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Strawberry cultivation in Giridih: पारंपरिक खेती छोड़ दिव्यांग किसान ने शुरू किया स्ट्रॉबेरी उगाना, आज बन रहे रोल मॉडल - Jharkhand news

गिरिडीह जिले के बगोदर प्रखंड में रहने वाले किसान सरयू प्रसाद दूसरे किसानों के लिए एक रोल मॉडल बन रहे हैं यूं तो वे दिव्यांग हैं, लेकिन उनका हौसला आसमान से भी ऊंचा है. उन्होंने पारंपरिक खेती को छोड़कर स्ट्रॉबेरी की खेती शुरू की और अपनी एक नई पहचान बनाई है.

Strawberry cultivation in Giridih
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Published : Mar 9, 2023, 4:00 PM IST

Updated : Mar 9, 2023, 4:26 PM IST

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गिरिडीह, बगोदर: अगर हौसला हो तो इंसान कुछ भी कर सकता है. हल मुश्किल को पार कर अपनी मंजिल तक पहुंच सकता है. कुछ ऐसा ही कर दिखाया है बगोदर प्रखंड के अटका के किसान सरयू प्रसाद ने. दिव्यांग किसान सरयू ने पारंपरिक खेती से हटकर अपने खेतों में स्ट्रॉबेरी उगाया और बंपर मुनाफा कमाया. अप सरयू अपने इलाके के दूसरे किसानों को भी स्टॉबेरी की खेती में मदद कर रहे हैं.

ये भी पढ़ें: देवघर के किसान इजराइल से ट्रेनिंग लेकर कर रहे हैं स्ट्रॉबेरी की खेती, हो रही अच्छी कमाई

बगोदर के अटका की पहचान आम तौर पर गन्ना की खेती के लिए होती है. लेकिन अब वे दिन दूर नहीं जब ये स्ट्रॉबेरी की खेती के लिए अपनी पहचान बना ले. इलाके के किसानों को स्ट्रॉबेरी की खेती के लिए प्रेरित किया जा रहा है. किसानों के बीच स्ट्रॉबेरी के पौधों का वितरण भी किया जा है. अटका के दिव्यांग किसान सरयू प्रसाद ने स्ट्रॉबेरी की खेती की शुरुआत की थी. उनके खेतों में स्ट्रॉबेरी के पौधे लहलहाने लगे हैं. सरयू प्रसाद बताते हैं कि उन्होंने अपने खेतों में स्ट्रॉबेरी के दो सौ पौधे लगाए हैं. उन्होंने बताया कि 40 रुपए प्रति पौधों की खरीदारी की थी. इस तरह दो सौ पौधों की खरीदारी में 8 हजार रुपए लागत लगी. अब पौधों में फल लगने शुरू हो गए हैं, मगर फिलहाल फल को बाजार में खपा नहीं कर पा रहे हैं. चूंकि इलाके के लिए यह नई खेती और फल हैं.

हालांकि पौधों को देखने और खेती के तरीके को सीखने के साथ फल को चखने के लिए आसपास के लोगों का आना-जाना शुरु हो गया है. सरयू प्रसाद ने बताया कि उनका लक्ष्य है इस खेती को बढ़ावा देना और अटका इलाके में सभी किसानों को इस खेती के लिए प्रेरित करना है. इसके लिए उनके द्वारा स्ट्रॉबेरी के पौधों का वितरण अन्य किसानों के बीच की जा रही है. उन्होंने बताया कि पौधे से तना निकलता है जिसे बगल में हीं मिट्टी से ढक दिया जाता है और उसमें जड़ और तना निकलकर पौधे का रूप ले लेता है. जिसे उखाड़कर दूसरे जगह लगाया जा सकता है. उन्होंने बताया कि स्ट्रॉबेरी की खेती महंगी जरूर है, लेकिन इसमें मुनाफा नजर आता है. भविष्य में बड़े पैमाने पर खेती करने की योजना है.

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गिरिडीह, बगोदर: अगर हौसला हो तो इंसान कुछ भी कर सकता है. हल मुश्किल को पार कर अपनी मंजिल तक पहुंच सकता है. कुछ ऐसा ही कर दिखाया है बगोदर प्रखंड के अटका के किसान सरयू प्रसाद ने. दिव्यांग किसान सरयू ने पारंपरिक खेती से हटकर अपने खेतों में स्ट्रॉबेरी उगाया और बंपर मुनाफा कमाया. अप सरयू अपने इलाके के दूसरे किसानों को भी स्टॉबेरी की खेती में मदद कर रहे हैं.

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बगोदर के अटका की पहचान आम तौर पर गन्ना की खेती के लिए होती है. लेकिन अब वे दिन दूर नहीं जब ये स्ट्रॉबेरी की खेती के लिए अपनी पहचान बना ले. इलाके के किसानों को स्ट्रॉबेरी की खेती के लिए प्रेरित किया जा रहा है. किसानों के बीच स्ट्रॉबेरी के पौधों का वितरण भी किया जा है. अटका के दिव्यांग किसान सरयू प्रसाद ने स्ट्रॉबेरी की खेती की शुरुआत की थी. उनके खेतों में स्ट्रॉबेरी के पौधे लहलहाने लगे हैं. सरयू प्रसाद बताते हैं कि उन्होंने अपने खेतों में स्ट्रॉबेरी के दो सौ पौधे लगाए हैं. उन्होंने बताया कि 40 रुपए प्रति पौधों की खरीदारी की थी. इस तरह दो सौ पौधों की खरीदारी में 8 हजार रुपए लागत लगी. अब पौधों में फल लगने शुरू हो गए हैं, मगर फिलहाल फल को बाजार में खपा नहीं कर पा रहे हैं. चूंकि इलाके के लिए यह नई खेती और फल हैं.

हालांकि पौधों को देखने और खेती के तरीके को सीखने के साथ फल को चखने के लिए आसपास के लोगों का आना-जाना शुरु हो गया है. सरयू प्रसाद ने बताया कि उनका लक्ष्य है इस खेती को बढ़ावा देना और अटका इलाके में सभी किसानों को इस खेती के लिए प्रेरित करना है. इसके लिए उनके द्वारा स्ट्रॉबेरी के पौधों का वितरण अन्य किसानों के बीच की जा रही है. उन्होंने बताया कि पौधे से तना निकलता है जिसे बगल में हीं मिट्टी से ढक दिया जाता है और उसमें जड़ और तना निकलकर पौधे का रूप ले लेता है. जिसे उखाड़कर दूसरे जगह लगाया जा सकता है. उन्होंने बताया कि स्ट्रॉबेरी की खेती महंगी जरूर है, लेकिन इसमें मुनाफा नजर आता है. भविष्य में बड़े पैमाने पर खेती करने की योजना है.

Last Updated : Mar 9, 2023, 4:26 PM IST
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