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हेमंत अंकल खोल दीजिए न स्कूल, लिखकर बच्चों ने सीएम को भेजा पत्र

कोरोना काल का सबसे जायादा असर बच्चों की पढ़ाई पर पड़ रहा है. सभी बच्चों को ऑनलाइन पढ़ाई समझ में नहीं आती है. वहीं कई बच्चों के परिवार में मोबाइल के साधन नहीं है. ऐसे में अब स्कूल के बच्चे खुद स्कूल खोलने की मांग करने लगे हैं. बच्चे इस मांग को लेकर सरकार के पास पोस्टकार्ड भेज रहे हैं. जिसमें बच्चों ने सीएम हेमंत सोरेन (Children Wrote Letter to CM) से स्कूल खोले जाने की मांग की है.

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स्कूल खोलने की मांग को लेकर बच्चों ने सरकार को भेजे पोस्टकार्ड
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Published : Jan 28, 2022, 5:03 PM IST

Updated : Jan 28, 2022, 5:43 PM IST

गिरिडीह : कोरोना के कहर से कोई भी क्षेत्र अछूता नहीं रहा है. लेकिन शैक्षणिक संस्थानों पर कोरोना का असर सबसे ज्यादा पड़ा है. स्कूलों के बंद रहने से बच्चों की पढ़ाई-लिखाई चौपट होती जा रही है. सभी बच्चों को ऑनलाइन पढ़ाई समझ में नहीं आती है. वहीं कई बच्चों के परिवार में मोबाइल नहीं है. ऐसे में बच्चों की पढ़ाई प्रभावित हो रही है. पांच से छः साल के बच्चों को तो स्कूल के दर्शन तक नहीं हो पाए हैं. ऐसे में अब कुछ निजी स्कूल के बच्चों के ने खुद स्कूलों को खोले जाने की मांग की है. बच्चों ने स्कूल खोलने की मांग को लेकर सरकार को पोस्टकार्ड भेजे हैं. जिसमें बच्चों ने सीएम हेमंत सोरेन से स्कूल खोले जाने की मांग की है.

यह भी पढ़ें : देश के स्कूलों को फिर से खोलने की संभावनाएं तलाश रही केंद्र सरकार

स्कूल खोलने की मांग: झारखंड इंडिपेंडेंट स्कूल अलायन्स (Jharkhand Independent School Alliance) द्वारा शुरू किए गए इस अभियान में गिरिडीह जिले से सात हजार से अधिक पोस्टकार्ड लिखे जा चुके हैं. प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन के सचिव दिनेश साहू ने बताया कि लगभग दो वर्षों से स्कूल बंद है. अधिकांश बच्चों का पठन-पाठन बाधित है. अभिभावक और बच्चे दोनों परेशान हैं. शैक्षाणिक माहौल बिगड़ चूका है. बच्चों की पढ़ने की क्षमता घटने लगी है. बहुत बच्चे बिना स्कूल देखे ही नर्सरी कक्षाओं की उम्र गंवा चुके हैं. अब उनकी उम्र सीधे प्राईमरी कक्षा की हो गई है. बच्चों में अवसाद (Depression in Children) पनपने लगा है. दूसरी ओर शिक्षकों की स्थिति बद से बदतर हो चुकी है. कक्षाएं बाधित हैं तो फीस भी नहीं आ रही है. शिक्षकों को वेतन नहीं मिल पा रहा है. स्कूल संचालकों का हाल और भी बुरा है. परिवार का आर्थिक बोझ ही उठाना मुश्किल है और बैंकों के ऋण का किस्त, गाडियों का टैक्स और इंश्योरेंस, बिजली बिल संचालकों पर कहर बनकर टूट रहे हैं. बहुत से छोटे स्कूल बंद हो चुके है और बहुत बंद के कागार पर हैं. ऐसे में सरकार से संगठन बार-बार मदद की गुहार लगा रही है. जिससे कि निजी स्कूलों के अस्तित्व को बचाया जा सके.

