गिरिडीहः जिले के उग्रवाद प्रभावित इलाके में स्वास्थ्य सेवाओं की स्थिति अच्छी नहीं है. इलाके में चिकित्सक अमूमन आते नहीं हैं. जिले के अति उग्रवाद प्रभावित पीरटांड़ के हरलाडीह की भी स्थिति अच्छी नहीं है. यहां भी सरकारी चिकित्सक बैठते नहीं हैं. रविवार को ईटीवी भारत ने यहां की स्वास्थ्य व्यवस्था की जानकारी ली तो चिंताजनक तस्वीर सामने आई. ईटीवी भारत की टीम ने यहां पहुंचकर लोगों से बात की तो लोगों ने बताया कि यहां स्वास्थ्य उपकेंद्र है, लेकिन यहां पर डॉक्टर बैठते नहीं है. यह जानकारी मिलने के बाद ईटीवी की टीम जब इस स्वास्थ्य उपकेंद्र में पहुंची तो केंद्र के मुख्य द्वार पर ताला लटका मिला. काफी देर तक यहां खड़े रहने के बाद एक एएनएम पहुंची. एएनएम ने बताया कि वह अभी कुछ देर पहले ही डेरा गई थी.
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उपकेंद्र पर नहीं आते डॉक्टर
एएनएम ने बताया कि यहां डॉक्टर आते ही नहीं है. कहा कि उन्हें याद नहीं की आखिरी बार डॉक्टर कब आए थे. यह भी कहा कि एएनएम ही यहां पर मरीजों का इलाज करती है.
क्या कहना है ग्रामीणों का
इस मामले पर जब स्थानीय लोगों से बात की गई तो यह बताया गया कि इस इलाके में लगभग 24 गांव के लोगों की निर्भरता है. 24 गांव के लोगों का मुख्य बाजार हरलाडीह है और अन्य सुविधा के लिए भी लोग यहीं आते हैं. इलाज के लिए भी लोग यहीं पर आते हैं. यह भी बताया कि इस इलाके में स्वास्थ्य सेवाएं काफी लचर हैं. एंबुलेंस की सुविधा तक नहीं है. हरलाडीह के सुमन का कहना है कि यहां के लोगों को बेहतर स्वास्थ्य की सुविधा मिली ही नहीं है. वहीं पीरटांड़ के भाजपा नेता श्याम प्रसाद का कहना है कि तीन करोड़ की लागत से हरलाडीह में स्वास्थ्य केंद्र बना, लेकिन इसका लाभ लोगों को नहीं मिल रहा.
सिविल सर्जन का दावा बेहतर है व्यवस्था
इधर, सिविल सर्जन डॉ. सिद्धार्थ सान्याल का कहना है कि हरलाडीह में चिकित्सक की व्यवस्था की गई है. इलाका संवेदनशील है ऐसे में रात में चिकित्सक की व्यवस्था नहीं है, लेकिन दिन में डॉक्टर रहते हैं.
बहरहाल एक तरफ गिरिडीह के डीसी इलाके में लगातार सक्रिय हैं और सभी को बेहतर स्वास्थ्य सुविधा मिले इसका प्रयास कर रहे हैं. दूसरी तरह स्वास्थ्य महकमा डीसी और सरकार के सपने पर पलीता लगाने में जुटा है.