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कभी गिरिडीह कोलियरी का शान था कोक प्लांट, आज बना लूट का चारागाह

गिरिडीह में सीसीएल का कोक प्लांट कभी कोलियरी की शान समझा जाता था. कुव्यवस्था के कारण यह कोक प्लांट पिछले 20 वर्षों से बंद है. बंद पड़े कोक प्लांट को शुरू करने के नाम पैसे का भी खूब बंदरबाट हुआ. साथ ही इस प्लांट से लोहा और कीमती पार्ट्स की भी लूट हुई. कहा जाए तो यह प्लांट लोहा तस्करों के लिए चारागाह भी बन गया है.

coke plant closed for 20 years in giridih
कभी गिरिडीह कोलियरी का शान था कोक प्लांट, आज बना लूट का चारागाह
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Published : Apr 14, 2021, 8:27 AM IST

Updated : Apr 14, 2021, 10:30 AM IST

गिरिडीह: घाटे में चल रही कोलियरी के लिए कभी वरदान रहा कोक प्लांट पिछले दो दशक से बंद पड़ा हुआ है. हार्ड कोक, बेनजोल, सल्फ्यूरिक एसिड, अलकतरा जैसे उत्पाद यहां पर तैयार किये जाते थे. लेकिन कुव्यवस्था के कारण 23 जून 1999 को यह प्लांट बंद हो गया. प्लांट बंद हुआ तो राजनीति भी शुरू हो गयी. इसे शुरू करने का ख्वाब हर राजनीतिक दलों के नेताओं ने दिखाया. प्लांट को शुरू करने के लिए सीसीएल ने काफी खर्च भी किया, लेकिन यह प्लांट शुरू नहीं हो सका. प्लांट बंद हुआ तो धीरे-धीरे यहां पर पदस्थापित कर्मियों को स्थानांतरित भी कर दिया गया. इसके बाद यहां शुरू हो गया लोहा तस्करों का राज. इस प्लांट को लोहा तस्करों ने अपना चारागाह बना लिया है. लोहा के साथ कीमती पार्ट्स पर भी हाथ साफ किया गया.

देखें स्पेशल रिपोर्ट

इसे भी पढ़ें- सरायकेला: क्वॉलिटी बिजली आपूर्ति कराने में जुटा बिजली विभाग, कई योजनाएं इस साल होंगी पूरी

Coke plant closed for 20 years, giridih colliery in loss
घाटे में चल रही गिरिडीह कोलियरी

क्या कहते हैं मजदूर नेता

मजदूर नेता एनपी सिंह बुल्लू का कहना है कि ये हिंदुस्तान का बहुत पुराना प्लांट था. यहां के प्रोडक्ट की काफी डिमांड थी. साल 1999 में बराकर नदी का पुल टूटा, जिसके कारण प्लांट को बंद करना पड़ा. 2005 में भी इस प्लांट को शुरू करने के लिए खर्च किया गया, लेकिन ये खर्च कारगर साबित नहीं हुआ. इसके बाद 1905 में भी प्लांट शुरू हुआ था. जमालपुर रेलवे कारखाना में हार्ड कोक की आपूर्ति करने के लिए ईस्ट इंडिया रेलवे ने इस कोक प्लांट को स्थापित किया था. 60 के दशक से यहां से हार्ड कोक, बेनजोल, सल्फ्यूरिक एसिड, अलकतरा भी बनाया जाने लगा.

Coke plant closed for 20 years, giridih colliery in loss
लोहा तस्करों के लिए चारागाह बना कोक प्लांट

इसे भी पढ़ें- रांचीः बुढ़मू व पिठोरिया थानेदार लाइन हाजिर, कोयला-बालू बेचने का आरोप

लोहा तस्करों की मौज

बंद पड़े इस प्लांट से लोहे की कटिंग का खेल लगभग डेढ़ साल पहले ही शुरू हो गया. लोहे की चोरी दिन में होने लगी और इस लोहे को माफिया कई फैक्ट्रियों में खपाने लगे. इससे हो रही कमाई को देखकर गुटबाजी और हिंसा भी काफी हुई. बता दें कि हाल के दिनों में भी लोहा चोरी रोकने पर सीसीएल सुरक्षाकर्मियों पर अपराधियों ने हमला बोला दिया था. मामले पर पुलिस ने कार्रवाई की थी. एसडीपीओ अनिल सिंह बताते हैं कि कोक प्लांट से लोहा की चोरी करने वाले गिरोह को पहले भी जेल भेजा गया है. ऐसे अपराधियों पर लगातार नजर रखी जा रही है.

