऐतिहासिक घड़ी में बेंगाबाद के लाल ने अपनी भूमिका निभाई है. बता दें कि कुमार रविकांत के घर में काफी खुशी का माहौल है. युवा वैज्ञानिक की मां सरोज देवी और बड़े भाई उज्जवल कुमार ने कहा कि उनके लाडले ने देश के लिए गौरवपूर्ण काम किया है. पूरे परिवार के सदस्य इस क्षण की खुशी जाहिर नहीं कर पा रहे हैं.

सिर से पिता का साया उठने के बाद भी नहीं हारी हिम्मत: बता दें कि कुमार रविकांत बचपन से ही मेधावी छात्र थे. वह बेंगाबाद निवासी स्व तालेवर राम और सरोज देवी के छोटे पुत्र हैं. बचपन में ही सिर से पिता का साया उठने के बाद भी उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और अपनी लगन और मेहनत के दम पर इस मुकाम को हासिल किया. रविकांत के पिता तालेवर राम बेंगाबाद चौक पर टेलर का दुकान चलाते थे. रविकांत ने प्राथमिक से लेकर हाई स्कूल की पढ़ाई बेंगाबाद से की. जिसके बाद उनका चयन जवाहर नवोदय विद्यालय में हुआ. नवोदय विद्यालय से 12वीं की परीक्षा पास करने के बाद आईआईटी खगड़पुर में इनका चयन हुआ. आईआईटी खगड़पुर से पढ़ाई के दौरान ही इनका चयन इसरो में हुआ.

2016 से इसरो में दे रहे सेवा: जुलाई 2016 से कुमार रविकांत इसरो में बतौर वैज्ञानिक अपनी सेवा दे रहे हैं. युवा वैज्ञानिक कुमार रविकांत ने बताया कि इसरो में सेवा देने के दौरान वे चंद्रयान-2 के परीक्षण टीम में भी शामिल थे. उन्होंने कहा कि चंद्रयान-2 की लैंडिंग सफल नहीं होने से थोड़ी मायूसी हुई थी और देशवासियों की आंखों में आंसू थें. मगर आज मिशन चंद्रयान-3 सफल हुआ तो आज भी देश वासियों की आंखों में आंसू हैं, मगर यह खुशी के आंसू छलक रहे हैं. उन्होंने कहा कि मिशन चंद्रयान-3 के लॉन्चिंग से लेकर चंद्रमा पर लैंडिंग तक उन्होंने वैज्ञानिकों के साथ टीम के सदस्य रूप में काम किया है. आज चंद्रयान की लैंडिंग चंद्रमा पर हो गई है. अब आगे भी यह इस परीक्षण पर अपना काम करेंगे. उन्होंने इस क्षण को पूरे देश के लिए गौरव का पल बताया. उन्होंने कहा कि चंद्रयान-3 की सफलता और इस पल की खुशी वह शब्दों में बया नहीं कर पा रहे हैं.

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