गिरिडीह: बगोदर प्रखंड मुख्यालय करोड़ों की लागत से यहां एक दशक पूर्व 30 बेड के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र का निर्माण हुआ था. अस्पताल उद्घाटन की मांग को लेकर धरना- प्रदर्शन तक किया गया था. साल 2017 में तत्कालीन विधायक नागेंद्र महतो के द्वारा अस्पताल का उद्घाटन किया था. उद्घाटन के 6 साल और निर्माण कार्य के 10 साल हो गए हैं. इतने कम समय में अस्पताल की जो हालात हो गई हैं उसे देखकर कोई भी यही कहेगा कि निर्णय कार्यों में गुणवत्ता की अनदेखी की गई है.
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महज दस साल में अस्पताल का भवन जर्जर होने लगा है. भवन की दीवार कुछ जगहों पर क्रैक कर गयी है. सिलिंग कई जगहों पर टूटकर गिर गई है. इतना हीं नहीं खिड़की और दरवाजे भी क्षतिग्रस्त होने लगे हैं. ऐसे में यहां कार्यरत स्वास्थ्य डरे-सहमे रहते हैं. छत का सिलिंग टूटकर गिरने की संभावना से स्वास्थ्य कर्मी डरे-सहमे रह रहे हैं. अस्पताल भवन की जर्जर स्थिति से प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ. विनय कुमार के द्वारा सीएस को पत्र लिखकर मामले से अवगत कराते हुए भवन की मरम्मती कराए जाने की मांग की गई है.
गौरतलब है कि इसी अस्पताल परिसर में जिले का इकलौते ट्रॉमा सेंटर का भी संचालन होता है. इसी साल ट्रॉमा सेंटर का भी उद्घाटन हुआ है. जिस परिसर में ट्रॉमा सेंटर का संचालन होता है, उसी के दो मंजिलें भवन का सिलिंग टूटकर गिरता रहता है. साथ हीं दीवार में भी दरारें आईं. यहां यह भी बता दें कि दो साल पूर्व भी इस अस्पताल के भवन की रंगाई- पुताई लाखों रुपये की लागत से की गयी थी और वर्तमान में बी ब्लॉक के भवनों की मरम्मती और रंग- रोगन का कार्य चल रहा है. प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ विनय कुमार बताते हैं कि ए, बी और सी तीन ब्लॉक में अस्पताल में स्थित है. उन्होंने तीनों ब्लॉक के भवनों की मरम्मती की आवश्यकता पर जोर दिया है.
बहरहाल मामला चाहें जो भी हो इतने कम समय में भवन का जर्जर होना निर्माण कार्य में बरती गई अनियमितता को उजागर करता है. ऐसे में विकास कार्यों के निर्माण में विभाग के साथ - साथ आमजनों की निगरानी की जरूरत है. ताकि प्राक्कलन के तहत विकास का कोई भी कार्य बेहतर हो सके.