देखें पूरी खबर -


बच्चों ने सीएम को लिखा पत्र: हरियाणा और महाराष्ट्र की तरह झारखंड में भी छात्र व अभिभावक अब ऑनलाइन कक्षाओं का विरोध करने लगे हैं. इस कड़ी में झारखंड इंडिपेंडेंट स्कूल अलायन्स के तहत झारखंड के विभिन्न जिलों में संचालित निजी विद्यालय संगठनों ने सर्वसम्मिति से यह निर्णय लिया कि 26 जनवरी को विद्यालय खोलने की मांग करते हुए प्रत्येक जिले से हजारों-हजार की संख्या मे शिक्षक-अभिभावक-छात्र अपने-अपने स्तर से मुख्यमंत्री को एक पोस्टकार्ड लिखेंगें और फिर भी सरकार स्कूल खोलने की निर्णय नहीं लेती है तो 31 जनवरी को राजधानी रांची में बैठक कर आगे की रणनीति पर विचार-विमर्श करते हुए कड़े आंदोलन का निर्णय लिया जाएगा.

गिरिडीह : कोरोना के कहर से कोई भी क्षेत्र अछूता नहीं रहा है. लेकिन शैक्षणिक संस्थानों पर कोरोना का असर सबसे ज्यादा पड़ा है. स्कूलों के बंद रहने से बच्चों की पढ़ाई-लिखाई चौपट होती जा रही है. सभी बच्चों को ऑनलाइन पढ़ाई समझ में नहीं आती है. वहीं कई बच्चों के परिवार में मोबाइल नहीं है. ऐसे में बच्चों की पढ़ाई प्रभावित हो रही है. पांच से छः साल के बच्चों को तो स्कूल के दर्शन तक नहीं हो पाए हैं. ऐसे में अब कुछ निजी स्कूल के बच्चों के ने खुद स्कूलों को खोले जाने की मांग की है. बच्चों ने स्कूल खोलने की मांग को लेकर सरकार को पोस्टकार्ड भेजे हैं. जिसमें बच्चों ने सीएम हेमंत सोरेन से स्कूल खोले जाने की मांग की है.

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स्कूल खोलने की मांग: झारखंड इंडिपेंडेंट स्कूल अलायन्स (Jharkhand Independent School Alliance) द्वारा शुरू किए गए इस अभियान में गिरिडीह जिले से सात हजार से अधिक पोस्टकार्ड लिखे जा चुके हैं. प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन के सचिव दिनेश साहू ने बताया कि लगभग दो वर्षों से स्कूल बंद है. अधिकांश बच्चों का पठन-पाठन बाधित है. अभिभावक और बच्चे दोनों परेशान हैं. शैक्षाणिक माहौल बिगड़ चूका है. बच्चों की पढ़ने की क्षमता घटने लगी है. बहुत बच्चे बिना स्कूल देखे ही नर्सरी कक्षाओं की उम्र गंवा चुके हैं. अब उनकी उम्र सीधे प्राईमरी कक्षा की हो गई है. बच्चों में अवसाद (Depression in Children) पनपने लगा है. दूसरी ओर शिक्षकों की स्थिति बद से बदतर हो चुकी है. कक्षाएं बाधित हैं तो फीस भी नहीं आ रही है. शिक्षकों को वेतन नहीं मिल पा रहा है. स्कूल संचालकों का हाल और भी बुरा है. परिवार का आर्थिक बोझ ही उठाना मुश्किल है और बैंकों के ऋण का किस्त, गाडियों का टैक्स और इंश्योरेंस, बिजली बिल संचालकों पर कहर बनकर टूट रहे हैं. बहुत से छोटे स्कूल बंद हो चुके है और बहुत बंद के कागार पर हैं. ऐसे में सरकार से संगठन बार-बार मदद की गुहार लगा रही है. जिससे कि निजी स्कूलों के अस्तित्व को बचाया जा सके.

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बच्चों ने सीएम को लिखा पत्र: हरियाणा और महाराष्ट्र की तरह झारखंड में भी छात्र व अभिभावक अब ऑनलाइन कक्षाओं का विरोध करने लगे हैं. इस कड़ी में झारखंड इंडिपेंडेंट स्कूल अलायन्स के तहत झारखंड के विभिन्न जिलों में संचालित निजी विद्यालय संगठनों ने सर्वसम्मिति से यह निर्णय लिया कि 26 जनवरी को विद्यालय खोलने की मांग करते हुए प्रत्येक जिले से हजारों-हजार की संख्या मे शिक्षक-अभिभावक-छात्र अपने-अपने स्तर से मुख्यमंत्री को एक पोस्टकार्ड लिखेंगें और फिर भी सरकार स्कूल खोलने की निर्णय नहीं लेती है तो 31 जनवरी को राजधानी रांची में बैठक कर आगे की रणनीति पर विचार-विमर्श करते हुए कड़े आंदोलन का निर्णय लिया जाएगा.

Last Updated : Jan 28, 2022, 5:43 PM IST
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