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झारखंड हाई कोर्ट से गिरिडीह मेयर को मिली राहत, गिरफ्तारी पर लगी रोक - Giridih Mayor Sunil Kumar Paswan accused of making fake caste certificate

फर्जी कागजात के सहारे जाति प्रमाण पत्र बनाने के आरोपों से घिरे गिरिडीह के मेयर सुनील कुमार पासवान की गिरफ्तारी पर रोक लग गई है. झारखंड हाई कोर्ट ने यह रोक लगाई है. इसके साथ ही अदालत ने कोई दंडात्मक कार्रवाई नहीं करने का आदेश दिया है.

Giridih Mayor get relief from High Court
Giridih Mayor get relief from High Court
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Published : May 27, 2020, 11:53 AM IST

गिरिडीह: झारखंड हाई कोर्ट से मेयर सुनील कुमार पासवान को राहत मिल गई है. न्यायमूर्ति आनंदा सेन की अदालत में मंगलवार को मेयर सुनील के अग्रिम जमानत याचिका पर सुनवाई हुई. इस दौरान न्यायमूर्ति ने सुनील की गिरफ्तारी पर अगले आदेश तक रोक लगा दी है. साथ ही इस दौरान किसी तरह की दंडात्मक कार्रवाई नहीं करने का आदेश दिया है.

अदालत ने मेयर की अग्रिम जमानत याचिका को लेकर अभियोजन से जवाब मांगा है और इसके लिए चार सप्ताह का समय दिया है. मेयर के अधिवक्ता चुन्नूकांत ने हाई कोर्ट की तरफ से गिरफ्तारी पर लगाई गई रोक की पुष्टि की है. बता दें कि 03 मार्च 2020 को गिरिडीह सीओ रवींद्र कुमार सिन्हा ने मेयर सुनील कुमार पासवान के विरुद्ध मुफस्सिल थाना में प्राथमिकी दर्ज करायी थी. पासवान पर धोखाधड़ी करने और गलत तरीके से दस्तावेजों पर जाति प्रमाण पत्र बनवाने का आरोप लगाया गया था. इसी मामले में पिछले 11 मई को जिला और सत्र न्यायाधीश पंचम अनिल कुमार की अदालत से मेयर की अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर दी थी. जिला अदालत में जमानत याचिका खारिज होने के बाद हाई कोर्ट में मेयर का अग्रिम जमानत याचिका दायर की गई है.

11 मई की रात से अंडरग्राउंड हुए थे मेयर
मेयर 11 मई की रात से ही अंडरग्राउंड हैं. बता दें कि पूर्व में जिस प्रकार गिरफ्तारी पर रोक लगने के बाद मेयर के जरिए नगर निगम का कार्यभार संभाला गया था, उसी प्रकार इस बार भी हाई कोर्ट से रोक लगते ही उनके कार्यभार संभालने का फिर से रास्ता साफ हो गया है. बतातें चलें कि प्राथमिकी दर्ज होने के बाद से अब तक दो बार मेयर अंडरग्राउंड हो चुके हैं. सबसे पहले प्राथमिकी दर्ज होने के बाद अंडरग्राउंड हुए थे. हालांकि गिरफ्तारी पर रोक लगते ही वे सामने आए थे और अपना कार्यभार भी संभाला था. वहीं, 11 मई को उनकी जमानत याचिका खारिज हो गयी. जिसके बाद वे गिरफ्तारी के भय से अंडरग्राउंड हो गए.

मेयर की तलाश में लगातार जुटी थी पुलिस

जमानत याचिका खारिज होने के बाद से ही मुफस्सिल पुलिस मेयर की तलाश में जुटी हुई थी. पुलिस ने मेयर के शीतलपुर स्थित आवास पर दो बार छापेमारी भी की. इसके अलावा थाना या कोर्ट में उपस्थित होकर पक्ष रखने के लिए मेयर के परिजनों को नोटिस भी दी गई थी. हालांकि पुलिस मेयर तक तो नहीं पहुंच पाई, लेकिन उसके पहले मेयर हाई कोर्ट से अपने पक्ष में फैसला लाने में सफल रहे.

गिरिडीह: झारखंड हाई कोर्ट से मेयर सुनील कुमार पासवान को राहत मिल गई है. न्यायमूर्ति आनंदा सेन की अदालत में मंगलवार को मेयर सुनील के अग्रिम जमानत याचिका पर सुनवाई हुई. इस दौरान न्यायमूर्ति ने सुनील की गिरफ्तारी पर अगले आदेश तक रोक लगा दी है. साथ ही इस दौरान किसी तरह की दंडात्मक कार्रवाई नहीं करने का आदेश दिया है.

अदालत ने मेयर की अग्रिम जमानत याचिका को लेकर अभियोजन से जवाब मांगा है और इसके लिए चार सप्ताह का समय दिया है. मेयर के अधिवक्ता चुन्नूकांत ने हाई कोर्ट की तरफ से गिरफ्तारी पर लगाई गई रोक की पुष्टि की है. बता दें कि 03 मार्च 2020 को गिरिडीह सीओ रवींद्र कुमार सिन्हा ने मेयर सुनील कुमार पासवान के विरुद्ध मुफस्सिल थाना में प्राथमिकी दर्ज करायी थी. पासवान पर धोखाधड़ी करने और गलत तरीके से दस्तावेजों पर जाति प्रमाण पत्र बनवाने का आरोप लगाया गया था. इसी मामले में पिछले 11 मई को जिला और सत्र न्यायाधीश पंचम अनिल कुमार की अदालत से मेयर की अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर दी थी. जिला अदालत में जमानत याचिका खारिज होने के बाद हाई कोर्ट में मेयर का अग्रिम जमानत याचिका दायर की गई है.

11 मई की रात से अंडरग्राउंड हुए थे मेयर
मेयर 11 मई की रात से ही अंडरग्राउंड हैं. बता दें कि पूर्व में जिस प्रकार गिरफ्तारी पर रोक लगने के बाद मेयर के जरिए नगर निगम का कार्यभार संभाला गया था, उसी प्रकार इस बार भी हाई कोर्ट से रोक लगते ही उनके कार्यभार संभालने का फिर से रास्ता साफ हो गया है. बतातें चलें कि प्राथमिकी दर्ज होने के बाद से अब तक दो बार मेयर अंडरग्राउंड हो चुके हैं. सबसे पहले प्राथमिकी दर्ज होने के बाद अंडरग्राउंड हुए थे. हालांकि गिरफ्तारी पर रोक लगते ही वे सामने आए थे और अपना कार्यभार भी संभाला था. वहीं, 11 मई को उनकी जमानत याचिका खारिज हो गयी. जिसके बाद वे गिरफ्तारी के भय से अंडरग्राउंड हो गए.

मेयर की तलाश में लगातार जुटी थी पुलिस

जमानत याचिका खारिज होने के बाद से ही मुफस्सिल पुलिस मेयर की तलाश में जुटी हुई थी. पुलिस ने मेयर के शीतलपुर स्थित आवास पर दो बार छापेमारी भी की. इसके अलावा थाना या कोर्ट में उपस्थित होकर पक्ष रखने के लिए मेयर के परिजनों को नोटिस भी दी गई थी. हालांकि पुलिस मेयर तक तो नहीं पहुंच पाई, लेकिन उसके पहले मेयर हाई कोर्ट से अपने पक्ष में फैसला लाने में सफल रहे.

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