Coke plant closed for 20 years, giridih colliery in loss
20 साल से धूल फांक रहा कोक प्लांट

ऑक्शन करने की तैयारी

वहीं सीसीएल ढोरी एरिया के महाप्रबंधक मनोज अग्रवाल ने कहा कि कोक प्लांट पूरी तरह समाप्त हो चुका है. अब यहां पर कोई गंदी हरकत नहीं हो, इसके लिए ऑक्शन कराया जाएगा. सीसीएल को करोड़ों का मुनाफा देने वाले कोक प्लांट को दोबारा शुरू करने को लेकर राजनीति तो खूब हो चुकी है. अब यहां पर जो संपत्ति बची है, उसे सुरक्षित रखना चुनौती भरा काम है. जिला प्रशासन के साथ-साथ सीसीएल प्रबंधन को जल्द ही कोई सख्त कदम उठाना पड़ेगा.

गिरिडीह: घाटे में चल रही कोलियरी के लिए कभी वरदान रहा कोक प्लांट पिछले दो दशक से बंद पड़ा हुआ है. हार्ड कोक, बेनजोल, सल्फ्यूरिक एसिड, अलकतरा जैसे उत्पाद यहां पर तैयार किये जाते थे. लेकिन कुव्यवस्था के कारण 23 जून 1999 को यह प्लांट बंद हो गया. प्लांट बंद हुआ तो राजनीति भी शुरू हो गयी. इसे शुरू करने का ख्वाब हर राजनीतिक दलों के नेताओं ने दिखाया. प्लांट को शुरू करने के लिए सीसीएल ने काफी खर्च भी किया, लेकिन यह प्लांट शुरू नहीं हो सका. प्लांट बंद हुआ तो धीरे-धीरे यहां पर पदस्थापित कर्मियों को स्थानांतरित भी कर दिया गया. इसके बाद यहां शुरू हो गया लोहा तस्करों का राज. इस प्लांट को लोहा तस्करों ने अपना चारागाह बना लिया है. लोहा के साथ कीमती पार्ट्स पर भी हाथ साफ किया गया.

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घाटे में चल रही गिरिडीह कोलियरी

क्या कहते हैं मजदूर नेता

मजदूर नेता एनपी सिंह बुल्लू का कहना है कि ये हिंदुस्तान का बहुत पुराना प्लांट था. यहां के प्रोडक्ट की काफी डिमांड थी. साल 1999 में बराकर नदी का पुल टूटा, जिसके कारण प्लांट को बंद करना पड़ा. 2005 में भी इस प्लांट को शुरू करने के लिए खर्च किया गया, लेकिन ये खर्च कारगर साबित नहीं हुआ. इसके बाद 1905 में भी प्लांट शुरू हुआ था. जमालपुर रेलवे कारखाना में हार्ड कोक की आपूर्ति करने के लिए ईस्ट इंडिया रेलवे ने इस कोक प्लांट को स्थापित किया था. 60 के दशक से यहां से हार्ड कोक, बेनजोल, सल्फ्यूरिक एसिड, अलकतरा भी बनाया जाने लगा.

Coke plant closed for 20 years, giridih colliery in loss
लोहा तस्करों के लिए चारागाह बना कोक प्लांट

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लोहा तस्करों की मौज

बंद पड़े इस प्लांट से लोहे की कटिंग का खेल लगभग डेढ़ साल पहले ही शुरू हो गया. लोहे की चोरी दिन में होने लगी और इस लोहे को माफिया कई फैक्ट्रियों में खपाने लगे. इससे हो रही कमाई को देखकर गुटबाजी और हिंसा भी काफी हुई. बता दें कि हाल के दिनों में भी लोहा चोरी रोकने पर सीसीएल सुरक्षाकर्मियों पर अपराधियों ने हमला बोला दिया था. मामले पर पुलिस ने कार्रवाई की थी. एसडीपीओ अनिल सिंह बताते हैं कि कोक प्लांट से लोहा की चोरी करने वाले गिरोह को पहले भी जेल भेजा गया है. ऐसे अपराधियों पर लगातार नजर रखी जा रही है.

Coke plant closed for 20 years, giridih colliery in loss
20 साल से धूल फांक रहा कोक प्लांट

ऑक्शन करने की तैयारी

वहीं सीसीएल ढोरी एरिया के महाप्रबंधक मनोज अग्रवाल ने कहा कि कोक प्लांट पूरी तरह समाप्त हो चुका है. अब यहां पर कोई गंदी हरकत नहीं हो, इसके लिए ऑक्शन कराया जाएगा. सीसीएल को करोड़ों का मुनाफा देने वाले कोक प्लांट को दोबारा शुरू करने को लेकर राजनीति तो खूब हो चुकी है. अब यहां पर जो संपत्ति बची है, उसे सुरक्षित रखना चुनौती भरा काम है. जिला प्रशासन के साथ-साथ सीसीएल प्रबंधन को जल्द ही कोई सख्त कदम उठाना पड़ेगा.

Last Updated : Apr 14, 2021, 10:30 AM IST
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