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एकीकृत बिहार की सबसे बड़ी नक्सली घटना को याद कर आज भी कांप जाती है रूह, जानें 7 जुलाई 1998 को क्या हुआ था

गिरिडीह में बगोदर के अटका में नक्सली हमले की 25वीं बरसी शुक्रवार को मनाई जा रही है. इस नरसंहार में मारे गये लोगों को श्रद्धा सुमन अर्पित कर उनको याद किया जा रहा है.

25th anniversary of Naxalite attack in Atka of Bagodar police station in Giridih
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Published : Jul 7, 2023, 8:56 AM IST

Updated : Jul 7, 2023, 9:35 AM IST

देखें पूरी खबर

गिरिडीहः एकीकृत बिहार के सबसे बड़ी नक्सली घटना की 25वीं बरसी आज यानी शुक्रवार को है. 7 जुलाई के दिन गिरिडीह जिले के बगोदर थाना क्षेत्र अंतर्गत अटका में नक्सलियों ने नरसंहार की घटना को अंजाम दिया था. जिसमें तत्कालीन मुखिया, एक शिक्षक सहित 10 लोग मारे गए थे. इस घटना को खाकी वर्दीधारी नक्सलियों ने अंजाम दिया था.

इसे भी पढ़ें- Seraikela News: याद किये गए कुकड़ू नक्सली घटना में शहीद हुए जवान, पुलिसकर्मियों ने दी श्रद्धांजलि

अटका अंतर्गत दमौआ के एक चबूतरे पर जमीन विवाद को लेकर पंचायत करने बैठे निहत्थे ग्रामीणों पर नक्सलियों ने गोलियों की बौछार कर दी. इस वारदात को अंजाम देने के बाद नक्सली संगठन जिंदाबाद के नारे लगाते हुए नक्सली हजारीबाग जिले के जंगल क्षेत्र की ओर भाग निकले थे.

सीएम के आश्वासन के बाद भी नहीं मिली नौकरीः नक्सली हिंसा की घटना के बाद तत्कालीन सीएम रावड़ी देवी, राजद सुप्रीमो लालू यादव सहित आला अधिकारी अटका पहुंचे थे. सीएम ने घटना पर अफसोस जताते हुए इस घटना में मारे गए लोगों के एक-एक आश्रित परिवार को नोकरी, एक- एक लाख रुपया मुआवजा, इंदिरा आवास देने की घोषणा की थीं. घोषणा के मुताबिक आवास और मुआवजा तो आश्रित परिजनों को मिल गए मगर अबतक किन्हीं को नौकरी नहीं मिल पाई है. इससे आश्रित परिजनों में आज भी नाराजगी है और नौकरी मिलने की उम्मीद आज भी संजोए रखे हैं. हालांकि आश्रितों को नौकरी का मामला स्थानीय विधायकों के द्वारा विधानसभा में भी उठाया गया था.

नरसंहार में इन लोगों की गयी थी जानः 7 जुलाई 1998 को हुई नरसंहार की इस घटना में तत्कालीन मुखिया मथुरा प्रसाद मंडल, धुपाली महतो, दशरथ मंडल, बिहारी महतो, सीताराम महतो, सरयू महतो, जगरनाथ महतो, मीरन प्रसाद, रघुनाथ प्रसाद, तुलसी महतो की मौत हो गई थी जबकि कुछ लोग घायल हो गए थे. बताया जाता है कि पंचायत कर रहे ग्रामीणों के बीच पुलिस की वर्दी में एक मेटाडोर पर सवार होकर नक्सली पहुंचे हुए थे. ग्रामीण कुछ समझ पाते कि इसके पहले नक्सलियों ने भीड़ पर गोलियों की बौछार कर दी थी.

नरसंहार को याद कर नागो महतो की कांप जाती है रूहः इस घटना में अटका अंतर्गत दमौआ के नागो महतो घायल हुए थे, उनके पैर में गोली लगी थी. पैर में फंसी गोली को रांची के डाक्टरों ने निकाला था. वे तीन महीने तक रांची के अस्पताल में भर्ती रहे. इलाज में तीन लाख रुपए से भी अधिक की राशि खर्च हुई थी. लेकिन एक रुपए भी सरकारी सहयोग से नहीं मिला. घटना के बाद उन्हें चलने में परेशानी होती है. वो लंगड़ा कर चलते हैं. नागो महतो बताते हैं कि तीन महीने के बाद इलाज कराकर जब वे घर लौटे तब भय के कारण एक साल तक घर से नहीं निकले थे. आज उनकी उम्र 90 साल है.

25वीं बरसी पर अर्पित किए जाएंगे श्रद्धा सुमनः नक्सली हिंसा में मारे गए लोगों को शुक्रवार को श्रद्धांजलि दी जाएगी. इस घटना में मारे गए तत्कालीन मुखिया मथुरा प्रसाद मंडल के परिजनों के द्वारा अटका पड़ाव मैदान में श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया गया है. स्व. मथुरा प्रसाद मंडल के पुत्र दीपू मंडल बताते हैं कि श्रद्धांजलि सभा में पूर्व विधायक नागेंद्र महतो, पूर्व विधायक गौतम सागर राणा सहित गणमान्य लोग शिरकत करेंगे. पड़ाव मैदान में मृतकों की स्मारक बनाई गई है.

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गिरिडीहः एकीकृत बिहार के सबसे बड़ी नक्सली घटना की 25वीं बरसी आज यानी शुक्रवार को है. 7 जुलाई के दिन गिरिडीह जिले के बगोदर थाना क्षेत्र अंतर्गत अटका में नक्सलियों ने नरसंहार की घटना को अंजाम दिया था. जिसमें तत्कालीन मुखिया, एक शिक्षक सहित 10 लोग मारे गए थे. इस घटना को खाकी वर्दीधारी नक्सलियों ने अंजाम दिया था.

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अटका अंतर्गत दमौआ के एक चबूतरे पर जमीन विवाद को लेकर पंचायत करने बैठे निहत्थे ग्रामीणों पर नक्सलियों ने गोलियों की बौछार कर दी. इस वारदात को अंजाम देने के बाद नक्सली संगठन जिंदाबाद के नारे लगाते हुए नक्सली हजारीबाग जिले के जंगल क्षेत्र की ओर भाग निकले थे.

सीएम के आश्वासन के बाद भी नहीं मिली नौकरीः नक्सली हिंसा की घटना के बाद तत्कालीन सीएम रावड़ी देवी, राजद सुप्रीमो लालू यादव सहित आला अधिकारी अटका पहुंचे थे. सीएम ने घटना पर अफसोस जताते हुए इस घटना में मारे गए लोगों के एक-एक आश्रित परिवार को नोकरी, एक- एक लाख रुपया मुआवजा, इंदिरा आवास देने की घोषणा की थीं. घोषणा के मुताबिक आवास और मुआवजा तो आश्रित परिजनों को मिल गए मगर अबतक किन्हीं को नौकरी नहीं मिल पाई है. इससे आश्रित परिजनों में आज भी नाराजगी है और नौकरी मिलने की उम्मीद आज भी संजोए रखे हैं. हालांकि आश्रितों को नौकरी का मामला स्थानीय विधायकों के द्वारा विधानसभा में भी उठाया गया था.

नरसंहार में इन लोगों की गयी थी जानः 7 जुलाई 1998 को हुई नरसंहार की इस घटना में तत्कालीन मुखिया मथुरा प्रसाद मंडल, धुपाली महतो, दशरथ मंडल, बिहारी महतो, सीताराम महतो, सरयू महतो, जगरनाथ महतो, मीरन प्रसाद, रघुनाथ प्रसाद, तुलसी महतो की मौत हो गई थी जबकि कुछ लोग घायल हो गए थे. बताया जाता है कि पंचायत कर रहे ग्रामीणों के बीच पुलिस की वर्दी में एक मेटाडोर पर सवार होकर नक्सली पहुंचे हुए थे. ग्रामीण कुछ समझ पाते कि इसके पहले नक्सलियों ने भीड़ पर गोलियों की बौछार कर दी थी.

नरसंहार को याद कर नागो महतो की कांप जाती है रूहः इस घटना में अटका अंतर्गत दमौआ के नागो महतो घायल हुए थे, उनके पैर में गोली लगी थी. पैर में फंसी गोली को रांची के डाक्टरों ने निकाला था. वे तीन महीने तक रांची के अस्पताल में भर्ती रहे. इलाज में तीन लाख रुपए से भी अधिक की राशि खर्च हुई थी. लेकिन एक रुपए भी सरकारी सहयोग से नहीं मिला. घटना के बाद उन्हें चलने में परेशानी होती है. वो लंगड़ा कर चलते हैं. नागो महतो बताते हैं कि तीन महीने के बाद इलाज कराकर जब वे घर लौटे तब भय के कारण एक साल तक घर से नहीं निकले थे. आज उनकी उम्र 90 साल है.

25वीं बरसी पर अर्पित किए जाएंगे श्रद्धा सुमनः नक्सली हिंसा में मारे गए लोगों को शुक्रवार को श्रद्धांजलि दी जाएगी. इस घटना में मारे गए तत्कालीन मुखिया मथुरा प्रसाद मंडल के परिजनों के द्वारा अटका पड़ाव मैदान में श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया गया है. स्व. मथुरा प्रसाद मंडल के पुत्र दीपू मंडल बताते हैं कि श्रद्धांजलि सभा में पूर्व विधायक नागेंद्र महतो, पूर्व विधायक गौतम सागर राणा सहित गणमान्य लोग शिरकत करेंगे. पड़ाव मैदान में मृतकों की स्मारक बनाई गई है.

Last Updated : Jul 7, 2023, 9:35 AM IST
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